भोपाल। वैक्सीनेशन अव्यवस्थाओं से आहत सरकारी कर्मचारी दोनों डोज लेने के बाद भी किसी दस्तावेजी सबूत के लिए भटकते नजर आ रहे हैं। जागरूकता के साथ पहला और सक्रियता के साथ दूसरा डोज लेने के बाद भी इनके पास न तो मैसेज आया और न ही इनको वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट हाथ लगा है। खुद को ठगा सा महसूस कर रहे ये कर्मचारी अब आगे क्या होगा, की जानकारी चाहने यहां वहां दस्तक देते नजर आ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक भोज ओपन विवि के दर्जनों कर्मचारियों और अधिकारियों ने 3अप्रैल को कोविड वैक्सीन का पहला डोज लगवाया था। इस दौरान सेंटर पर मौजूद वैक्सीनेशन कर्मचारियों ने इन्हें आश्वस्त किया था कि दूसरा डोज लेते समय उनको मैसेज मिल जाएगा। उसी के आधार पर इनका सर्टिफिकेट भी जनरेट हो जायेगा। लेकिन वैक्सीनेशन के दूसरे डोज के लिए पूर्व में निर्धारित समयावधि पूरी हो जाने तक भी इनके पास कोई मैसेज नहीं आया।

फिर लगी नई जुगत
हालांकि बाद में बदले गए नियमों के मुताबिक वैक्सीनेशन की अवधि 45 से बढ़ाकर 84 दिन कर दी गई है। इसके बाद भी इन कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए टीटी नगर में आयोजित वैक्सीनेशन कैंप में दूसरा डोज लगवा लिया। 25 मई को नगर निगम द्वारा आयोजित इस कैंप में इन कर्मचारियों को पहले डोज की तारीख के मुताबिक वैक्सीनेशन तो कर दिया गया, लेकिन इस बार भी प्रमाण के तौर पर न तो मैसेज मिल पाया और न ही सर्टिफिकेट।

सबकी अपनी जरूरत
वैक्सीनेशन के दोनों डोज लेने वाले अधिकारी सैयद कलीम करार का कहना है कि वैक्सीनेशन कराने के पीछे सबकी मंशा जागरूकता और सक्रियता की तो थी ही साथ ही सरकारी बाध्यता भी लागू थी। वैक्सीनेशन के बाद इसका मैसेज और सर्टिफिकेट दफ्तर में जमा करना था। इसके अलावा कई साथियों को राज्य और देश से बाहर जाने के लिए भी सर्टिफिकेट की जरूरत है। लेकिन सर्टिफिकेट न मिलने से कई परेशानी बनी हुई हैं।

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