मुझे सांप्रदायिक सद्भावना के काम के कारण, 2008 में, अमेरिका स्थित महाराष्ट्र फौडेंशन द्वारा ! शहीद हेमंत करकरे जी की पत्नी, श्रीमती कविता करकरे जी के कर कमलों से ! प्रदान पुरस्कार समारोह की तस्वीर है !

आज इस पुरस्कार को चौदह साल पूरे होने जा रहै है ! मतलब एक तप ! इस एक तप में दंगों की राजनीति करने वालों के हथो में ! वर्तमान समय में भारत की बहुआयामी संस्कृति वाले देश की सत्ता चली गई है ! और सबसे हैरानी की बात ! कल शुक्रवार को, गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ! हमारे देश के कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालने वाले विभाग के मंत्री !

जिसे गृहमंत्री कहा जाता है ! वह अमित शाह दंगों को हमेशा के लिए शांति बहाल करने की कृती कह रहे हैं ! और वह भी अहमदाबाद के नरोदा पटिया, जैसे दोसौ से अधिक लोगों को ! जिंदा जला देने की घटना को ! अंजाम देने वाले, मुख्य आरोपी की लड़की को विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट देने के बाद ! उसके चुनाव प्रचार में बोलते हुए !
और दुसरे तरफ हमारे देश में 26 नवंबर हमारे संविधान को, बहाल करने के तिहत्तर साल के, उपलक्ष्य में कार्यक्रम भी जारी है ! कोई संविधान की उद्घोषणा के पढ़ने के कार्यक्रम कर रहे हैं ! तो कोई हमारे संविधान की महत्वपूर्ण धाराओं को लेकर सभा संमेलन को संबोधित कर रहे हैं ! और जिन्हें संविधान की शपथ लेकर, देश की वर्तमान कानून व्यवस्था की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ! वहीं दंगों को शांति प्रदान करने की कृती बोलकर क्या संदेश दे रहे हैं ? हमारे देश में एक ही समय में कितने परस्परविरोधी कार्यक्रम जारी है ? और इसीलिए मुझे आजसे चौदह साल पहले सांप्रदायिक सद्भावना के लिए मिले पुरस्कार से सम्मानित करने की कृती पर खुद को ही अपराधी पन महसूस कर रहा हूँ ! क्योंकि भागलपुर दंगे के बाद, शांतिनिकेतन तथा बंगाल और भागलपुर के सभी परिवर्तनवादी समुहो के साथीयो के साथ ! हमारे तैतीस साल के कोशिशों के बावजूद ! आज गुजरात के दंगों को शांति प्रदान करने के लिए की गई कृति बोलने वाले व्यक्ति को ! भारत जैसे बहुआयामी संस्कृति के देश की ! कानून और व्यवस्था संम्हालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ! ऐसे व्यक्ति के मुहसे !


मालेगाँव तथा समझौता एक्सप्रेस अजमेर शरिफ, मक्का मस्जिद हैदराबाद, नांदेड विस्फोट जैसे संगीन अपराधों के केसेस मे शामिल ( जिसके खिलाफ कोर्ट में सुनवाई जारी रहते हुए ! ) प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल से भारतीय जनता पार्टी का टिकट दिया गया है ! और आज वह हमारे देश के सबसे बड़े सभागृह में बैठी है ! और कई संवेदनशील कमिटीओ की सदस्या भी है !


मूलतः यह पुरस्कार महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री श्री. मधूकरराव चौधरी जी के हाथों से देने की बात थी ! पर दोपहर के भोजन के पहले ! हम पुरस्कार से सम्मानित होने वाले लोगों के, मनोगत व्यक्त करने के बाद ! पुरस्कार आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री. सुनील देशमुख जी ने मुझे अकेले में पूछा ! “कि आपकों अकेले को तय मेहमान की जगह शहिद हेमंत करकरे की पत्नी , श्रीमती कविता करकरे जी के हाथों से देने की बात है ! क्या आप की इजाजत हैं ?” उस समय राष्ट्रपति पद पर श्रीमती प्रतिभा पाटिल विराजमान थीं ! मैंने कहा था ! ” कि आप लोगों ने मुझे यह पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल और श्रीमती कविता करकरे जी में तुलना करने के लिए पूछा होता ! तो मैंने कविता करकरे जी के कर कमलों से प्रदान करने के लिए ही हा कहाँ होता ! क्योंकि हमारे देश के सबसे जांबाज़ पुलिस अफसरों में से एक ! शहिद हेमंत करकरे की पत्नी के हाथों ! यह पुरस्कार पाने का मौका मिलेगा यह मैने सपने में भी सोचा नहीं था !” और पुरस्कार लेने के बाद दो मिनट बोलने की इजाजत मांगी !


