मुंबई: महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में सात लोकसभा सीटों पर धुआंधार प्रचार कर रही कांग्रेस और राकांपा 2014 के चुनावों में खोई अपनी जमीन फिर से वापस पाने की उम्मीद कर रही हैं। विदर्भ की सातों सीटों पर 11 अप्रैल को पहले चरण के तहत मतदान होगा।
गत लोकसभा चुनावों में यहां कांग्रेस ने छह सीटें गंवा दी थीं जबकि राकांपा को भंडारा-गोंदिया में हार मिली थी। इस बार कांग्रेस और भाजपा वर्धा, नागपुर, गढ़चिरौली-चिमूर, चंद्रपुर सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं जबकि रामटेक और यवतमाल-वाशिम में कांग्रेस का मुकाबला शिवसेना से होगा। भंडारा-गोंदिया में राकांपा का मुकाबला भाजपा से होगा।
नागपुर, चंद्रपुर और यवतमाल-वाशिम निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमश: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, हंसराज अहीर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे चुनाव लड़ते रहे हैं।साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस दो से तीन लाख मतों के अंतर से छह सीटों पर हार गई थी। राकांपा के प्रफुल पटेल को करीब 1.4 लाख मतों के अंतर से भंडारा-गोंदिया सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा के टिकट पर जीतने वाले और पटेल को हराने वाले नाना पटोले साल 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए। इस सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में राकांपा के मधुकर कुकड़े ने जीत दर्ज की थी।कांग्रेस ने गढ़चिरौली-चिमूर से नामदेव उसेंडी को फिर से उम्मीदवार बनाया है। उसेंडी 2014 में विधायक थे जब वे गढ़चिरौली में कांग्रेस की तरफ से खड़े हुए लेकिन उन्हें पूर्व भाजपा विधायक अशोक नेटे ने हरा दिया।
चंद्रपुर में मौजूदा शिवसेना विधायक सुरेश धनोरकर केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर के खिलाफ पार्टी के उम्मीदवार हैं। साल 2014 में विदर्भ से सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस अब अपनी खोई जमीन वापस पाने की उम्मीद कर रही है।
विदर्भ से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हालांकि उम्मीदवारों के चयन और मराठा समुदाय को प्राथमिकता दिए जाने से समाज के अन्य वर्गों के पार्टी कार्यकर्ता गुस्से में है। लेकिन फिर भी हमें कम से कम तीनों सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।’’