योशिको कावाशिमा चीन के एक राजघराने की राजकुमारी थीं. उनका जन्म 24 मई 1907 को बीजिंग में हुआ था लेकिन वे पली-बढ़ी जापान में थीं. उन्हें पूर्व की माता हारी के नाम से भी जाना जाता है. दूसरे चीन-जापान युद्ध के बाद उन्हें मौत की सजा दे दी गई थी.
वे अपने पिता की दसवीं औलाद थीं. जन्म के कुछ ही दिनों बाद योशिको को उनके पिता ने अपने जापानी मित्र नानिवा कावाशिमा को सौंप दिया था. नानिवा के परिवार में योशिको का बचपन बहुत ही बुरा बीता. उन्हें वह प्रेम नहीं मिल सका जिसका कोई भी एक आम बच्चा हकदार होता है. जब वे किशोर थीं तभी नानिवा के पिता ने योशिको के साथ दुष्कर्म किया था. इस दौरान योशिको के पिता की चीन में मौत हो गई थी.
योशिको को अपनी किशोरावस्था में कुछ दिनों तक टोक्यो में रहने का अवसर मिला. यहां उन्होंने जूडो की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र जिंदगी जिया. इस दौरान उनके अमीर लोगों के साथ कई अफेयर हुए, जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों ही शामिल थे.
1927 में योशिको ने मंगोलियाई आर्मी जनरल के पुत्र जेंगजुराब से विवाह कर लिया. लेकिन विवाह के दो साल के भीतर ही दोनों मेें तलाक हो गया. इसके बाद वह शंघाई चली गईं जहां उनकी मुलाकात जापानी जासूस और मिलिट्री अधिकारी यूकिची तनाका से हुई. तनाका ने योशिको के अमीर और रसूखदार लोगों से संबंध को भुनाने की सोची. तनाका ये बात जानता था कि एक खूबसूरत महिला के जरिये रसूखदार लोगों से गोपनीय सूचनाएं निकलवाई जा सकती हैं. जब 1932 में चीन और जापान की सेनाएं शंघाई में आपस में लड़ रही थीं तो योशिको वहीं मौजूद थीं. तनाका और योशिको ने साथ रहना शुरू कर दिया था.
तनाका को जापान बुला लिया गया लेकिन इसके बाद भी योशिको चीन में जासूसी का काम करती रहीं. वह रूप बदलने में माहिर थीं. चीन में विरोधी गुट में आसानी के साथ वे शामिल हो जाया करती थीं. वे कभी टॉम बॉय का रूप लिया करती थीं तो कभी हिरोइन का.
वे चीन के क्विंग राजवंश का हिस्सा हुआ करती थीं. इस वजह से इस राजवंश के आखिरी राजा पू यी के पास वे मिलने पहुंची. राजा ने उन्हें परिवार का सदस्य होने के कारण काफी सम्मान दिया. अपने संबंधों को भुनाने का काम योशिको ने शुरू कर दिया था. अपने इन्हीं संबंधों के कारण उस राजा को योशिको ने हाल ही में जापान द्वारा बनाए गए मंचूको राज्य का प्रमुख बनवा दि या.
जब मंचूको राज्य पर पू यी काबिज हो गए तो उस इलाके में योशिको का रहना आसान हो गया. यहां पर रहते हुए वे आसानी से जापान को चीन की गोपनीय सूचनाएं पहुंचा दिया करती थीं. मंचूको राज्य में रहने वाले लोगों के बीच भी योशिको का बहुत सम्मान था. उन्होंने में राज्य में महिलाओं की ही एक गुरिल्ला सेना भी तैयार की थी जिसकी वह हेड थीं. यह सेना चीनी सेना को जापानी सेना पर आक्रमण करने से रोकने के लिए बनाई गई थी. इसके लिए योशिको को जापानी अखबारों में जॉन ऑफ आर्क की उपाधि से भी नवाजा गया था. इन सारी चीजों के बीच जो एक बात योशिको के विरोध में जा रही थी वह थी कि वह लगातार चीन की निगाहों में बनी हुई थीं. हालांकि योशिको चीन में पैदा हुई थीं लेकिन बचपन से ही जापान में रहने के कारण उनकी पूरी वफादारी जापानी सेना की तरफ थी और वह अपनी पूरी क्षमता के साथ उसका साथ भी निभा रही थीं. इस बीच जापानी सेना ने मंचूको के लोगों को भी परेशान करना शुरू कर दिया था. मंचूको जापान के लिए एक महत्वपूर्ण बेस था जिसके जरिये वे आसानी के साथ चीन के साथ लड़ाई लड़ रहा था. लेकिन अगर किसी भी आदमी पर शक होता तो जापानी सैनिक उसे मौत के घाट उतारने में जरा भी समय नहीं लगाते थे. योशिको ने इसकी शिकायत बड़े जापानी अधिकारियों से ही नहीं बल्कि जापानी राजवंश तक भी इस बात को पहुंचाया. योशिको की इस शिकायत को जापान की तरफ से ठीक तरीके से नहीं लिया गया. जापान को यह लगने लगा कि योशिको पूरी तरीके से जापान का साथ नहीं दे रही हैं. धीरे-धीरे योशिको लाइम लाइट से बाहर होने लगीं. जापानी अखबारों में उनके बारे में खबरें प्रकाशित होना बंद हो गईं.
11 नवंबर 1945 को जब युद्ध समाप्त हुआ तो जापानी रेडियो पर एक खबर प्रसारित की गई कि पुरुषों के वेश में एक स्त्री को पेकिंग में गिरफ्तार किया गया है. योशिको को चीन की नेशनलिस्ट पार्टी ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर षड्यंत्र रचने का केस चलाया गया. 1948 में उनकी सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई.
1932 के बाद योशिको के किरदार को लेकर कई फिल्में बनाई गईं जिनमें उनकी जांबाजी के किस्से दिखाए गए. ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म द लास्ट इंपरर में उनका किरदार ईस्टर्न जेवेल के नाम से दिखाया गया है. इसके अलावा उन पर कई किताबें भी लिखी गई हैं. हालांकि इस सब के बीच योशिको अंत दुखद हुआ. वे पूरे जीवन जापान की सेवा करती रहीं लेकिन सही बात के लिए आवाज उठाने के कारण भी उनके साथ गलत बर्ताव किया गया.