भोपाल। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिलने वाली अनुदान राशि न मिलने का असर ये है कि राज्य सरकार ने भी मदरसा अनुदान से अपनी नजर फेर ली है। 6 साल से रुकी अनुदान राशि का असर प्रदेश के मदरसों में तालाबंदी के हालात बना चुकी है। प्रदेश में मौजूद 1600 से ज्यादा अनुदानित मदरसों से आधे से ज्यादा बंद हो चुके हैं, जबकि बाकी भी बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
प्रदेश में मदरसों की संख्या 6000 पार है। इनमें शिक्षा हासिल करने वालों की संख्या लाखों में आंकी जाती है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रदेश के करीब 1600 मदरसों को वार्षिक अनुदान दिया जा रहा है। प्रति मदरसा 72000 रुपए की राशि में केंद्र और राज्य सरकार का 60=40 का अनुपात तय है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 से अपने हिस्से की राशि जारी नहीं की है। नतीजा ये है कि इसी को आधार बनाकर राज्य सरकार ने भी अपने हिस्से की राशि रोक दी है। करीब 6 साल से रुके अनुदान के चलते प्रदेश भर में मदरसा संचालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
संचालन हुआ मुश्किल
आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के हाफिज जुनैद, शोएब कुरैशी, कफिल अहमद बताते हैं कि सरकारी अनुदान न मिलने की वजह से उन मदरसों की फजीहत हो गई है, जो किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा शिक्षकों को वेतन अदा कर पाना भी संचालकों के लिए मुश्किल भरा हो गया है। मदरसा संचालन के अन्य खर्चों में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मदरसा कल्याण संघ का कहना है कि सरकारी लेटलाली के चलते मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है।
उप्र सरकार ने दिखाई दरियादिली
जहां उप्र की योगी सरकार को मुस्लिम विरोधी करार दिया जाता है, वहां हालात विपरीत हैं। यहां राज्य सरकार ने अपने हिस्से का अनुदान जारी कर मदरसा संचालन को मजबूत कर दिया है। उप्र सरकार का कहना है कि केंद्र से मिलने वाली राशि के इंतजार में शिक्षा को प्रभावित नहीं किया जा सकता।