अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर पूरी दुनिया में अपने प्राकृतिक रूप और ऐतिहासिक महत्व के लिए चर्चित रहा है. कभी दुनिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य मगध की राजधानी होने का गौरव राजगीर को प्राप्त है. राजगीर की एक महत्वपूर्ण पहचान गर्म जल का कुंड भी है. इस गर्म जल कुंडों की मान्यता यह है कि इसमें कुछ दिनों तक लगातार स्नान कर लेने से कैसा भी चर्म रोग हो ठीक हो जाता है. ठंड के मौसम में देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक आते हैं और इस गर्म जल कुंड में स्नान का आनंद उठाते हैं. पर्यटन के मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक भी राजगीर आकर गर्म जल के कुंड में स्नान का आनंद लेते हैं. राजगीर प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहर एवं गर्म जल के कुंड की वजह लोगों के आकर्षण का केंद्र है. ऐसे तो पूरे वर्ष देश और विदेश से लाखों पर्यटक आते रहते हैं, लेकिन ठंड के मौसम में अधिक संख्या में पर्यटक राजगीर आते हैं. पश्चिम बंगाल के पर्यटक सबसे अधिक राजगीर आते हैं और पहले यह पर्यटक महीनों राजगीर में रहकर स्वास्थय लाभ उठाया करते थे. पश्चिम बंगाल के समृद्ध परिवारों ने राजगीर में अपने बंगले भी बनवाए थे और उसी में आकर रहते थे. पहले राजगीर में होटल नहीं थे. केवल एक या दो धर्मशाला थे.
लेकिन आज राजगीर की पहचान गर्मकुंड का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. ब्रह्मकुंड परिसर में स्थित गंगा-यमुना कुंड की धार पूरी तरह बंद हो गई है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों के साथ-साथ वहां का पंडा समाज भी काफी परेशान और चिंतित है. जबकि पहले इन दोनों कुंडों में मोटी धार बहती थी और लोग उसमें स्नान करते थे. गर्म कुंड पर भी खतरा मंडराने लगा है. अनंत कुंड, मार्केण्डेय कुंड, व्यास कुंड और सप्तधारा सहित अन्य कुंडों की धार भी प्रभावित हो गई है.
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राजगीर के युवा समाजसेवी अनूप दांगी बताते हैं कि पाण्डू पोखर स्थित सात बोरिंग हुई है जिससे पानी निकाला जा रहा है. इसी वजह से कुंड की धारा प्रभावित हो रही है और गंगा-यमुना कुंड की धार बंद हो गई है. जबकि पाण्डू पोखर स्थित बोरिंग से पानी न निकालने की हिदायत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद पोखर से पानी निकाला जा रहा है. उन्होंने बताया कि पाण्डू पोखर की बोरिंग को बंद नहीं किया गया तो राजगीर के इस विश्व प्रसिद्ध धरोहर का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
गर्म पानी के इस कुंड की वजह से ही राजगीर की विश्व स्तर पर पहचान है. हालांकि नालंदा के जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस मोहनराम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पाण्डू पोखर की एक बोरिंग बंद कर दी गई है. वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद अन्य बोरिंग भी बंद कर दी जाएगी. लेकिन मामला जब बहुत ज्यादा गंभीर होने लगा तो राज्य सरकार ने जल संसाधन एवं पीएचईडी के उच्च अधिकारियों और अभियंताओं को निरीक्षण करने के लिए राजगीर भेजा. इन अधिकारियों ने उन सभी कुंडों का निरीक्षण किया, जो सूख गए हैं या जिनका जल स्तर कम हो चुका है. इन अधिकारियों ने बंद पड़ी धाराओं को भी देखा और इस पर चिंता जाहिर की. जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने निरीक्षण के बाद बताया कि गर्म जल के चार कुंडों की धाराएं बंद हो गई हैं. यह धाराएं क्यों बंद हो गई हैं, उसकी पड़ताल की जा रही है. जांच के बिना यह कहना मुश्किल है कि पाण्डू पोखर पार्क की बोरिंग की वजह से यह समस्या खड़ी हुई है या जल स्तर नीचे जाने की वजह से. उन्होंने सेंट्रल ग्राउंड वाटर की टीम से भी बंद पड़े कुंडों का सर्वेक्षण कराने की बात कही. साथ ही वैभार गिरि पर्वत पर स्थित भेलवा डोही तालाब को देखने और गंधक की कितनी मात्रा है उसका भी पता लगाने को कहा है. इस मामले को लेकर नालंदा जिला प्रशासन भी गंभीर है और विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर कुंडों की धार बंद होने की वजहों को पता करने में लगा है. गर्म जल के कुंडों के बंद होने से विदेशी पर्यटक भी चिंतित हैं. बोधगया आए म्यामार के प्रोफेसर दोपा और प्रोफेसर कुंछागं को जब जानकारी मिली कि राजगीर में गर्म जल कुंड की धारा बंद हो गई है, तो दोनों लोग राजगीर पहुंचे. उन्होंने कुंड का निरीक्षण करने के बाद बताया कि यह प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम है जिसकी वजह से जल के गर्म कुंड की धारा बंद हो गई है. राजगीर स्थित गर्म जल कुंडों की धारा बंद होने की वजह से पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में भी निराशा है.