माया के ताबड़तोड़ फैसले
कुछ समय की शांति के बाद, एक बार फिर उत्तरप्रदेश के बाबू, मुख्यमंत्री मायावती के निशाने पर हैं. नोएडा भूमि आवंटन घोटाले में कथित तौर पर शामिल चार आईएएस अधिकारियों समेत कुल सोलह बाबुओं को उन्होंने निलंबित कर दिया है. यह घोटाला मुलायम सिंह के कार्यकाल में हुआ था, जिसमें पूर्व नोएडा चेयरमैन राकेश बहादुर को मुख्य अभियुक्त बनाया था. इसमें शामिल अन्य अधिकारियों में सेवानिवृत हो चुके तत्कालीन मेरठ प्रभागीय आयुक्त देवदत्त, नोएडा के मुख्य र्कायकारी अधिकारी संजीव सरन, अतिरिक्तकार्यकारी अधिकारी के. रविन्द्र नायक और उप कार्यकारी अधिकारी सी.पी.सिंह भी हैं. राज्य पुलिस में शीर्ष-स्तर पर भी काफी बदलाव किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने अपराध और क़ानून-व्यवस्था से जुड़े दो अतिरिक्त महानिदेशकों (एडीजी) की बहाली की है. इसके अलावा व्यापार-कर आयुक्त अनिल संत को मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव जे. एन. चैंबर की जगह लाया गया है. अब बहनजी का अगला क़दम क्या होगा, इसे लेकर उत्तरप्रदेश के बाबुओं में चिंता का सबब बना हुआ है.
उपयुक्त पद के हक़दार
अर्जुन सिंह से अपने तल्ख संबंधों के बाद लगता है, अब सैम पेत्रोदा के लिए अब राहत वाले दिन आने वाले हैं. ख़बर है कि उनको राष्ट्रीय सूचना राजमार्ग प्राधिकरण (एनआईएचए) का कार्यभार सौंपा जा सकता है. हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं की गई है. वैसे पेत्रोदा को ही नई(?) सरकार के लिए ई-गतिविधियों, जैसे ई-गवर्नेंस, ई-लर्निंग, ई-हेल्थ जैसे कार्यकर्मों की ज़िम्मेदारी मिलने की पूरी उम्मीद है. इसके पहले राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के तौर पर पेत्रोदा की केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण समेत कई मुद्दों पर अर्जुन सिंह से मतभेद जगज़ाहिर थे. वह सारी बातें अब अतीत का हिस्सा बन चुकी हैं. टेलिकॉम और आई.टी. क्षेत्र से तालमेल बिठाने को इच्छुक पेत्रोदा को भी यूनिक आइडेंटिफिकेशन डाटाबेस अथॉरिटी के मुखिया नंदन निलकेणी की तरह कैबिनेट-स्तर का दर्जा हासिल होगा.