गंगा किनारे बन रहे एक्सप्रेस वे (गंगा पथ) और दीघा-एम्स एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना के लिए सफेद बालू का संकट हो गया है, जिससे दोनों जगहों पर काम प्रभावित है. गंगा एक्सप्रेस वे के लिए 35 लाख घनफीट तथा दीघा-एम्स एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना के लिए तीन लाख घनफीट सफेद बालू की जरूरत है. सोमवार को डीएम कुमार रवि ने इसे लेकर बिहार स्टेड रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बीएसआरडीसी) के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी.
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बंदोबस्तधारियों से डीएम ने मांगा बालू
डीएम ने दीघा से कलेक्ट्रेट घाट के बीच बालूघाटों के बंदोबस्तधारियों से दोनों परियोजनाओं के लिए बालू देने को कहा. डीएम ने बालूघाटों में उपयोग में लाए जाने वाली मशीनें जैसे पोकलेन, हाईवा, जेसीबी आदि को बीएसआरडीसी के अधिकारियों को थानों को उपलब्ध कराने को कहा. बीएसआरडीसी के उप महाप्रबंधक ने इसके लिए दो सहायक अभियंता को प्रतिनियुक्त करने की बात कही. डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बगैर ई चालान का कोई भी वाहन बालू की ढुलाई नहीं कर सकता है. डीएम ने बालू बंदोबस्तधारियों को निर्देश दिया है कि घाट के निकासी द्वार पर सीसीटीवी कैमरा जरूर लगाएं. बैठक में खनन विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे.
बिक्री की निगरानी शुरू
दूसरी ओर, खान एवं भूतत्व विभाग ने सोमवार से राजधानी में बालू बिक्री की देखरेख करने को लेकर औचक निरीक्षण का दौर शुरू किया है. पहले दिन सगुना मोड़ और फुलवारीशरीफ में 32 सौ रुपए के हिसाब से 100 घनफुट बालू बिकता पाया गया. विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार के नेतृत्व में अफसरों की टीम ने दोनों जगह बालू बिक्री की जांच की. ट्रैक्टर ट्रॉली में लदे बालू की मात्रा को लेकर ग्राहकों से भी बातचीत की गई. इन स्थानों पर संबंधित बंदोबस्तधारी द्वारा निर्धारित दर पर पीले बालू की बिक्री शुरू की गई है.
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नई दर का स्टीकर लगा
दोनों स्थानों पर ट्रॉली पर नई दर का स्टीकर भी लगाया गया है. पहले दो किलोमीटर के बाद गंतव्य स्थान तक 20 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से ढुलाई शुल्क भी लिया जा रहा है. सोमवार की शाम सगुना मोड़ पर बालू के ग्राहकों ने नई व्यवस्था पर संतोष जताया. अफसरों को कुछ ट्रैक्टर चालकों ने बताया कि उपलब्धता बढ़ने और ग्राहकों की कमी के कारण कई बार 28-29 सौ में भी बालू की बिक्री करनी पड़ती है. वैसे गत माह की तुलना में बालू की दर में करीब डेढ़ हजार की कमी आई है. सहायक निदेशक संजय कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा 3200 सौ बालू की दर तय करने के बाद निजी वेंडर भी कम दाम में बालू बेचने लगे हैं.