रोडवेज कर्मचारियों द्वारा शुरू की गई हड़ताल को बुधवार को यानि कल नवां दिन हो गया है. हड़ताल का अब जनता पर असर दिखना कम हो गया है, लेकिन सरकारी राजस्व पर इसका खासा असर दिख रहा है, क्योंकि रोडवेज कर्मचारियों द्वारा बसें न चलाए जाने पर अफसरों ने नौसीखियों के हाथों में बसों का स्टेयरिंग और टिकटों का थैला थमा दिया है.
मंगलवार को अंबाला छावनी बस अड्डे पर अस्थायी नौकरी के लिए खुली भर्ती की गई. दस साल पुराना लाइसेंस दिखाओ और कंडक्टर-ड्राइवर की नौकरी पाओ की तर्ज पर बेरोजगारों को अस्थायी काम मिला. इन युवाओं को ठेकेदार के माध्यम से 600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बसें चलाने और टिकटें काटने का मेहनताना मिलेगा. वहीं, अधिकारियों ने 60 से अधिक रोडवेज बसें चलाने का दावा किया है.
अब स्कूल बसों को बिलकुल बंद कर दिया गया है. वैसे बता दें कि पिछले आठ दिनों से रोडवेज के कर्मचारी किलोमीटर स्कीम के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. सरकार के साथ यूनियन पदाधिकारियों की कई दौर की बात हो चुकी है, लेकिन रोडवेज कर्मी और सरकार दोनों ही अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं. इसी कारण हड़ताल भी अब खत्म होने के बजाए आए दिन आगे बढ़ाई जा रही है. ऐसे में सरकार ने जनता को राहत दिलाने के लिए आउट सोर्सिंग के तहत चालक व परिचालकों की अस्थायी भर्ती शुरू कर दी है.
यह भर्ती अंबाला छावनी बस अड्डे पर की जा रही है. ऐसे में मंगलवार से चालक ही नहीं परिचालक पदों के लिए भी खुली भर्ती शुरू कर दी गई. छावनी बस अड्डे पर खुले मंच पर युवाओं को अस्थायी नौकरी देने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई. यहां केवल 10 साल पुराने कंडक्टर व हैवी ड्राइविंग लाइसेंस वालों को ही तवज्जो दी गई. जिनके पास दस या इससे पुराने बने लाइसेंस थे उनके नाम दर्ज करके उन्हें कंडक्टर के पद पर अस्थायी नौकरी दे दी गई. रोडवेज कर्मियों की एक कमेटी ने इन बेरोजगारों के दस्तावेजों की जांच की और इनके नाम पता सहित अन्य सभी जानकारियां अपने पास रजिस्टर में दर्ज की.