जिन वरिष्ठ बाबुओं को बाहर का रास्ता दिखाना होता है, उन्हें मोदी सरकार नाटकीय तरीके से बाहर निकालती है. दो महीने पहले एसपीजी चीफ दुर्गा प्रसाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नेपाल की यात्रा पर थे और अचानक उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. बीते दिनों रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंदर को इसी तरह बाहर निकाले जाने का आदेश दिया गया. दोनों बाबुओं को कथित तौर पर मीडिया के माध्यम से खुद को हटाए जाने की ख़बर मिली. डीआरडीओ प्रमुख के मामले में अफ़वाहें तभी शुरू हो गई थीं, जब एनडीए सरकार सत्ता में आई थी. इस तथ्य के अलावा कि वह पिछली यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए थे, हाल में जिस तरह से मोदी ने डीआरडीओ की आलोचना की थी, उससे चंदर के दिन बस गिने ही जा रहे थे. लेकिन, हैरानी उन्हें बाहर किए जाने के तरीके को लेकर हुई. वह सेवानिवृत्त हो चुके थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उन्हें अनुबंध पर 18 महीने के लिए फिर से हायर (नियुक्त) किया था. बहरहाल, अब दिल्ली नए डीआरडीओ प्रमुख का इंतज़ार कर रही है. और, यह भी देखना बाकी है कि डीआरडीओ की ओर से अटकाए गए कौन से रक्षा सौदे जल्दी राहत पाते हैं.
अनिश्चित भविष्य
पुराने नेहरूवादी योजना आयोग के बाद अब नीति आयोग से बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं, लेकिन नई संरचना में भारतीय आर्थिक सेवा (आईईएस) के अधिकारियों का एक ऐसा वर्ग भी है, जो नए मोदी युग में अपने भविष्य को लेकर परेशान है. जनता के बीच आईईएस जाहिर तौर पर आईएएस जितना जाना-पहचाना शब्द नहीं है. इसमें अनुभवी अर्थशास्त्री और वित्त विशेषज्ञ शामिल हैं. तत्कालीन योजना आयोग में सौ आईईएस अधिकारी थे. नीति आयोग के शीर्ष पदानुक्रम की बड़ी धूमधाम के साथ घोषणा की गई. वहीं आईईएस बाबुओं को नए संगठन में अपनी भूमिका के बारे में जानकारी नहीं है. कुछ को अन्य मंत्रालयों या विभागों में भेजे जाने का डर है. कुछ निराशावादी लोगों को सेवा में धीमी गति से गिरावट होने की भी उम्मीद है. आख़िरकार, नीति आयोग के नए उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया नेहरूवादी अर्थशास्त्र के कभी प्रशंसक नहीं रहे हैं. क्या इन बाबुओं की भविष्यवाणी सच साबित होगी?
थॉमसन चले घर
खेल सचिव का पद मिलने का वादा पूरा न होने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक जीजी थॉमसन ने कथित तौर पर, हाल में यह पद छोड़ दिया है और उन्होंने अपने मूल कैडर केरल वापस भेजे जाने की मांग की है, जहां उन्हें मुख्य सचिव का पद दिए जाने की बात कही जा रही है. सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने इसे मंजूरी दे दी है, लेकिन पद छोड़ने के थॉमसन के फैसले ने खेल संस्थाओं की आंतरिक कलह को सतह पर ला दिया है. यह माना जा रहा है कि थॉमसन की ओर से पैरवी करने वालों में खेल मंत्री सर्बानंदा सोनवाल भी शामिल थे, लेकिन उनके प्रयास नौकरशाही की बाधाओं को पार नहीं कर सके. दिलचस्प रूप से 1980 बैच के आईएएस अधिकारी थॉमसन राज्य के मुख्य सचिव के रूप में इस महीने के अंत में केरल में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय खेलों की देखरेख करेंगे. इस बीच सरकार ने थॉमसन की पदोन्नति के निर्णय में भले ही देरी की हो, लेकिन उनका उत्तराधिकारी तलाशने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगाया. ख़बर है कि नेशनल एंटी डोम्पिंग एजेंसी के महानिदेशक जीएसजी अय्यंगर थॉमसन की जगह ले सकते हैं.