कयोंकि हमारी बात भोजन के पहले हो चुकी थी ! लेकिन आयोजकों ने मुझे अकेले को यह सहुलियत दी ! तो मैंने तपाकसे बोला “कि गुजरात के मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीने शहीद हेमंत करकरे जी की शहादत के बाद आपके घर आकर ! आपको कुछ करोड़ रुपये देने की बात की थी ! और आपने इनकार कर दिया था !

और उसी समय, अमेरिका के उस समय के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश, इराक के युद्ध के बाद इराक की राजधानी, बगदाद में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए ! एक इराकी पत्रकार ने जूता उछाल कर मारा था ! मेरे लिये इस दशक के आप दोनों संसार के सबसे आदरणीय लोगों में से एक हो ! मेरा दोनों जांबाज लोगों को सैल्यूट है ! क्योंकि जो आत्मसम्मान आप ने और उस इराक के पत्रकार ने दिखाया है ! इसलिए मेरे मन में विशेष रूप से आप और उस इराक के पत्रकार के लिए मनमे जो आदर था ! लेकिन आज महाराष्ट्र फौंडेशन पुरस्कार के आयोजन समिती के अध्यक्ष श्री. सुनील देशमुख के कारण अचानक मुझे आपके हाथ से पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद !


विशेष बात यह है ! कि उस समय के पुरस्कार से सम्मानित होने वाले लोगों में प्रोफेसर राव साहब कसबे, प्रज्ञा दया पवार, आनंद तेलतुंबडे, जयदेव डोळे आदि मित्र भी थे ! और सामने प्रेक्षागृह में मेरे राष्ट्र सेवा दल की बचपन की बॅचमेट मेधा पाटकर, मुंबई पुलिस के जांबाज अफसर श्री. सुरेश खोपडे तथा मराठी भाषा के मुर्धन्य साहित्यकार श्री. अशोक शहाणे तथा दलित पैंथर के जाहीरनामा लिखने वाले लोगों में से एक मित्र एडवोकेट सुनिल दिघे तथा महाराष्ट्र के पुरोगामी आंदोलन के महत्वपूर्ण साथीयो में से बहुत सारे लोग मौजूद थे ! और मेधा पाटकर ने तो तुरंत ही कार्यक्रम के समापन के बाद मेरे दोनों हाथों को पकडते हुए ! कहा “कि आपके समयसूचकता कि दाद देनी पड़ेगी ! क्योंकि आपने नरेंद्र मोदी और जॉर्ज डब्ल्यू बुश के दोनों ताजा उदाहरणों को देकर सिर्फ दो मिनट के अंदर जो बात कही है ! वह किसी एक घंटे के भाषण से भी ज्यादा असरदार है !” और एडवोकेट सुनिल दिघे तो उस कार्यक्रम के बाद मुझे अपने घर जो शिवाजी मंदिर के बगल में स्थित, एक बिल्डिंग में होने के कारण ! जबरदस्ती से लेकर गए ! और उन्होंने कहा” कि मेरी पत्नी ने मुझे आज इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर आपके लिये ही भेजा था ! कि संभव हो तो डॉ. सुरेश खैरनार को आज अपने आवास पर जरूर लेकर आना है ! “और उनकी पत्नी ने कहा कि हम टीवी चैनल पर, आपके इंटरव्यू बराबर देखते हैं ! आपकी स्पष्टवादिता के कारण आपके जीवित को लेकर हमे चिंता होती हैं ! इसलिये मैंने मेरे पति को कहा था ! कि डॉ. सुरेश खैरनार मुंबई आए तो कभी अपने घर जरूर बुलाना है ! और मुझे उन्हें यह सलाह देनी है ! कि सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ वह जिस तरह से खुलकर बोलते हैं ! इसलिए मुझे उनके जीवन के प्रति चिंता होती है ! ” साथियों इस तरह महाराष्ट्र की एक गृहीणी अगर मेरे जैसे कार्यकर्ता की चिंता करती हैं ! और वह आज अपने आवास पर बुलाकर इतने प्रेम से बता रही है !

