नरेंद्र मोदी भले ही बायोलॉजिकल एक्सिडेंट से तेली जाती में पैदा हुए होंगे ! लेकिन उनके खुद के कथनों के अनुसार वह अपने घर से उम्र के सत्रह साल के थे उस समय निकल गए थे! भारतीय जनता पार्टी का मातृ संघठन आर एस एस के प्रचारक थे ! उस संघठन के प्रमुख श्री. मोहन भागवत अयोध्या के शिलान्यास के कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री जो आजकल अपने आपको ओबीसी कहलाने में गर्व महसूस करते हैं ! और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शायद ओबीसी में आते हैं ! ऐसा सुना है ! इन दोनों की उपस्थिति में मनुस्मृति का श्लोक जिसमें ब्राम्हण का महिमामंडन करने का संपूर्ण आशय वाले
“एतद देशप्रसूतस्य सकाशाद अग्रजन्मनः !


स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन पृथिव्यां सर्वमानवाः!( मनुस्मृति 2-20 ) मतलब समस्त पृथ्वी के लोगों ने ब्राम्हणों (अग्रजन्मनः) से अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखना चाहिए ! क्या यह समस्त गैरब्राम्हन समाज जो कि 97% है उसका अपमान नहीं किया है ? कौनसा ब्राम्हण विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है ? अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी समस्त यूरोपीय देशों से लेकर चीन, जापान कोरिया तथा विएतनाम और दक्षिण एशियाई तथा पस्चिम एशियाई देशों की तरफ देखने से कौन सा ब्राम्हण वहां मार्गदर्शन कर रहा है ?
रहीं बात भारत की और उसका मार्गदर्शन अगर ब्राम्हणों के द्वारा हुआ है तो आज यह स्थिति नही होती ! हजारों वर्ष गुलामों के तरह रहना यह अगर ब्राम्हणों के मार्गदर्शन के रहते हुए हुआ है तो आज ब्राम्हणों को हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार जबरदस्त प्रायश्चित करना चाहिए ! और कम-से-कम अपने मार्गदर्शन की भूमिका को छोड़कर दूसरों का मार्गदर्शन लेना चाहिए ! क्योंकि मनुस्मृति के अनुसार अगर आप लोगों ने पांच हजार वर्ष मार्गदर्शन करके भारतीय समाज की अवस्था जानवरों से भी भयानक बनाने के लिए जिम्मेदार आप लोग हो और यह दलित ओबीसी का पचडा आपने दी हुई जातीय संस्कृति की देन है ! इसलिए आज देश में डॉ राम मनोहर लोहिया ने सौ मे पावे पिछडा साठ के सिद्धांत के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा कुछ हदतक छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र, कर्नाटक आंध्र, तेलंगाना तथा तामिळनाडू और केरल जैसे राज्यों में की राजनीति ओबीसी के केंद्र में जारी है ! वह तो उत्तर भारत में आप ब्राम्हणों ने ओबीसी राजनीति को शह देने के लिए ही बाबरी मस्जिद – रामजन्मभूमि का मुद्दा उठाया है ! और अब राम मंदिर बनने के बाद क्या ? और गौतम अदानी जैसे लोगों को खुद बड़ा करने के लिए सभी नियम कानून ताक पर रखकर जो काम किया है उसका भंडाफोड हो चुका है और इसलिए अब अचानक ही ओबीसी के अपमान की बात कहाँ से आती है ? यह जो भगोड़े लोग हैं जिसमें विजय माल्या छोड़ कर सबके सब गुजरात के और उसमे कोई मोदी है तो कोई चौकशी इनके नाम लेने से अगर आप किसी को जातिवादी बोलते हो तो फिर आप चोरों को छुपाने या बचाने के लिए यह सब और मुख्यतः गौतम अदानी नाम के आदमी को बचाने के लिए ही यह तमाशा कर रहे हो !


जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने लाइव्ह टेलिकास्ट किया है ! जिस पर मैंने आवाज इंडिया टीवी चैनल पर मुलाकात दी है ! और चौथी दुनिया में लिखा भी है ! मतलब सामने एक भारत के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति ! भले वह जन्मना ब्राम्हण नही है ! और दुसरी तरफ उस प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शायद ब्राम्हण नही थे ! और जिस रामलला के मंदिर का शिलान्यास कर रहे थे ! वह भी ब्राह्मण नही थे ! और उन्होंने इस श्लोक को वहां पर कहने का औचित्य क्या था ? खुलेआम ब्राम्हण जाती के श्रेष्ठत्व का श्लोक अयोध्या के शिलान्यास के समय उच्चारण भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में किया जाता है ! उस समय कहा गया ओबीसी का स्वाभिमान ? जिस शिलान्यास कार्यक्रम का समस्त ईलेक्ट्रॉनिक मिडिया के द्वारा प्रसारण किया जा रहा था !


