टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। वह भारत के पहले एथलीट हैं जिन्होंने ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि ओलंपिक में हमारी मेहनत रंग लाई। नीरज चोपड़ा ने कहा कि देश आकर गोल्ड मेडल जीतने का बड़ा एहसास हुआ। देश का अगर प्रधानमंत्री आपको सपोर्ट कर रहा है तो यह बड़ी बात है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मुझसे भी बात की। उन्होंने हमें जब फोन किया तो अच्छा लगा। देश का पीएम खिलाड़ियों से बात करे ये बहुत बड़ी बात है। नीरज ने कहा कि उनका अगला टारगेट विश्व चैंपियनशिप है।
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) की योजना समिति ने फैसला किया है कि देश में हर साल 7 अगस्त को जेवलिन थ्रो डे मनाया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इस खेल से जोड़ने के लिए ऐसा किया जाएगा। पिछले 7 अगस्त को ही नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के योजना आयोग के अध्यक्ष ललित भनोट ने यह जानकारी दी। वे टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेने वाले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट्स के सम्मान समारोह के दौरान बोल रहे थे।
90 मीटर का सपना पूरा करूंगा
नीरज ने कहा कि वे जल्दी ही 90 मीटर थ्रो का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ओलिंपिक में यह नहीं हो पाया। हालांकि, इसे ज्यादा जरूरी था कि हमें एथलेटिक्स में मेडल मिले और ऐसा ही हुआ। खास बात यह रही कि हमें यह मेडल गोल्ड के रूप में मिला। इस बात की मुझे बहुत खुशी है।
टोक्यो में भारत को दिलाया इकलौता गोल्ड
नीरज टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले और इकलौते खिलाड़ी बने थे। वे किसी भी ओलिंपिक के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं। टोक्यो में जेवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज ने 87.58 मीटर के थ्रो साथ भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया। नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल जीते। यह किसी एक ओलंपिक खेल में सबसे अधिक मेडल लाने का भारत का नया रिकॉर्ड है।
13 साल बाद भारत के खाते में आया गोल्ड
नीरज चोपड़ा ने पिछले 13 साल से जारी ओलिंपिक में भारत के गोल्ड के सूखे को समाप्त किया। 2008 में बिंद्रा को गोल्ड के बाद से यह भारत का इन खेल महाकुंभ में सोने का पहला तमगा है।