तीन राज्यों में जीत के बाद अब कांग्रेस में ताजपोशी का दौर शुरू हो गया है. 17 दिसंबर को बैक-टू-बैक राजस्थान, मध्यपद्रेश और छत्तीसगढ़ में शपथग्रहण समारोह हो रहे हैं. जिसमें न केवल कांग्रेस के सीनियर लीडर्स बल्कि गठबंधन में शामिल विभिन्न पार्टियों के लीडर्स भी शिरकत कर रहे हैं. समारोह में राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कुमारी शैलजा, प्रफुल्ल पटेल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू, एचडी देवेगोड़ा, जीतन राम मांझी, फारूक अब्दुल्ला और हेमंत सोरेन उपस्थित रहे.
ताजपोशी का शुरूआत राजस्थान से हुई. जहां अशोक गहलोत ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं उनके साथ सचिन पायलट ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ली। सचिन शपथ के दौरान लाल पगड़ी बांधे हुए थे. गहलोत राजस्थान के 22वें मुख्यमंत्री होंगे.
मध्यप्रदेश में शपथ ग्रहण का समय दोपहर 1:30 बजे का रखा गया था. वहां कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के 18 वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. भोपाल में बीएचईएल के जंबूरी मैदान में समारोह हुआ. पहले यह कार्यक्रम लाल परेड ग्राउंड में होना था. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 114 सीटों पर कब्जा किया है, वहीं उसे बहुमत पाने के लिए बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है. ऐसी चर्चा भी कि कमलनाथ के साथ आरिफ अकील, सज्जन सिंह वर्मा, तुलसी सिलावट, गोविंद राजपूत, हुकुम सिंह कराड़ा, विजय लक्ष्मी साधौ, बिसाहूलाल सिंह, डॉ. प्रभुराम चौधरी, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, लक्ष्मण सिंह/जयवर्द्धन सिंह, हिना कांवरे, कमलेश्वर पटेल, तरुण भनोत और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं लेकिन अकेले कमलनाथ ने ही शपथ ली. डॉ. गोविंद सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा चल रही है. कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैलाश जोशी ने भी शिरकत की. जैसे ही श्री जोशी पहंुुचे शिवराज सिंह और दिग्विजय सिंह ने उनके पैर छुए.
शाम काेे छत्तीसगढ़ में राजनीतिक रौनक रही. वहां भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. हालांकि, सुबह से जारी बारिश के चलते समारोह स्थल बदल दिया गया है. पहले शपथ ग्रहण साइंस कॉलेज मैदान में होना था, जो कि बाद में बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में हुुुआ. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने दो तिहाई सीटें जीती हैं.
तीन राज्यों में बन सकते हैं 80 मंत्री
कहा जा रहा है कि तीनों राज्यों में करीब 80 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. इनमें सबसे बड़ा मंत्रिमंडल मध्यप्रदेश में हो सकता है. मध्यप्रदेश में 37 विधायकों के नाम की चर्चा है, वहीं छत्तीसगढ़ मेंं 17 नामाेें की चर्चा है, लेकिन मंत्री 13 ही बनेंगे. उधर राजस्थान में 30 विधायक मंत्री बन सकतेे हैं.