मुझे गौतम अदानी की जाती मालूम नहीं है ! लेकिन उनके आर्थिक घोटाले को उजागर किया तो वह बोलता है भारत पर हमला ! हो सकता कि वह सवर्ण जाती का होगा ! अन्यथा 14 जनवरी से ही ओबीसी के उपर हमला बोला जा सकता था ! और किसी ने कोई नाम लिया तो वह ओबीसी का अपमान ! फिर तो लालू प्रसाद यादव के परिवार के सभी सदस्यों को ! जिसमें गर्भवती बहू को भी नहीं बख्शा ! और बेटीया बेटे और राबडी देवी के साथ आए दिन ईडी तथा सीबीआई के लोग आरती उतारने के लिए जा रहे हैं ! लगभग नौ सालों से लगातार उन्हे और उनके परिवार के सदस्यों को परेशान किया जा रहा है ! शायद गौतम अदानी का आर्थिक घोटाले के आकडे लालू प्रसाद यादव के घोटालों के सामने राई के दानों जैसे भी नहीं है ! और यह सिर्फ गौतम अदानी के लिए ही सब कुछ किया जा रहा है ! पार्टी वुईथ डिफरंस का दावा करने वाली पार्टि बीजेपी गौतम अदानी के मामले में बुरी तरह से फस गई है ! क्योंकि राहुल गांधी के विदेश यात्रा की वार्ता से लेकर सुरत के कोर्ट के फैसले को लेकर तुरंत ही लोकसभा की सदस्यता से हटाने का फैसला किस बात का प्रतीक है ?


महाराष्ट्र के एक स्वतंत्र विधायक है ! बच्चू कडू नाम के, उन्हे कोर्ट ने कबका उनकी विधानसभा की सदस्यता से हटाने का फैसला दिया है ! और वह आज भी महाराष्ट्र के विधानसभा में बैठ रहे हैं !


गूजरात के दंगों में कौन लोग मारे गए ? किसी जमाने के दलित पिछडी जातीयो के लोगों ने हिंदू धर्म से अस्पृश्यता से तंग आकर ही धर्म परिवर्तन किया है ! और मुस्लिम समाज को अपनाने के बाद भी वह पिछड़े ही है ! आजकल नरेंद्र मोदीजी खुद पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लोगों को स्नेह देने का उपदेश दे रहे हैं ! और मैंने लिखा कि स्नेह के साथ सुरक्षा भी देने की आवश्यकता है ! वह कौन लोग हैं ? जिन्होने गुजरात के दंगों में अपनी जाने गवाई है !


और राना आयूब की गुजरात फाईल्स नाम की किताब में जो गुजरात दंगे के पहले नरेंद्र मोदी को मारने के लिए विशेष रूप तथाकथित फिदायीन हमलावरों के एंकाऊंटर करने वाले जिसमें 19 साल की इशरत जहाँ भी थी ! तत्कालीन गुजरात एटीएस के प्रमुख गिरिश सिंघल दलित थे वैसाही सोहराबुद्दीन और उनकी पत्नी कौसरबी तथा तुलसी प्रजापति को एंकाऊंटर करने के लिए तत्कालीन एटीएस चिफ डी जी वंजारा नोमेडिक तथा पांडियान, अमिन परमार को राज्य के तरफसे इस्तेमाल किया और सजा सुनाई गई है ! यह सभी ओबीसी जाती के लोग थे यह भी वास्तविक स्थिति के रहते हुए ! अब अचानक राहुल गांधी की आडमे ओबीसी की रट लगाते हुए देखकर मुझे भारतीय जनता पार्टी के लोगो के दिमाग पर तरस आ रहा है !


जो लोग जातीय जनगणना के विरोध में बिहार सरकार की आलोचना कर रहे हैं ! और खुद राष्ट्रीय स्तर पर जातियों को लेकर जनगणना करने के लिए टाल-मटोल कर रहे हो ! वह ओबीसी के अपमानित होने की बातें करते हुए देखकर मुझे हसी आ रही है ! और वी पी सिंह ने जब मंडल की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था तो बीजेपी ने उनकी सरकार का समर्थन वापस ले लिया है ! तब ओबीसी प्रेम बाबरी मस्जिद विध्वंस के खंडहरों में दफन किया था ? इतिहास में बीजेपी की यह भूमिका हमेशा – हमेशा के लिए दर्ज हो चुकी है ! और ओबीसी आरक्षण के खिलाफ जो आंदोलन चलाया गया था ! उसके पिछे कौन लोग थे ? आरक्षण के खिलाफ गुजरात का रेकॉर्ड सत्तर के दशक से ही बहुत खराब है ! सबसे पहले भारत में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत गुजरात से शुरु हुई है ! इसलिए किसी प्रियंका गांधी ने कुछ कहा तो तुरंत ओबीसी का अपमान राहुल गांधी के वक्तव्य में नाम है ! किसी खांस जाती संप्रदाय का उल्लेख नहीं है ! बीजेपी तथा संघ परिवार के लोग घोर जातिवादी होने के बावजूद आज ओबीसी के अपमान की बात कर रहे हैं ! संघ की स्थापना ही उच्च जाति का शासन हमेशा से चलता रहने के लिए विशेष रूप से किया गया है ! 1920 के नागपुर कांग्रेस में महात्मा गाँधी जी के अश्पृश्यता के विरोध में प्रस्ताव पारित होने की घटना से हेडगेवार, डॉ. मुंजे, परांजपे जैसे हिंदूत्ववादी लोगों को लगा कि अब कांग्रेस में रहने का कोई मतलब नहीं है ! और इसीलिये 1925 के दशहरे के दिन संघ की स्थापना की गई है !


