भोपाल। हमारी रगों में जो खून बह रहा है, उसकी रवानी राहत साहब से है। जब तक ये सांसें चलती रहेंगी राहत साहब की दुनिया में मौजूदगी के हालात हम बनाते रहेंगे। राहत साहब की पहली बरसी पर हमने उनकी यादों को समर्पित एक कक्ष तैयार किया है। ये एक छोटी सी जगह अपने आप में इतना कुछ समाए हुए है कि इसमें आकर राहत साहब के लिए कोई थिसिस लिखना भी आसान होगा।
दुनिया भर में अपने फन ओ कलाम का जलवा रखने वाले शायर डॉ राहत इंदौरी के ज्येष्ठ पुत्र फैसल राहत बताते हैं कि राहत साहब सिर्फ आंखों से ओझल हुए हैं, वे अब भी कई जरियों से हमारे साथ हैं, हमेशा साथ रहने वाले हैं। उनकी लिखी पुस्तकों, उनके द्वारा पढ़ी जाने वाली किताबें, उनकी कलम, कागज से लेकर उनकी तस्वीरों का जखीरा हमने एक साथ जमा करने की कोशिश की है। उनको मिले तमाम अवार्ड्स और फिल्मों से मिली मुहब्बत की यादगार एक छोटे से कमरे में संजोया गया है। फैसल बताते हैं कि आने वाले दिनों में एक स्क्रीन पर राहत साहब के मुशायरे और जिंदगी के खास लम्हे देखने की सहूलियत भी यहां मिलने वाली है। उनका कहना है कि राहत साहब को समर्पित ये कक्ष आने वाले दिनों में उन लोगों के लिए कारगर साबित होगा, जो राहत इंदौरी को जानना, सुनना, पढ़ना, देखना चाहते हैं। उनके लिए भी, जो उनको जानकर कुछ लिखना, कुछ करना चाहते हैं।
ये सजा है राहत लाइब्रेरी में
राहत इंदौरी की लिखी पहली गजल संग्रह धूप धूप से लेकर अंतिम पुस्तक तक यहां मौजूद है। इनमें मेरे बाद, नाराज, पांचवां दरवेश आदि शामिल हैं। इस लाइब्रेरी में राहत साहब और कलंदर जैसी कई पुस्तकें भी मौजूद हैं, जो उनके चाहने वालों ने लिखी हैं। राहत के मंच के सफर को हौसला देने वाले फिराक अवार्ड से लेकर शिखर सम्मान और सैंकड़ों राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के निशान भी इस लाइब्रेरी में दिखाई दे रहे हैं। उनके फिल्मी सफर से मिला प्रोत्साहन भी यहां दिखाई देने वाला है।
और एक तैयारी ये भी
राहत साहब के छोटे बेटे सतलज़ राहत बताते हैं राहत साहब की ज़िंदगी के ज्यादातर दिन ओ रात अपने घर की बजाए सफर और मंच पर गुजरे हैं। इसी बात को ताजा रखने की मंशा के साथ एक छोटा स्टेज घर की छत पर तैयार किया जा रहा है। छोटी नशिस्त और मुशायरे के आयोजन की दृष्टि से इसको बनाया जा रहा है।