राजनीति एक ऐसा खेल है जो किसी भी मुद्दे पर खेला जा सकता है। फिल्म ‘शेरनी’ में शेरनी एक मुद्दा और पूरी फिल्म में उस पर किस तरह राजनीति की जाती है, बड़े ही सटीक तरीके से दिखाया गया है। जो लोग इस फिल्म के नाम से भ्रमित होकर यह सोच रहे हैं कि विद्या बालन ऐसी फॉरेस्ट ऑफिसर के रूप में नजर आएंगी, जो कई विलन्स को एक साथ मारेंगी। लेकिन, उन्हें इस फिल्म को देखकर निराशा होगी, क्योंकि पूरी फिल्म में कोई हीरोइक एक्ट नहीं है। हां विद्या का किरदार तेज-तर्रार जरूर है, पर उनका किरदार भी असल दुनिया के उन अच्छे लोगों की तरह है, जो कई बुरे लोगों से घिरे हुए रहते हैं। ऐसे लोग करना तो बहुत कुछ चाहते हैं, पर समाज में उन्हें दबा दिया जाता है। कुल मिलाकर उनके किरदार को कोई एक्सट्रा ऑर्डिनरी नहीं दिखाया गया है और ऐसा इसलिए क्योंकि यहां कहानी को सच्चा रखना जरूरी था।

फिल्म ‘शेरनी’ की ओपनिंग क्रेडिट्स अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी दिखना सुखद एहसास है। मध्य प्रदेश के अफसरों के लंबे चले परिचय (इसमें शायद प्रमुख सचिव का नाम ही गलत लिख गया है) फिल्म शुरू होती है और इसका एक बड़ा हिस्सा जंगल और इंसान के रिश्ते को दोहराता दिखता है। ये दिखाता है कि मध्य प्रदेश का वन विभाग जंगल में बसे लोगों को कैसे रोजी रोटी में मदद कर रहा है। कैसे जंगल में बसे लोगों को जंगल का दोस्त बनाकर जंगलों और इंसानों दोनों को बचाया जा सकता है। और, ये भी कि कैसे जंगल विभाग के अफसर अपने वरिष्ठों को खुश करने के लिए अपने ही पेशे से गद्दारी करते रहते हैं। फिल्म ‘शेरनी’ की शेरनी टी 12 तो है ही, डीएफओ विद्या विन्सेन्ट भी शेरनी की तरह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। टी 12 ने दो बच्चों को जन्म दिया है और उसके बाद भी शिकारी उसका पीछा नहीं छोड़ रहे। विद्या जल्द से जल्द मां बन जाए, इसके लिए उसकी मां और उसकी सास दोनों उसके पीछे पड़े हैं।

फिल्म में विद्या बालन के अलावा बृजेंद्र काला, नीरज काबी, शरद सक्सेना, विजय राज, इला अरुण और मुकुल चड्‌ढा जैसे कलाकार भी नजर आ रहे हैं। सभी ने अपने-अपने हिस्से का काम बखूबी निभाया है। जब-जब विद्या स्क्रीन पर नजर आती हैं, एक पॉजिटिव फीलिंग बनी रहती है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो पूरी फिल्म में दिखाए जाने वाले जंगल के विजुअल्स आपका दिल जीत लेंगे। इसके अलावा फिल्म का एकमात्र गाना “बंदर बांट’ भी काफी कुछ कह जाता है। कलाकारों के डायलॉग ऐसे हैं, जैसे हम आम दिनचर्या में बात करते हैं।

फिल्म ‘शेरनी’ एक सच्ची घटना से निकली फिल्म है। एक ऐसे माहौल की फिल्म जिसमें वोटों के लिए इंसानों की बलि दे दी जाती है, शेरनी की तो औकात ही क्या है। विद्या बालन के करियर का ये एक और अहम पड़ाव है। पिछले साल उनकी फिल्म ‘शकुंतला देवी’ को ओटीटी पर बेइंतहा प्यार मिला। अब वह एक ऐसी फिल्म लेकर आई हैं, जिसमें उनका जंगल और जानवरों से प्यार एक बहुत बड़ा संदेश देता है। विद्या ने हिंदी सिनेमा में अभिनय की जो लीक बनानी शुरू की है, वहां तक उसे कम अभिनेत्रियां ही खींचकर ला पाई हैं। वह फिल्म दर फिल्म कमाल कर रही हैं। फिल्म ‘शेरनी’ भी उनके सहज अभिनय का विस्तार बन गई है। विद्या बालन की ‘मिशन मंगल’ और ‘शकुंतला देवी’ के बाद कामयाबी की ये हैट्रिक है। इन तीनों फिल्मों में विद्या ने तीन मजबूत किरदारों में जान डाली है।

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