भारत के संसदीय इतिहास में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में प्रधानमंत्री जी ने अपनी प्रतिभा का जो भी परिचय दिया है वह देख कर एक भारत के नागरिक होने के कारण मेरा सिर शर्म से झुक गया है ! सती प्रथा को खत्म करने या समान नागरिक कानूनों को लाने की सामाजिक बदलाव की पहल के उदाहरण और वह भी सदियों से चली आ रही सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध ! प्रथाओं को खत्म करने की ! और प्रथाओं के समर्थन वाले लोग कौन थे ?
यानी चित भी मेरी पट भी मेरी वाले लोगों को क्या थोड़ी सी भी लाज शर्म नहीं आती ? उन प्रथाओं के समर्थन वाले संघी मानसिकता वाले ही थे जिन्होंने ईश्वर चंद्र विद्यासागर,राजा राम मोहन राय और जिस स्वामी विवेकानंद का कद काट-छांट कर उन्हें संघ के लिए सुविधाजनक हिन्दू माँक बनाने की कोशिश की है उन्हें शिकागो में भाषण करने से मना करने से लेकर देश वापस आने के बाद प्रायश्चित करने के लिए कहने वाले कौन लोग थे ? नरेंद्र मोदी जी को कोई नैतिक अधिकार नहीं है इन महापुरुषों के आडमे अपनी जन विरोधी नीतियों के लिए इस्तेमाल करना मतलब उनके छवियों को नष्ट करने का काम कररहे हैं !
आवने-पावने दामौमे देश की सार्वजनिक संपत्ति को बेचने की देशद्रोही कृती के समर्थन में इस्तेमाल करने की कोशिश उन क्रांतिकारि बदलावों का काम करने के लिए विशेष रूप से सती की प्रथा खत्म करने वाले राजा राम मोहन राय और समान नागरिक कानूनों को लाने के लिए अपना समस्त जीवन लगा देने वाले हमीद दलवाई जैसे महान समाज सुधारकोका अपमान करने वाले नरेंद्र मोदी जी को अपना होमवर्क करना चाहिए अलेक्जेंडर से लेकर कई-कई उदाहरण क्यो गलत देते रहते हैं ?
एक तो उनके भाषण तैयार करने वाले उनकी जग हसाई कर रहे हैं या नरेंद्र मोदी जी जानबूझ कर अपने गलत नीतियाँ और जन विरोधी काम को छुपाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और इतिहास,भूगोल,सामाजिक,आर्थिक,शैक्षणिक,औद्योगिक,वैज्ञानिक और सबसे संगीन बात संविधान और कानूनों को लेकर जो भी बयानबाज़ी कर रहे हैं वह देश को बहुत बडी कीमत चुकानी पड रही है ! अपनी सनक मे नोटबंदी से लेकर योजना आयोग को समाप्त करने से लेकर रिजर्व बैंक के अंतर्गत गवर्नर की अनदेखी करने वाले और यूजीसी जैसे देश के उच्च शिक्षा का काम करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया संस्थानो में हस्तक्षेप करने की कृति संपूर्ण अकादमीक विश्व को तहस-नहस करने जैसे संगीन बातो से लेकर आसाम के नागरिकता का मामला संपूर्ण देश को लागू करने की कृति देश की एकता-अखंडता को भंग करने की बात है !
35-40 करोड अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को असुरक्षित मानसिकता का शिकार करने की बात देश के समाजस्वास्थ के लिए विशेष रूप से बिगाडनेका काम कर रहे हैं और वह कम लगा कि क्या तो तथाकथित कृषी सुधारों के नाम पर पर कृषकों की बगैर राय लिए ! उसी तरह से भारत की सार्वजनिक संपत्ति को बेचने की बात कांडला पोर्ट से लेकर जल,जंगल और जमीन तथा रक्षा के क्षेत्र में प्रायवेट मास्टर्स को प्रवेश देने जैसे निर्णय देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उसके विरुद्ध आंदोलन करने वाले लोगों को क्या-क्या बोला जा रहा है ?
