नई दिल्ली, (विनीत सिंह) : इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) जल्द ही साउथ इंडिया में रामेश्वरम के निकट पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट से दूर मन्नार तक के बीच बने रामसेतु पर शोध करने जा रहा है।
इस शोध की मदद से ये पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि रामसेतु का निर्माण मानव ने किया है या फिर ये सेतु प्राकृतिक है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाला ICHR रामसेतु की वास्तविकता जानने के लिए पायलट प्रॉजेक्ट शुरू करेगा।
ICHR के चेयरमैन वाई सुदर्शन राव ने बताया कि पायलट प्रॉजेक्ट अक्टूबर में शुरू किया जाएगा और यह दो महीने तक चलेगा। इस शोध के बाद जो भी जानकारी मिलेगी उसे सभी के सामने पब्लिश किया जाएगा. पायलट प्रॉजेक्ट में मरीन आर्कियॉलजिस्ट की मदद से मटीरियल एविडंस सामने लाने की कोशिश की जाएगी। अभी तक राम सेतु पर किसी भी तरह का शोध नहीं किया गया है.
पायलट प्रोजेक्ट सिल्चर यूनिवर्सिटी के आर्कियॉलजी के प्रोफेसर व भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक आलोक त्रिपाठी की देख रेख में ही अंजाम दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत यूनेस्को से गोताखोरी का लाइसेंस लेने के बाद पुद्दुचेरी में पानी के नीचे कोर्स भी करवाया जाएगा।
पायलट प्रॉजेक्ट के लिए रिसर्च स्कॉलर का चयन राष्ट्रीय स्तर पर सिलेक्शन प्रकिया के जरिए होगा, जिन्हें जून में दो हफ्ते की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।’ ICHR के मेंबर सेक्रटरी आनंद शंकर सिंह ने बताया, ‘ICHR दिल्ली में 27 से 29 मार्च तक तीन दिन का सेमिनार भी करने जा रहा है जिसमें डार्क पीरियड की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी। सेमिनार में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज के डायरेक्टर डेविड फ्रॉली सहित ASI के पूर्व डीजी बीबी लाल सहित 26 स्कॉलर अपने रिसर्च पेपर पेश करेंगे।