नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सियासी राजनीति चरम पर है. मार्च में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ अयोध्या का दूसरी बार दौरा किया है. इस बार बहाना बने भगवान राम. दीवाली पर भगवान राम के अयोध्या आगमन की झांकी को जीवंत करने के लिए भव्य आयोजन किया गया. अंतर बस इतना था कि यह त्रेता नहीं कलयुग है, जिसमें भगवान राम पुष्पक विमान की जगह हेलीकॉप्टर से आए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम का तिलक कर आरती उतारी, और रामलीला मंचन के बाद सरयू घाट पर क़रीब दो लाख दीपप्रज्वलन और लेजर शो के दर्शक बने. यह रामलीला कोई आम लीला नहीं थी. इसके मंचन के लिये थाईलैंड और श्रीलंका से कलाकार बुलाये गए थे. योगी अयोध्या में पूरी रणनीति के साथ दो दिन के लिये आये थे.
अयोध्या में दिवाली मनाने के अगले दिन योगी आदित्यनाथ ने न केवल विवादित स्थल पर जाकर रामलला का दर्शन किया बल्कि उसके तुरंत बाद रामजन्म भूमि न्यास के चेयरमैन नृत्य गोपाल दास से मुलाकात भी की. मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के बाद दास ने दावा किया कि राम मंदिर निर्माण का समय नजदीक है और अगली दिवाली भगवान राम के साथ मंदिर में मनाई जाएगी.
याद रहे कि नृत्य गोपाल दास राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी संस्था राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख हैं. इसी न्यास की देखरेख में राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है. नृत्य गोपाल दास बाबरी मस्जिद विध्वंस केस के आरोपियों में से एक हैं और लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में उनके खिलाफ सुनवाई भी चल रही है.
दरअसल योगी आदित्यनाथ जब से मुख्यमंत्री बने हैं वह अपने हिंदू एजेंडे को पीछे नहीं करना चाहते. दीवाली से पहले थानों में जन्माष्टमी उत्सव को लेकर भी उन्होंने बड़ा बयान दिया था. तब योगी ने कहा था कि अगर मैं सड़क पर ईद के दिन नमाज पढ़ने पर रोक नहीं लगा सकता, तो थानों में जन्माष्टमी का उत्सव रोकने का मुझे कोई अधिकार नहीं है.
लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान योगी ने कांवड़ यात्रा का जिक्र करते हुए कहा था कि कांवड़ यात्रा में बाजे नहीं बजेंगे, डमरू नहीं बजेगा, माइक नहीं बजेगा, तो कांवड़ यात्रा कैसे होगी? यह कांवड़ यात्रा है, कोई शव यात्रा नहीं, जो बाजे नहीं बजेंगे.
योगी ने तब यह भी कहा था कि मैंने अधिकारियों से सभी धार्मिक स्थलों पर माइक बैन करने का आदेश पारित करने को कहा था. अगर इसे लागू नहीं कर सकते हैं तो कांवड़ यात्रा में भी माइक पर बैन नहीं होगा, ये यात्रा ऐसे ही चलेगी. दरअसल, योगी आदित्यनाथ ने यह बयान पिछली सरकार से जोड़कर दिया. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग जो खुद को यदुवंशी कहते हैं, उन्होंने पुलिस स्टेशन और पुलिस लाइंस में जन्माष्टमी के आयोजनों पर रोक लगाई थी. इसके बाद हंगामा भी मचा था.
अभी योगी आदित्यनाथ आगरा में ताजमहल को लेकर भी अपने बयान से विवादों को न्योता दे चुके हैं. मदरसों के रजिस्ट्रेशन और उनमें नियमित राष्ट्रगान को लेकर भी मुख्यमंत्री के आदेशा से एक वर्ग में हलचल है. अब राममंदिर को प्रमुखता देने से हड़कंप मचना स्वाभाविक है, वह भी तब, जबकि मामला अदालत के सामने विचाराधीन है. ऐसे में यह सवाल लाज़िमी है कि क्या वाकई रामजन्म भूमि पर मंदिर बनवाना चाहते हैं मुख्यमंत्री योगी, या यह गुजरात और हिमाचल चुनाव और अन्तत: 2019 में आने वाले आम चुनाव से पहले के धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश भर है, जिससे चुनावों में लाभ उठाया जा सके.