भारत का सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले और विश्व के सबसे बड़े उद्योग रेल बजट समाप्त करने की कृतिसे लेकर सीनियर सिटीजन के कन्शेशन और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को समाप्त करने के एक मात्र कारण रेल से सरकार को हटाने की शुरूआत की है और अब काफी रेल मार्ग प्रायवेट मास्टर्स को दिये गये है ! अमूमन सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए विशेष रूप से अपने आप को काम करने के लिए ही बनाया गया है !
लेकिन मई 2014 मे शपथग्रहण के बाद आपने एक के पीछे एक पुरानी व्यवस्थाओं को बदलने की शुरूआत देखकर सन 1323 से 1351 के दौरान भारत मे मोहम्मद बीन तुगलक नाम का बादशाह का काम करने की और आप की कार्यप्रणाली में काफी साम्य नजर आ रहा है ! उसने भी करंसी बदलने से लेकर दिल्ली से दौलताबाद को राजधानी बनाने के प्रयास मे कितना नुकसान हुआ है ! बिल्कुल नोटबंदी से भारत मे एक रूपये का भी काले धन के आने की बात तो दूर लेकिन कितने लोग मरे हैं ? और छोटे और मझोले उद्योगों की कमर तोडने के गुनाहगार कौन है ? और यह गुनाह जान बुझकर बडे औद्योगिक घरानों को अपने पैर पसारने के लिए विशेष रूप से व्यवस्था के लिए किया गया बहुत बडा औद्योगिक, आर्थिक अपराध है !
जीएसटी के नाम पर खुब ढोल पीटने का परिणाम सामान्य लोगों से लेकर देश की सभी राज्यों के करोको सेंट्रलाईज करने की कृति विकेंद्रीकरण के खिलाफ किया गया बहुत ही बडा आर्थिक सुधारों के नाम पर डाका डालने का काम करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है ! उसी तरह से भारत की शिक्षा व्यवस्था मे तथाकथित बदलने की बात सरकार शिक्षा का काम करनेकी जिम्मेदारी से अपने आप को अलविदा कहकर यहाँ पर भी प्रायवेट मास्टर्स को खुली छूट देने हेतु सेंट्रल यूनिवर्सिटी मे कई गुना फीस बढाकर पचास प्रतिशत से भी ज्यादा गरीब घरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का काम किया है ! और संघी गुंडे जर्मनी के गेस्टापो की तर्ज पर पुलिसके भेस में अलग-अलग युनिवर्सिटी कैम्पस में आंदोलन करने वाले छात्रों को मारने का काम और दिल्ली तथा स्थानीय पुलिस की मदद से क्या किया है?और आज तक मुझे याद नहीं आ रहा है कि उन गुंडों पर कोई कार्रवाई हुई है !
शाहीन बाग के पिछले साल के इन्हीं दिनों में नागरिकता के बिल के खिलाफ जारी आंदोलन मे अलग अलग भेषमे संघ के स्वयंसेवक भेजना और खुद आंदोलन मे शामिल लोगों के ड्रेस कोड पर जुमले बाजी करके आंदोलन की छवि बिगाडनेका काम जैसे अभी 26 जनवरी के दिन लाल किले और आईटीओ तक पहुंच कर हंगामा करने वाले तथाकथित किसान कौन थे ? और उनके ऊपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ? वही बात कोरोनाके जैसे महामारी की आडमे जमाते उल उलेमाओं के मर्कज की घटना का इस्तेमाल मुस्लिम समाज को बदनाम करने के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया है और न्यायपालिका को कहना पड़ा कि उसमें मर्कज के लोगों का कोई भी संबंध नहीं है !
तो इतना बड़ा सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम करने वाले कौन थे ? और उनके ऊपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है कुछ बताने का कष्ट करेंगे ? इस देश के 30-40 करोड अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सतत आप लगातार लक्ष करते रहते हो जिसकी शुरुआत आपने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए 28 फरवरी 2002 से शुरू की है ! और उसके परिणाम स्वरूप आज भी बदस्तूर जारी है ! और निजामुद्दीन मर्कज उसका प्रमाण है और ड्रेस,लव-जेहाद गोरक्षा के नाम पर भारत के इतिहास में पहली बार तथाकथित माॅबलिंचिग करने के लिए विशेष रूप से कौन लोग है?और उनके उपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ?
