कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. इसके सभी भूभाग अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाने जाते हैं, इन्हीं में से एक है, गुलमर्ग. गुलमर्ग देशी-विदेशी पर्यटकों का चहेता पर्यटन स्थल है. लेकिन हाल के दिनों में इसकी खूबसूरती अपने ही वाशिंदों की शिकार हो रही है. अवैध निर्माण गुलमर्ग को कंक्रीट का जगंल बना रही है.
गुलमर्ग में अभी एक बड़ी इमारत का निर्माण कार्य जोरो पर है. यह एक बहुत बड़े कश्मीरी होटलेयर की मिलकियत है. सूत्रों ने चौथी दुनिया को बताया कि कुछ हफ्ते पहले इस शख्स ने पांच कमरों और एक किचेन वाला एक कॉटेज खरीदा, जो लकड़ी का बना हुआ था. उसके बाद, गुलमर्ग डेवलपमेंट अथॉरिटी से इस कॉटेज के अंदर की दिवारों की मरम्मत की अनुमति मांगी गई. अनुमति लिखित रूप में इस शर्त के साथ दी गई कि पहले से बने ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
लेकिन सिर्फ मरम्मत की अनुमति मिलने के बावजूद इस कॉटेज के पीछे एक इमारत खड़ी कर दी गई है. सूत्रों का कहना है कि कॉटेज की जगह तीन सितारा होटल बनाया जा रहा है और यहां रात-दिन काम जारी है. यह बात भी सामने आई है कि इस तीन सितारा होटल के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में भी उक्त होटलेयर की तरफ से पहलगाम में अवैध रूप से एक होटल निर्माण करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में इस होटल को सील करने के आदेश दिए थे.
आश्चर्य की बात यह है कि इस घटना को स्थानीय मीडिया नजरअंदाज कर रही है, क्योंकि इस होटल मालिक का मजबूत सियासी सम्बन्ध है. कोई भी अखबार इनके खिलाफ अवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है. वेबसाइट्स पर इस घटना को लेकर पिछले दो हफ्ते से बहस चल रही है. उल्लेखनीय है कि गुलमर्ग को वर्ष 1984 में वाइल्ड लाइफ सेनचुरी करार दिया गया है. इस लिहाज से गुलमर्ग में कोई भी निर्माण खड़ा किया ही नहीं जा सकता.
उच्चतम न्यायालय ने भी वर्ष 2000 में एक आदेश के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी वाइल्ड लाइफ एरिया में निर्माण का काम नहीं हो सकता है. इस लिहाज से गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में गत दो दशकों से ज्यादा समय से निर्माण किए गए दर्जनों होटल इत्यादि गैरकानूनी हैं और इनका निर्माण कराने वाले अपराध के दोषी हैं.