यह देखकर और भी हिंमत बढती है ! कि हमारे देश में अभिभी बहुत कुछ संभावना – शक्यताए बाकी है ! क्योंकि भागलपुर, गुजरात के दंगों से लेकर मुंबई के 26 /11 तक कि घटनाओं को देखते हुए काफी चिंता होती है ! कि आखिर हमारे देश के सबसे बड़ी जनसंख्या सामान्य नागरिकोको क्या हो गया है ? वह क्यों मुकदर्शक बनकर यह सब होने दे रहे हैं ?
वैसे ही मुझे 2015 के दिसंबर में इराक जाने का मौका मिला था ! ढाई-तीन करोड़ आबादी के इराक के युद्ध में, मारे गए लोगों की संख्या है, पंद्रह लाख ! और उसमे पंद्रह साल से भी कम उम्र के बच्चों की संख्या है पांच लाख है ! जो नागासाकि और हिरोशिमा जैसे एटमी हमले में मारे गए लोगों की संख्या से अधिक है !


इराक की दोनों बड़ी नदियों में, (टिग्रिस और युफ्रेटिस) जहर मिलाने से ही जहरीला पानी पीने के कारण ! ज्यादा तर मौतें हो गई है ! और सबसे हैरानी की बात विश्व के मिडिया में यह बात कही भी नहीं है ! हालांकि विश्व के इतिहास में पहली बार किसी युद्ध में ! मिडिया के लोगों को फाईव्ह स्टार जहाज से विशेष रूप से ! अमेरिका के सेना प्रमुख ने इंतजाम कर के लेकर गए थे ! और शायद इतिहास में पहली बार किसी युद्ध को लाईव्ह टेलीकास्ट करके दिखाया गया है ! जैसे कोई क्रिकेट या फुटबॉल का खेल हो !
मैं इराक में बगदाद, नजफ – कर्बला तथा बाबीलोन के प्रवास के दौरान ! सिर्फ खंडहरों में तब्दील इराक की तस्वीर देख कर हैरान-परेशान हूँ ! जिसकी विश्व में कोई भी चर्चा हुई हो ऐसा मुझे मालूम नहीं है ! अगर मुझे 2015 में इराक जाने का मौका नहीं मिला होता ! तो मुझे भी कहा पता चलता ? और इसीस या अबू बक्र अल बगदादी जैसा आतंकवादी कैसे पैदा होते हैं ? जैसे सवालों का जवाब कैसे पता चलता ?


लेकिन मुझे बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक ! के कुछ परिवारों में यह चिंता और स्नेह देखकर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से काम आता है ! हालांकि उसके बाद डॉ नरेंद्र दाभोळकर, एडवोकेट गोविंद पानसरेजी तथा प्रोफेसर कलबुर्गी तथा गौरी लंकेश और जस्टिस लोया जैसे लोगों को अपने जीवन से हाथ धोने के उदाहरण नजर के सामने है ! और सबसे बडा उदाहरण आजसे पचहत्तर साल पहले महात्मा गाँधी जी की हत्या के उदाहरण नजरो के सामने है ! लेकिन मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण डायलॉग जो शोले नाम के सिनेमा में गब्बरसिंह के मुहमे है “कि जो डर गया वह मर गया ! ”


इस कारण वर्तमान समय में भारत के काफी बडे हिस्से पर ! डर का माहौल बनाने में सांप्रदायिक शक्तियों को कुछ हद तक कामयाबी मिली है ! और उसे कम करने के लिए विशेष रूप से कोशिश करते रहना चाहिए ऐसी मेरी मान्यता है ! सिर्फ तात्कालिक रूप से नफरत भगाओ या भारत जोडों से नहीं होगा ! और यह बात मै भागलपुर दंगे के बाद लगभग तैतीस साल से भी ! अधिक समय से ! लगातार बोल लिखने की कोशिश कर रहा हूँ !


अन्यथा अभि गुजरात के चुनाव में नरोदा पटिया जैसे ! ढेढ सौ से अधिक लोगों को जिंदा जला कर मार डालने वाले ! और कई औरतों के साथ बलात्कार, तथा कौसर बानो जैसी नौ महीने की, गर्भवती स्त्री के पेट को फाड़कर, उसके गर्भ को त्रिशूल पर लेकर, जुलूस निकालने जैसे कृत्य करने के जैसे घटनाओं को अंजाम देने वाले ! नरोदा पटिया के बिभत्स कांड के अपराधियों में से एक की बेटी पायल को ! भारतीय जनता पार्टी टिकट देकर ! चुनाव में खड़े करने की कृती ! और उसके चुनाव प्रचार में देश के गृहमंत्री पदपर बैठे हुए अमित शाह गुजरात के दंगों को शांति बहाल करने की कृती बोलने की हिम्मत कर रहे हैं ! मतलब युद्ध ही शांति है ! क्या यह स्मशान शांती तो नही है ना?????????????????
डॉ सुरेश खैरनार 26 नवंबर 2022, नागपुर

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