कौशल विकास योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है. इसके जरिए युवाओं में कौशल विकास का सपना देखा गया था. लेकिन उन उम्मीदों से इतर इस योजना की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. इसके तहत कार्य कर रहे लोगों के लिए यह योजना सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है. इस योजना से जुड़े तमाम लोग और जिम्मेदार दिन पर दिन धनवान होते चले जा रहे हैं. सरकारी धन का वारा-न्यारा करने में लगे हैं. योजना के तहत देश के नौजवानों को हुनरमंद बनाने के बजाए, इसे अवैध धंधे में तब्दील कर दिया गया है.

इसे देश के प्रत्येक नगरों में केंद्रों के रूप में संचालित किया जा रहा है. इन्हीं केंद्रों की क्षमता के हिसाब से इन्हें छात्र-छात्राओं की संख्या का लक्ष्य मिलता है. प्रत्येक छात्र के लिए 1500 से 1700 रुपए तक सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है. केंद्रों के मेधावी छात्रों को पुरस्कृत भी किया जाता है. केंद्र में छात्रों की तादाद के हिसाब से शिक्षकों का भी चयन किया जाता है. नियम और शर्तों के मुताबिक, उत्तीर्ण छात्रों को ही भुगतान करना होता है. यही शर्त भ्रष्टाचार का स्त्रोत साबित हो रही है.

लूट का गणित इस तरह समझें कि अगर किसी केंद्र को तीन हजार छात्रों का ठेका मिलता है और उसमें एक हजार छात्रों ने ही दाखिला कराया तो दो हजार फर्जी तौर पर दाखिल करा दिए जाते हैं, ताकि केंद्र की मान्यता खतरे में न पड़ जाए और गिनती के हिसाब से भुगतान भी हो जाए. ये दो हजार फर्जी छात्रों का भुगतान योजना के कर्ता-धर्ताओं की जेब में चला जाता है, यानि प्रति छात्र 1700 रुपए के हिसाब से तीन करोड़ चालीख लाख रुपए हड़पायनमः हो जाते हैं. सरकारी धन की इस सामूहिक लूट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की साझीदार महेंद्रा ग्रुप शामिल है. इस ग्रुप का सीतापुर जिले में नवीन चौक पर संचालित केंद्र भीषण घालमेल का माध्यम बना हुआ है. केंद्र में पिछले वर्ष छात्र-छात्राओं की संख्या तकरीबन तीन हजार थी. इस वर्ष अभी तक 600 ही हो पाई है. इसीलिए संख्या पूर्ण करने में फर्जी संसाधन का उपयोग हो रहा है. केंद्र के संचालकों द्वारा सरकारी धन की लूट और देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ जारी है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को केंद्रों के माध्यम से संचालित करने वाले लोग पैसों के लोभ में इस कदर अंधे हो चुके हैं कि उन्हें नकली प्रमाणपत्र बनाने जैसा अपराधिक कृत्य करने से भी कोई गुरेज नहीं है. सीतापुर में महेंद्रा ग्रुप द्वारा संचालित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में फर्जी छात्रों को परीक्षा देते हुए पाया गया, लेकिन यह मामला तब और सनसनीखेज हो गया, जब उन छात्र-छात्राओं के परिचय-पत्र की सनद के रूप में रखे गए आधार-कार्ड ही नकली साबित हुए. जानकारी लेने पर पता चला कि ये आधार-कार्ड प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र द्वारा ही मुहैया कराए गए थे.

-हिमांशु सिंह

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