घोषित रूप से गंगा के बेटा और बेटी वाली केंद्र सरकार जब ढाई साल में गंगा सफाई को लेकर कोई उल्लेखनीय काम नहीं कर सकी, तो फिर इसकी जिम्मेदारी मोदी मंत्रिमंडल के एक ऐसे मंत्री के कंधों पर लादी गई, जो प्रदर्शन के मामले में प्रशंसा के पात्र रहे हैं. सितंबर 2017 में मोदी मंत्रिमंडल में हुई फेरबदल में नितिन गडकरी को जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय सौंपा गया. मंत्री बनने के बाद से अब तक गडकरी जी ने गंगा सफाई के लिए जो काम किए हैं, वो उसी ढर्रे पर है, जिसपर उनकी पूर्ववर्ती मंत्री उमा भारती जी चल रही थीं. मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही गडकरी ने ऐलान किया कि वे नमामी गंगे योजना पर तीव्र अमल के लिए कार्यबल का गठन करेंगे. उस समय उन्होंने यह भी कहा था कि हम प्रयास करेंगे कि मंत्रालय उन सभी लक्ष्यों को पूरा करे, जो उमा जी ने निर्धारित किए हैं. इस लिहाज से देखें तो गंगा सफाई के लिए तारीख पर तारीख वाले लक्ष्य के मामले में गडकरी जी पूरी तरह से अपने विभाग की पूर्ववर्ती मंत्री के नक्से कदम पर चल रहे हैं. मंत्री बनने के पहले से मंत्री पद से हटने के बाद तक उमा भारती ने गंगा के पूर्णत: स्वच्छ होने के लिए जो डेड लाइन दि थे, गडकरी जी उसे ही आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
मंत्रालय संभालने के बाद गडकरी ने कहा था कि अगले एक सप्ताह में वे गंगा सफाई के लिए कार्यबल की घोषणा करेंगे. उस समय यह भी कहा गया कि अगले तीन महीने में कोलकात्ता, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, पटना, हावड़ा, हरिद्वार और भागलपुर सहित 10 शहरों में गंगा की सफाई का काम शुरू हो जाएगा. गौरतलब है कि गंगा को दूषित करने के लिए 70 फीसदी से ज्यादा जिम्मेदार यही 10 शहर हैं. मंत्री जी के इस बयान के तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन इन 10 शहरों में गंगा सफाई का काम शुरू होने को कोई खबर नहीं है. अक्टूबर 2017 में गडकरी जी गंगा सफाई के लिए अपना पहला प्लान लेकर आए. 12 अक्टूबर 2017 को उन्होंने कहा था कि निर्मल गंगा के लिए 97 परियोजनाओं पर अगले साल मार्च से काम शुरू कर दिया जाएगा. इन योजनाओं के फलस्वरूप दिसम्बर 2018 तक गंगा के पानी में सुधार दिखने लगेगा. उस समय गडकरी जी ने गंगा सफाई के लिए आम लोगों और कॉर्पोरेट के सहयोग की अपील भी की थी. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि गंगा को निर्मल बनाने की दिशा में गडकरी जी भी उमा भारती की तरह तारीख पर तारीख की दिशा में ही आगे बढ़ रहे हैं.