रूबी अब पूरे मामले के लिए खुद को ज़िम्मेदार ठहरा रही है. रूबी के अनुसार, उसे आईएएस अफसर बनने का शौक था, इसलिए वह संस्थान गई थी. उसने खुद फर्जीवाड़ा किया और दूसरों के समक्ष खुद को अफसर के रूप में पेश किया. अदालत में बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील मार्कंडेय पंत ने पुलिस के आरोप को सरकार की तऱफ से लगाया गया झूठ का पुलिंदा बताया. उन्होंने रूबी पर लगाई गई धारा पर आपत्ति करते हुए कहा कि पुलिस ने रूबी पर खुद को फर्जी तरीके से एसडीएम के रूप में पेश करने का आरोप लगाया, जो सरासर झूठ है.
प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी इन दिनों बदनामी का शिकार है. एकेडमी के दागी अफसर अपने गोरखधंधों से इस चर्चित संस्थान के चेहरे पर कालिख उड़ेल रहे हैं. फर्जी आईएएस अफसर रूबी चौधरी का ताजा मामला सबके सामने है. संस्थान के उपनिदेशक सौरभ जैन पर आरोपों की झड़ी लगाने वाली रूबी गिरफ्तारी के पहले ही दिन अपने बयान से पलट गई.
गिरफ्तारी से पहले मीडिया से बेझिझक मिलने वाली रूबी अब खामोशी है. रूबी का अपने बयान से पलटना काफी अहम माना जा रहा है. रूबी अब पूरे मामले के लिए खुद को ज़िम्मेदार ठहरा रही है. रूबी के अनुसार, उसे आईएएस अफसर बनने का शौक था, इसलिए वह संस्थान गई थी. उसने खुद फर्जीवाड़ा किया और दूसरों के समक्ष खुद को अफसर के रूप में पेश किया. अदालत में बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील मार्कंडेय पंत ने पुलिस के आरोप को सरकार की तऱफ से लगाया गया झूठ का पुलिंदा बताया. उन्होंने रूबी पर लगाई गई धारा पर आपत्ति करते हुए कहा कि पुलिस ने रूबी पर खुद को फर्जी तरीके से एसडीएम के रूप में पेश करने का आरोप लगाया, जो सरासर झूठ है. पंत का कहना था कि अधिकारियों ने पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए रूबी की ज़ुबान बंद करने के लिए यह मुकदमा दर्ज कराया. जब रूबी ने अपने साथ हुए अन्याय के ़िखला़फ मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा, तो पुलिस ने उसे लेने से इंकार कर दिया. बचाव पक्ष के वकील ने रूबी द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीर बताया.
वकील के अनुसार, ऐसी रिपोर्ट मिली है कि उनकी मुवक्किल को नौकरी का झांसा देकर छह माह से अधिक समय से संस्थान परिसर में रखा गया था. इसके बावजूद उसे गिरफ्तारी के बाद नैसर्गिक न्याय से दूर रखा गया है. वहीं सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है. संस्थान की तऱफ से मिली तहरीर के तुरंत बाद इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया. मुकदमा दर्ज होते ही एसआईटी का गठन किया गया. इसके बाद पुलिस ने जब सुबूत जुटाने शुरू किए, तो कई गंभीर तथ्य प्रकाश में आए. पुलिस को मा़ैके से कई दस्तावेज़ी सुबूत मिले. आरोपी महिला के पास से फर्जी आईकार्ड भी मिला. संस्थान के अंदर कई ऐसी फोटो मिलीं, जिनसे महिला की गतिविधियों का पता चलता है. इतना बड़ा बवाल होने के बावजूद एलबीएस प्रबंधन इस मामले में मीडिया कवरेज से नाराज़ है. यही नाराज़गी रूबी चौधरी की है. दोनों पक्ष मीडिया में अपने ़िखला़फ आई ़खबरों से इंकार कर रहे हैं. दिन में जहां रूबी खुले आम घूमकर पुलिस को बयान देने के लिए बुला रही थी, वहीं रात में उसकी गिरफ्तारी हो गई. यानी दिन में रूबी की स्थिति को लेकर पुलिस का रुख स्पष्ट नहीं था. जब उसने दिन में पत्रकारों को अपना बयान दिया, तो एलबीएस प्रबंधन घबरा गया और तुरंत पुलिस को उसकी गिरफ्तारी के संकेत दिए गए. गिरफ्तारी के बाद जब रूबी को दून महिला अस्पताल में लाया गया, तो पुलिस ने उसे पत्रकारों से बात नहीं करने दी. राज्य युवा कल्याण परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रवींद्र जुगरान के अनुसार, इस मामले में संस्थान के अधिकारियों की मिलीभगत है. आरोपी महिला रूबी चौधरी ने संस्थान के उपनिदेशक सौरभ जैन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वह वहां छह माह से संस्थान के अंदर रह रही थी. लिहाजा, पूरे मामले की सीबीआई जांच ज़रूरी है.
मामला प्रकाश में आने के बाद एलबीएस प्रबंधन ने सुरक्षा गार्ड देव सिंह को निलंबित कर दिया गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद अदालत के समक्ष पेश किया. सवाल यह है कि एलबीएस एकेडमी में इतना कुछ चल रहा था और निदेशक राजीव कपूर को भनक कैसे नहीं लगी? छह माह तक रूबी अकादमी में बेरोकटोक रही, कई बार अंदर-बाहर आई-गई. यही नहीं, उसने सा़फ कहा कि सौरभ जैन ने नौकरी दिलाने के नाम पर उससे पांच लाख रुपये लिए और संस्थान में प्रवेश दिलवाया. रूबी के अनुसार, सौरभ जैन ने कहा था कि इसके लिए उन्होंने निदेशक राजीव कपूर से भी बात की है. हैरानी की बात यह है कि जब मामला खुला, तो निदेशक कपूर बोले कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी. सूत्रों के अनुसार, एकेडमी के प्रशासन से लेकर हर कामकाज निदेशक की अनुमति से चलता है. बिना उनकी अनुमति के किसी शख्स को अंदर आने नहीं दिया जाता. एकेडमी में जो अच्छा-बुरा या नया-पुराना होता है, उसकी पल-पल की जानकारी निदेशक तक पहुंचती है. कहीं भी कोई गड़बड़ होती है, तो निदेशक को तुरंत बताया जाता है. ऐसे में हैरानी की बात यह है कि रूबी छह माह तक एकेडमी में अनाधिकृत रूप से रही, खुलेआम घूमी, फोटो खिंचवाए और उसकी भनक निदेशक को नहीं लगी! यह कहीं न कहीं एकेडमी और निदेशक के मैनेजमेंट पर एक बड़ा सवाल है. देव सिंह की गिरफ्तारी के बाद एलबीएस एकेडमी के कर्मचारियों में भी आक्रोश दिख रहा है. कोई खुलकर बोलने की हिम्मत भले नहीं जुटा पा रहा हो, लेकिन अंदरखाने इस बात का मलाल हर किसी को है कि बड़ी मछली को बचाने के लिए छोटों को दबोचने का काम किया जा रहा है. देव सिंह पुत्र कुंवर सिंह अल्मोड़ा के भिकिया सैण ब्लाक के जमोली गांव का मूल निवासी है. वह अपने चाचा के सहयोग से अकादमी में नौकरी पर लगा और परिवार के साथ रहता था. मामला प्रकाश में आते ही आनन-फानन में पहले उसे निलंबित किया, घटना के तूल पकड़ते ही नजरबंद कर दिया गया और फिर पुलिस उठा ले गई.