सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा के उत्तराधिकारी की तलाश के लिए सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है. सिन्हा की जगह लेने के लिए इस दौड़ में शामिल उम्मीदवारों के लिए यह सस्पेंस का समय है. सरकार ने विपक्ष द्वारा वाक्आउट के बाद भी चयन के लिए लोकपाल अधिनियम में संशोधन का एक बिल पेश किया है. यह पद हाई-प्रोफाइल है और इसके अलावा हाल के महीनों में एजेंसी की प्रतिष्ठा भी थोड़ी धूमिल हुई है. जाहिर है, सिन्हा के उत्तराधिकारी के मुख्य कार्यों में से एक काम संगठन की छवि सुधारना भी होगा. इस पद के मुख्य दावेदारों में बिहार कैडर के अधिकारी अभयानंद, अनिल सिन्हा और कृष्णा चौधरी आदि हैं (मौजूदा निदेशक रंजीत सिन्हा भी बिहार कैडर से हैं). पर्यवेक्षकों का मानना है कि एनआईई के मौजूदा महानिदेशक शरद कुमार भी इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार हैं, जबकि आंतरिक सुरक्षा के विशेष सचिव प्रकाश मिश्रा, राजस्थान के डीजीपी ओमेंद्र भारद्वाज और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक भी इस दौड़ में शामिल हैं, लेकिन अंतिम पसंद तो पीएमओ की होगी.
मिशन पर बाबू
ऐसा अक्सर नहीं होता है, जब एक आईएएस अधिकारी अपने सहयोगी और यहां तक कि मुख्य सचिव पर कथित तौर पर जानकारी दबाने की कोशिश करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. बंगलुरू के बाबू हलकों में यह बात चर्चा में है, जो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार के लिए शर्मिंदगी पैदा कर रही है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एमएन विजय कुमार ने हाल में अपने सहयोगी एवं विशेष उपायुक्त मीर अनीस अहमद पर भूमि हथियाने का और मुख्य सचिव कौशिक मुखर्जी पर यह जानकारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तक न पहुंचाने का आरोप लगाया है. विजय कुमार उस समय कर्नाटक अपीलीय ट्रिब्यूनल में रजिस्ट्रार थे, जब कथित तौर पर ज़मीन हड़पने की यह घटना हुई. सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण से पहले भी विजय कुमार अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने गृहमंत्री केजे जार्ज के सलाहकार के रूप में एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी केमपैय्याह की नियुक्ति पर भी आपत्ति की थी.
बाबू का निलंबन
लोक निर्माण विभाग के सचिव टीओ सूरज का निलंबन केरल की जटिल सत्ता की राजनीति में चर्चित हो गया है. सूरज कई विवादों के घेरे में हैं, लेकिन पर्यवेक्षकों के मुताबिक, सूरज राजनीतिक समर्थन की वजह से उबरते रहे हैं. राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा सूरज के निलंबन की सिफारिश को मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने मंजूरी दे दी है. अब यह कयास ख़त्म हो गया है कि सूरज का पॉलिटिकल कनेक्शन उन्हें राहत दिला देगा. शायद एक लंबे समय के दौरान यह पहली घटना है, जब एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को राज्य सरकार द्वारा निलंबित किया गया. हालांकि, लड़ाई अभी जारी रहेगी. सूरज ने साफ़ तौर पर कुछ प्रतिष्ठित नेताओं की पोल खोलने की धमकी दी है.
दिल्ली का बाबू : सिन्हा का उत्तराधिकारी कौन?
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