उत्तर प्रदेश के दलीत और ओबीसी महिलाओं के अत्याचार की घटनाएं को लेकर प्रशासन ने कैसे – कैसे कारनामे किए हैं ? ताजा हाथरस के वुलगढी की मनिषा की घटना को लेकर क्या किया ? भारतीय जनता पार्टी खुद भारत के सवर्ण जातियों की पार्टी है ! उसे कबसे ओबीसी और दलितों का प्रेम होने लगा ? आज सौ साल हो चुके संघ को लेकिन भारत के एक भी दलितों के अत्याचार के मामले में संघ ने कोई पहल नहीं की है ! नागपुर से 70 किलोमीटर दूर खैरलांजी की जधन्य घटना की जगह पर जाकर देखने का कष्ट नहीं किया ! डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी के नाम औरंगाबाद के विश्वविद्यालय के देने के लिये नागपुर से निकाला गया लॉंग मार्च में शामिल होने की बात तो दूर उसके समर्थन में कोई निवेदन तक नहीं है !
संघ ने डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी के समता शब्द की जगह पर समरसता शब्द का इस्तेमाल शुरू किया है ! क्योंकि समता मे एक-दूसरे के साथ बराबरी का दर्जा देने की बात है ! समरसता मतलब तुम जिस जाति में पैदा हुए हो उसी में रहते हुए समरस हो जाओ ! ऐसे पाखंडीयो के मुहँपर ओबीसी और दलितों की बात देखकर मुझे रह- रह कर हसी आ रही है !और सबसे आखिरी बात !


1936 में हिंदू धर्म की जाती व्यवस्था से तंग आकर ! डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी ने येवला की सभा में घोषित किया कि “मै भले ही हिंदू धर्म में पैदा हुआ होगा ! लेकिन मरने के पहले हिंदू धर्म का त्याग कर के ही मरूंगा ! ” और बीस साल के बाद ! इसी नागपुर में दिक्षाभूमी पर अपने लाखों अनुयायियों के साथ 1956 के दशहरे के दिन ! बौद्ध धर्म में धर्मांतर किया है ! भारत की जाती व्यवस्था के और तथाकथित हिंदू धर्म के ठेकेदारों के मुहँपर डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी ने शेकडो सालों के बाद ! अपनी कृती के द्वारा झन्नाटेदार तमाचा मारा है ! क्योंकि उनकी घोषणा को बिस साल होने के बिच के समय में तथाकथित हिंदू धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें मनाने के लिए कोई सार्थक पहल करने का प्रयास किसिने भी किया नहीं है ! क्योंकि हजारों साली से दलितों और पिछड़ी जाति के लोगों को हिंदू धर्म छोड़कर जाने की परवाह कभी भी नहीं की है उल्टा हिंदू धर्म का कचरा साफ हो रहा है ! इसलिए कुछ लोगों ने कभी वापस आने की इच्छा व्यक्त की है जिसमें बैरिस्टर मोहम्मद अली जीना के पिता है जो कुछ समय पहले तंग आकर आगाखानी बोहरा धर्म अपना लिए थे तो उन्हें घरवालों ने कहा कि हमें हिंदू धर्म में ही रहना है ! इसलिए वह वापस आने के लिए बोलें तो उन्हें कहा गया है कि हिंदू धर्म से जानें का दरवाजा खुला है लेकिन आने वाले दरवाजे में खुलने का प्रावधान नहीं है ! अब घरवापसी का ढकोसला कर रहे हैं लेकिन लोगों ने पुछा की अगर हम वापस हिंदू धर्म में आ गए तो कौन सी जाती में डालोगे ? सभी को उच्च जाति में प्रवेश चाहिए जो बंद है तो निचले स्तर पर ही रहना है तो क्यों हम अपने पूराने धर्म को छोड़कर इसमे आऐंगे ? हिंदू धर्म का पाखंड जबतक कम नही होता और तब लोहिया के हिंदू बनाम हिंदू वाली बात बंद नहीं होती है ! तबतक हिंदू धर्म का कल्याण संभव नहीं है !


डॉ सुरेश खैरनार 25 मार्च, 2023 नागपुर

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