उल्टा महात्मा गांधी के हत्यारे की मूर्ति,मंदिर बनाने से लेकर प्रज्ञा सिंह जैसे आतंकवाद की गतिविधियों मे शामिल लोगों को लोकसभा जैसे कानून बनाने के लिए बने हुए सर्वोच्च सदन के सदस्य बनाने वाले कौन हैं ? और दूसरोको देश के दुश्मन,देशद्रोही कहते हुए लगता नहीं कि हम खुद क्या कर रहे हैं ? क्या आप लोगों को षड्यंत्र के अलावा और कोई काम करने की आदत नहीं है आजादी के आंदोलन मे भी अंग्रेजी राज के लिए खुफिया एजेंसियों की मदद करने से लेकर महात्मा गांधी के हत्या की साजिश करने वाले लोगों को क्या देश के किसी भी आंदोलन को बदनाम करने के कारनामे करनेके अलावा और कोई काम करने की आदत नहीं है ?
और उल्टा चोर कोतवाल को डांटे के जैसा आंन्दोलनके ही लोगों को आंदोलनजीवी और अलग-अलग गाली गलोज करना कौनसे पवित्र शब्द मे आता है ? आप अभि हमारे अध्यात्म दर्शन का अपमान करने का काम शुरू कर दिया है और वह भी प्रधानमंत्री जैसे देश के सबसे बड़े पदपर रहते हुए ? आज से पंद्रह दिनों बाद गोध्राकांड को गिनकर 19 साल हो रहे हैं और आपने अक्तूबर 7 तारीख को 2001 के दिन मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आज से गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में यह शपथ लेता हूँ कि गुजरात में रहने वाले हर व्यक्ति की बगैर किसी भेदभाव से जान माल की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है !
और 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के रेल की घटना मे अधजले शवोको विश्व हिंदू परिषद के लोगों को गोधरा कलक्टर के विरोध के बावजूद आप ने खुद जुलुस निकालने के लिए विशेष रूप से सौपने का काम किया है और उसके बाद 27 के श्याम को गांधीनगर की कैबिनेट मिटिंग में कहा कि कल से गुजरात में जो भी कुछ होगा उसे रोकने का काम नही करना और यह बात संजीव भट्ट ने बार-बार कहा है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी को मैंने यह बात बोलते हुए देखा है और मैं खुद हैरान हो गया कि एक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी राज्य की कानून व्यवस्था सह्माल्ने की होते हुए भी यह इस तरह कि बात कर रहे हैं और आप पवित्र-अपवित्र की जुमलेबाजी भरी संसद में कर रहे हैं !
जबकि राम मंदिर आंदोलन के बल बूते पर ही आपने संसद तक का सफर तय किया है और आंदोलनजीवी,आंदोलनखोर जैसे जुमलेबाजी करना कौनसे पवित्र शब्द मे आता है कि अपवित्र ?
नरेंद्र मोदी जी क्या आप 130 करोड आबादी को मूर्ख समझकर यह बात बोलते हो ? और वह भी देश के सबसे सदन संसद में ?
धन्य है आप की प्रतिभा ! आज ढाई महीनों से कडाके की ठण्ड में लाखों किसानों के आंदोलन की आप इस तरह अनदेखी कर रहे हैं और खाइया खोद कर किले गाडकर कंटीले तारों से घेर कर पानी,बिजली इंटरनेट सर्विस बंद कर के भी आंदोलन जारी है उल्टा पहले से ज्यादा संख्या में लोगों को 26 जनवरी के षड्यंत्र का काम देख कर संपूर्ण देश के कोने-कोने में आंदोलन करने वाले लोगों को क्या करोगे ? अगर आप लोगों को अभीभी नहीं समझ रहे हो तो फिर श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के जैसे आप को भी सिहासन खाली करने के लिए तैयार होना पडेगा इतना पक्का !
डॉ सुरेश खैरनार