मुख्यालय से लेकर जिलों तक फैलने लगी प्रशासनिक पकड़

ओहदेदारों की गैर मौजूदगी ने मुख्यालय पर प्रशासनिक अमला बैठा दिया। प्रशासनिक लेतलाली ने बोर्ड गठन की राह रोक रखी है। हालात बिखरते हुए प्रदेशभर की जिला कमेटियों तक पहुंच रहे हैं। कई जिलों की बागडोर प्रशासन के हाथों में पहुंचने के बाद अब इंदौर जैसे महानगर के एक बड़े वक्फ पर भी प्रशासनिक डंडा लहरा दिया गया है। इस कमेटी पर कब्जा हासिल करने के लिए प्रशासनिक और पुलिस की परेड भी दरगाह परिसर में करवाकर मजहबी आस्थाओं को कुचला गया है।

करीब दो साल से खाली पड़े मप्र वक्फ बोर्ड की व्यवस्था लंबे समय से प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले है। वर्तमान में यहां जिला एडीएम बतौर प्रशासक और सीईओ के रूप में एसडीएम कुर्सी सम्हाले हुए हैं। वक्फ अधिनियम १९९५ का मखौल उड़ाते हुए बैठाए जा रहे शासकीय अधिकारी अपनी मनमर्जी से व्यवस्था संचालित कर रहे हैं। प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमेटियों को दरकिनार कर पाबंद किए गए रिसीवर वक्फ संपत्तियों को नुक़सान पहुंचा चुके हैं। ऐसे में अब इंदौर स्थित एक बड़े वक्फ दरगाह नाहर शाह वली की कमान भी सरकारी हाथों में दे दी गई है। वक्फ बोर्ड सीईओ जमील खान द्वारा जारी किए गए आदेश पर मौजूदा अरब अली पटेल की कमेटी बर्खास्त करके रिसीवर के रूप में तहसीलदार सिराज खान को नियुक्त कर दिया है।

साजिश का शिकार पटेल

दरगाह नाहर शाह वली के अध्यक्ष अरब अली पटेल का एक वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जारी हुआ था। जिसमें वे एक शादी समारोह में किसी बार बाला के साथ ठुमके लगाते नजर आ रहे थे। इसको लेकर बोर्ड को की गई शिकायतों के आधार पर कमेटी भंग करने का एक पक्षीय फैसला लिया गया है। जबकि अरब अली पटेल का कहना है कि उनकी नियुक्ति के समय से ही विघ्नसंतोषी लोगों की एक बड़ी टीम उन्हें अपदस्थ करने में जुटी हुई है। जिसके चलते उन्हें लेकर कई बार शिकायतें की गई हैं। पटेल का कहना है कि जिस वीडियो को उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है, वह उनके अध्यक्ष बनने के पहले का है। इसके अलावा वीडियो में जो लड़की दिखाई दे रही है, वह उनकी बेटी की उम्र की है। साथ ही शादी, ब्याह और अन्य समारोह में इस तरह की मस्ती के मायने चरित्र खराब होने के नहीं कहे जा सकते। उन्होंने कहा कि साजिशों के तहत की गई इस कार्यवाही से पहले बोर्ड को उनका पक्ष सुनना चाहिए। पटेल ने कहा कि दरगाह परिसर के विकास की कई बड़ी योजनाएं उन्होंने तैयार की हैं, जिनके क्रियान्वयन के लिए उन्हें काम करना है।

उर्स हो सकता है प्रभावित

जानकारी के मुताबिक दरगाह नाहर शाह वली का सालाना उर्स इसी माह की २३ तारीख को होने वाला है। इसकी व्यवस्था प्रबंध कमेटी द्वारा किया जाता है। ऐन उर्स के पहले बदली गई व्यवस्था से इस आयोजन पर प्रभाव पड़ सकता है। कारण यह बताया जा रहा है कि उर्स से संबंधित व्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी टीम की जरूरत होती है, जो प्रशासनिक अमले से हो पाना संभव नहीं लग रहा है।

अकीदत कुचली प्रशासनिक कदम चहली में

वक्फ बोर्ड से चले अरब अली पटेल की कमेटी की बेदखली के आदेश के बाद शनिवार को तहसीलदार सिराज खान पदभार ग्रहण करने दरगाह परिसर में पहुंचे। इस दौरान अध्यक्ष अरब अली पटेल ने अपना पक्ष वक्फ बोर्ड के सामने पेश करने के बाद चार्ज देने की बात कही। इस पर सिराज खान ने बड़ी तादाद में पुलिस बल परिसर में जमा कर लिया। साथ ही उन्होंने बल पूर्वक चार्ज लेने के लिए अध्यक्ष के दफ्तर से लेकर चंदा पेटी तक के ताले तुड़वा दिए। इस बीच इस टीम की अगुवाई में वे लोग भी नजर आए, जो इस पूरे मामले की शिकायत के अगुआ हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा से जुड़े इन लोगों द्वारा बोर्ड सीईओ पर भी राजनैतिक दबाव बनाया गया है। बताया जा रहा है आनन फानन में लिए गए चार्ज और ताले तोड़कर की गई सील बंदी के बाद कुछ लोगों ने बिना अधिकार दफ्तर, दरगाह परिसर आदि में लिखे पदाधिकारियों के नाम पर कालिख पोत दी है। इसकी जगह उन्होंने तहसीलदार और जिला कमेटी के नाम भी लिख दिए हैं।

एक देश में दो कानून

सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम के मुताबिक इसकी कमेटियों में प्रशासनिक और सियासी दखल नहीं हो सकता। इसका एक उदाहरण सिख समाज द्वारा संचालित किए जाने वाले गुरुद्वारा और अन्य संस्थाओं को माना जा सकता है। सिख समाज की इन संपत्तियों का संचालन सीधे इनकी प्रबंधन कमेटी से होता है। जबकि मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा लगातार कमेटियों के संचालन में प्रशासनिक घालमेल बढ़ाया जा रहा है।

खान अशु

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