जिसमें एक मुक्त पत्रकार मनददिप पुनिया का एकमात्र गुनाह है कि 26 जनवरी के लाल किले के बाद हरियाणा सरकार और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के कारनामे करते हुए फोटो और विडियो के माध्यम से तथाकथित स्थायी लोगों के नाम पर हमला करने वाले लोगों को एक एक का नाम पता और बीजेपी के कौनसे पदपर है ! और यह षडयंत्र का पर्दाफाश करने का ऑडियो वीडीओ रेकार्ड उसने बहुत ही पुख्ता सबूत इकट्ठा कर के हरियाणा और केंद्र सरकार के कुछ खुरापती लोगों को एक्सपोज किया है !

क्योंकि गय छ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है वर्तमान सत्ताधारी दल के लोगों को ज्यादा तर सरकारी भाट बने हुए मीडिया की आदत जो हो गई है ! इस तरह स्वतंत्र पत्रकार को लेकर बीजेपी कभी भी पाजिटिव नहीं रही है और नाही उनके मातृ संघटन संघ परिवार के लोगों को भी नहीं इस तरह के लोग कभी भी पसंद नहीं है उनके लिए वह बायस पत्रकार है जैसे रवीश कुमार,करन थापर,राजदिप सरदेसाई,और इस तरह के अन्य लोगों को वह बायकाट करते हैं ! जैसे के उदाहरण के लिए विशेष रूप से एक झलक करन थापर की देता हूँ !

इस बहाने 2007 साल का करण थापर का तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी को उनके सरकारी आवास पर इंटरव्यू देते हुए देखा है कि जैसे ही वह गुजरात दंगा के संदर्भ मे सवाल करने के बाद नरेंद्र मोदी जीने करन थापर को जवाब देने की जगह हमारी दोस्ती बनी रहे और तीन मिनट में इंटरव्यू बंद कर के खुद उस कमरे से उठकर चले गये और आज उस घटना के बाद चौदहवाँ साल हो रहा लेकिन करन थापर को बीजेपी का कोई भी प्रतिनिधियों को अधिकृत बात करने की मनाही है ! थोड़ा भी किसी पत्रकार ने उन्हें सही सवाल किया या सत्य का अन्वेषण करने की कोशिश की तो उसके साथ क्या होता है जिसका ताजा-तरीन उदाहरण छ पत्रकारों के उपर 26 जनवरी के बाद विभिन्न कारवाईयो का सामना करना पड़ रहा है ! जिसमे से मनदिप का मामला ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि उसे कहा लेकर गये हैं?और उसके साथ क्या हो रहा है?और वह जिंदा हैं या नहीं ? यह भी पता नहीं चल रहा है !

और वही अर्णव के मामले में संपूर्ण बीजेपी मैदानमे उतर पडी थी और वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देकर उसका पक्ष लेते हुए सभी ने देखा है और अब यह पत्रकारोंके मामलोंमें बीजेपी की क्या भूमिका है ?
एक तरफ आंदोलन के जगह पर फर्जी आंदोलन वाले 26 तारीख को आंदोलन को बदनाम करने के लिए विशेष रूप से लाल किले तक पहुंचाने के लिए कौन जिम्मेदार है ? उनके साथ नरेंद्र मोदी जी तथा अमित शाह के और हेमामालिनी और सनी दिओल के साथ के फोटो और विडियो पर्याप्त सबूत हैं ! यह दिप सिधू कितना सीधा है यह वह लाल किले के कारनामे करने के बाद जब वापस आंदोलन स्थल पर आये और लोगों ने जब उसे जवाब-तलब किया तब वह क्यों भागा ? और आज वह कहा है ? पुलिस अन्य लोगों को नोटिस थमा रही है लेकिन इसके बारे मे क्या कार्रवाई हो रही है ?
और आईटीओ यानी दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के सामने ही तथाकथित हुदडंगबाजी करवाने के लिए विशेष रूप से यह दोनों घटनाओं की अगर निस्पक्ष जाँच होगी तो वर्तमान सरकार के कारनामे पूरी दुनिया के सामने उजागर हो जायेगा ! और रातमे दल बल के साथ विशेष रूप से यूपी पुलिस और कुछ और अधिकारियों को राकेश टिकैत को घेरने की बात काफी संगीन लगती है और शायद वह खुद कभी पुलिस की नौकरी मे रहने के कारण वह खुद यूपी सरकार के इरादे भांप कर जो भी भावुक होकर रोना आया और यह बात जब फैलने लगी तो आधी रात को ही हजारों की संख्या में लोगों को अपने-अपने घरों से निकल ने के लिए मजबूर कर दिया है और वह नजारा देखने के बाद पुलिस प्रशासन ने अपने आप को अलग कर के उस जगह पर से हटाने का निर्णय लिया है ! और जिस आंदोलन को लाल किले की घटना का बहाना बनाकर खत्म करने की योजना धरी की धरी रह गई है और पूरे आंदोलन के दौरान पहली बार प्रधानमंत्री जी को आज मनकी बात में एक फोन की दूरी पर वार्ता है जैसे जुमले को मजबूरीमें ही सही लेकिन अपना मौन तोडना पडा है ! लेकिन मेरा मानना है कि इस तरह षड्यंत्र करके खत्म करने के कारनामे सरकार जितनी जल्दी हो बंद कर के सही मायने मे भारत को बचाने के लिए विशेष रूप से भारत की खेती को बचाने के लिए अब ज्यादा चुहा बिल्ली के खेल को छोड़कर सीधे मुद्दों पर आकर किसानों के आंदोलन का सम्मान करते हुए बिल को वापस ले इसिमे देश की भलाई है अन्यथा 74 साल के सफर में और भी सरकारे आई है और गई है और आप कोई अमरपट्टा लेकर तो नहीं आये हो कि मन मर्जी सब कुछ बेचकर चला जाऊंगा तो लोग इतनी आसानी से नहीं जाने देंगे यह बात जरूर ध्यान में रखिये अन्यथा तेरे कुचेसे बेआबरू होकर जाओगे इतना पक्का !

अमेरिका के संसद में 6 जनवरी को भेजकर हंगामा करने के लिए विशेष रूप से तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शत-प्रतिशत जिम्मेदार है और इसी कारण अपना मुंह छुपाते हुए अपने रिसोर्ट में जाकर बैठ गए हैं और इसके लिए उन्हें अपने संपूर्ण राजनीतिक करियर को खत्म करने की बेवकूफी की हरकतें उन्होंने की है !बिल्कुल भारत में भी उन्ही के क्लोन सर्वोच्च पदपर बैठने वाले का चेहरा बेनकाब हो जायेगा !

26 जनवरी के दिन के आँखो से समस्त दूनियाकी नजर में किसानों के आंदोलन को खत्म करने का षड्यंत्र देखा है और वह भी एक दो नहीं कई-कई लोगों के पास उसके फुटेज है और समय आया तो सब कुछ सामने आ जायेगा कुछ चंद पत्रकारों को गिरफ्तार करने के बावजूद हमारे देश के शेकडो लोगों ने अपने पास लाल किले से लेकर आईटीओ के फुटेज सम्भाल कर रखे हुए हैं और उनकी आवश्यकता होगी तब सब कुछ पेश किया जायेगा इतना पक्का !

डॉ सुरेश खैरनार 1फरवरी 2021,नागपुर

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