भोपाल। नवाबों का शहर भोपाल कभी यहां की परंपरागत कलाओं और ज़री ज़रदोजी हस्तकला के लिए भी मशहूर हुआ करता था। यहां की जरी जरदौजी दुनिया में अपना खास मुकाम रखती थी। लेकिन आधुनिकता की तरफ बढ़ते समाज ने अपनी परंपराओं को भुला दिया और उनकी जगह मशीनजनित सामग्री ने ले लिया। दफन होती पुरानी कलाओं को फिर नया वजूद देने एक कोशिश की जा रही है। इसकी आधार शिला भोपाल में रखी गई।

केंद्र सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के तहत भोपाल में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की शुरुआत की जा रही है। जरी, जरदोजी, हैंड एंब्राइडरी और सिलाई कला को आगे बढ़ाने के मकसद से शुरू किए जा रहे इस सेंटर की जिम्मेदारी भोपाल की खुशहाली आर्टिजन प्रोड्यूसर कम्पनी ने उठाई है। इस कम्पनी को भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय अंतर्गत हस्तशिल्प विकास आयुक्त कार्यालय के सहयोग से साथिया वेल्फेयर सोसायटी संस्था द्वारा बनाया गया है, जिसमें भोपाल कारीगरों को डयरेक्टर व हितधारक के रूप में शामिल किया गया है। इस सेंटर की आधारशिला एडिशनल सेक्रेट्री डीजी एनआईएफटी और विकास आयुक्त (हैंडीक्राफ्ट) शांतमनू ने रखी। उन्होंने इस प्रयास को भोपाल, आसपास के जिलों और प्रदेश के लिए मील का पत्थर बताया।

साथिया संस्था की स्मृति शुक्ला ने बताया कि यह क्लस्टर अपने आप में अद्वितीय है, जहाँ भारत सरकार के लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्रालय एवं वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से संचालित इस प्रोजेक्ट में महिलाओं को स्वरोजगार और स्वावलंबन के लिए दक्ष करने का लक्ष्य है। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें सतत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शहर के विभिन्न स्थानों पर चलाए जा रहे इन प्रशिक्षण में अब तक हजारों महिलाएं प्रशिक्षित भी हुई हैं और खुद का रोजगार करने योग्य भी बनी हैं। मास्टर क्राफ्ट पर्सन व राज्य पुरुस्कार सम्मानित हुमा खान ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद महिलाओं में गज़ब का आत्मविश्वास आता है और ये महिलाएं अपने हौसले और लगन से खुद काम कर अपने परिवार के लिए आर्थिक मदद जुटा सकती हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कारीगर महिलाएं, भोपाल एनआईएफटी के निदेशक कर्नल सुब्रोतो, सहायक निदेशक अर्चित सहारे, अन्य विभागीय अधिकारी और मास्टर ट्रेनर मौजूद थे। इस मौके पर समर्थ ट्रेनिंग के दौरान तैयार किये गये उत्पादों को भी प्रदर्शित किया गया

Adv from Sponsors