बरसात के मौसम में पीने के पानी को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस मौसम में गंदे पानी और उससे बनने वाले खाद्य पदार्थो से भी कई बिमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है, जैसे- दस्त, हैजा, टाइफाइड और फूडप्वाइजनिंग आदि. इसलिए खासकर बरसात में ये सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि आप जो पानी पी रहे हैं, वो पूर्णत: साफ व पीने योग्य पानी है. अगर आंकड़ों की मानें, तो पीने के पानी में 2,100 विषैले तत्व मौजूद होते हैं. ऐसे में बेहतरी इसी में है कि पानी का इस्तेमाल करने से पहले इसे पूरी तरह से शुद्ध कर लिया जाए. हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप अपने घर के पानी को पीने लायक बना सकते हैं:
पानी को उबालना : वैसे तो पानी को साफ और पीने योग्य बनाने के अब ढेरों तरीके मौजूद हैं, लेकिन पानी को साफ करने के लिए इसे उबालने का सबसे पुराना तरीका अब भी कारगर है. दुनिया भर में इस परपंरागत तरीके को लाखों लोग अपनाते हैं. पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम उसे 20 मिनट उबालना चाहिए और उसे ऐसे साफ कंटेनर में रखना चाहिए, जिसका मुंह संकरा हो ताकि उसमें किसी प्रकार की गंदगी न जाए.
कैंडल वाटर फिल्टर : पानी को साफ करने के लिए दूसरा सबसे अच्छा तरीका है, कैंडल वाटर फिल्टर. हालांकि इसमें समय-समय पर कैंडल बदलने की जरूरत होती है, ताकि पानी बेहतर तरीके से साफ हो सके.
मल्टी स्टेज प्यूरीफिकेशन: मल्टी स्टेज प्यूरीफिकेशन को बिना बिजली के ही उपयोग में लाया जा सकता है और इसकी लागत भी कम होती है. देखने में यह पारंपरिक फिल्टर की तरह होता है. इसमें पानी कई चरणों में साफ होता है. पहले प्री-फिल्टर प्यूरीफिकेशन होता है, उसके बाद एक्टीवेटेड कॉर्बन प्यूरीफिकेशन किया जाता है, फिर पानी से हानिकारक बैक्टीरिया खत्म किए जाते हैं और सबसे अंत में पानी की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिहाज से उसका स्वाद बेहतर किया जाता है.
क्लोरीनेशन: क्लोरीनेशन पानी साफ करने की बहुत पुरानी प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया से पानी शुद्ध होने के साथ उसके रंग और सुगंध में भी परिवर्तन आ जाता है. विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आ चुके बदलावों के बावजूद क्लोरीन का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है. पानी हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने के लिए नगरपालिका, अस्पताल, रेलवे आदि में इसका प्रयोग किया जाता है.
हैलोजन टैबलेट : आकस्मिक परिस्थितियों में पानी साफ करने के लिए हैलोजन टेबलेट उपयोगी होती है. पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता है. ये गोलियां पानी में पूरी तरह घुलनशील होती है.
आरओ सिस्टम : पानी को साफ करने की एक नई तकनीक पिछले कुछ सालों से बाजार में उपलब्ध है. इस तकनीक का पूरा नाम है- रिवर्स आसमोसिस प्रोसेस, जिसे हम आरओ के नाम से जानते हैं. इस तकनीक में पानी को बेहद तेज दबाव के साथ साफ किया जाता है. आरओ सिस्टम द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम हो जाती है. यह पेयजल को साफ करने का उच्चस्तरीय तरीका है. प्रभावशाली आरओ तकनीक शुरुआती चरण में ही पानी की तमाम अशुद्धियों को दूर कर देता है. घरों में प्रयोग किए जाने वाला आरओ सिस्टम 220 से 240 पीपीएम युक्त पानी को स्वच्छ कर 25 पीपीएम तक ले आता है. आरओ सिस्टम पानी को पांच चरणों में साफ करता है और उसे गंदगी, धूल, बैक्टीरिया आदि से मुक्त कर शुद्ध व मीठा बनाता है. आरओ प्रक्रिया में पानी को कई महीन झिल्लियों से गुजारा जाता है और इसके बाद पानी में मौजूद सभी बैक्टीरिया व रसायन बाहर निकल जाते हैं. ये सारी महीन झिल्लियां बिजली से संचालित होती हैं और इनसे गुजरने के बाद गंदे से गंदा पानी भी पीने योग्य बन जाता है.
यूवी रेडिएशन सिस्टम : पानी साफ करने के लिए यूवी रेडिएशन विधि का भी इस्तेमाल किया जाता है. यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए अव्यवस्थित हो जाते हैं. साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं, जिससे पानी मनुष्य के इस्तेमाल योग्य हो जाता है. इस प्रक्रिया में पानी में न कुछ मिलाया जाता है और न ही किसी खनिज को हटाया जाता है. यूवी प्यूरीफायर्स तीन-चार प्यूरीफिकेशन चरणों में आते हैं, जिनमें सेडीमेंट फिल्टर यानी प्री फिल्टर प्रक्रिया और सक्रिय कार्बन कार्टिरेज प्रमुख हैं. यह प्यूरीफायर वहां उपयोगी होता है, जहां लोग नगरपालिका का पानी इस्तेमाल करते हैं. हालांकि इस तकनीक का कमजोर पक्ष यह है कि यह तकनीक घुलनशील सॉलिड के स्तर में बदलाव कर पाने में सक्षम नहीं होती है.
पानी साफ करने के प्रत्येक तकनीक के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं, ऐसे में जरूरी है कि पानी के स्रोत और गुणवत्ता आदि के आधार पर ही उसे साफ करने की तकनीक का चयन किया जाए.