कभी कभी खीज होने लगती है. वर्तमान सीएजी शशिकांत शर्मा जब रक्षा सचिव थे, तब के सेनाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री जी से कहा था कि हमारे रक्षा बलों की स्थिति गंभीर हो गई है, क्योंकि इनके पास सात दिन से ज्यादा का युद्ध लड़ने लायक गोला-बारूद नहीं है. उस समय थल सेनाध्यक्ष की बड़ी आलोचना हुई थी. कांग्रेस के सांसद रहे हों, भारतीय जनता पार्टी के सांसद रहे हों, उन्होंने आरोप लगाया कि थल सेनाध्यक्ष देश की गलत स्थिति दुनिया के सामने रख रहे हैं.
लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तब के थल सेनाध्यक्ष को उन खतों का कोई उत्तर नहीं दिया. तत्कालीन रक्षा सचिव इस स्थिति को जानते थे. वही रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा इस समय देश के सीएजी हैं. अब उनकी एक रिपोर्ट आई है, जिस रिपोर्ट पर न कांग्रेस के लोगों का ध्यान है न भारतीय जनता पार्टी के लोगों का ध्यान है. उस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि देश के पास सिर्फ 10 दिन युद्ध करने लायक गोला-बारूद है.
2014 के बजट में, 2015 के बजट में, 2016 के बजट में और अब 2017 के बजट में, सेनाओं के ऊपर खर्च होने वाला व्यय बढ़ाया गया है. लाखों करोड़ के हथियारों के सौदे हो गए. लेकिन अगर कल चीन से या पाकिस्तान से हमारा युद्ध हो जाए, तो हमारे सारे आयुध लोहे का खिलौना साबित होंगे, क्योंकि हमारे पास सीएजी वह रिपोर्ट के हिसाब से सिर्फ 10 दिन तक युद्ध लड़ने की क्षमता है. गोला-बारूद ही हमारे पास नहीं है और हम रोज चीन से दो-दो हाथ करने की धमकी देते हैं. पाकिस्तान को तो नेस्तनाबुद करने की कभी भी कोई भी धमकी दे देता है. क्या ये देश-प्रेम है? मुझे लगता है ये भ्रष्टाचार के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है.
इसमें जितनी पिछली सरकार शामिल थी, उतनी ही ये सरकार शामिल है. ये देशद्रोह का भी मसला है कि देश की सेनाओं के पास किसकी कोताही के चलते सिर्फ 10 दिन का गोला-बारूद बचा हुआ है. इसका खुलासा मनमोहन सिंह सरकार के समय उस समय के थल सेनाध्यक्ष ने किया था. आज भी वही स्थिति है. आखिर ऐसा क्यों है? ये कौन सी ताकतें हैं, जो देश को, देश की रक्षा व्यवस्था को खोखला कर रही हैं. इधर रोज फेसबुक पर भक्तों की पागल टोलियां पाकिस्तान से हुई छोटी सी गोलाबारी को लेकर पाकिस्तान पर हमला करने के लिए ललकारना शुरू कर देते हैं.
टेलीविजन चैनल के बेवकूफ एंकर, जिन्हें न देश का पता है न रक्षा सेनाओं का पता है, न सीमाओं का पता है, जो कभी सीमा के पास तक नहीं गए, जिन्होंने कभी शहीदों के परिवारों को नहीं देखा, वे भी रोज टेलीविजन चैनल पर बैठकर भारत सरकार को तत्काल युद्ध करने और पाकिस्तान को कड़े से कड़ा सबक सिखाने का संदेश देने लगते हैं. ये कड़ा सबक क्या हो सकता है? ये कड़ा सबक पाकिस्तान के ऊपर हमला हो सकता है. देश में युद्ध का वातावरण बनाना और देश में युद्ध लायक क्षमता पैदा करना दो अलग-अलग बातें हैं.
लेकिन हमें मोदी सरकार से ये उम्मीद नहीं थी. जो मोदी सरकार पहले दिन से ही पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रही है और जिसके समर्थक टेलीविजन चैनलों और सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के ऊपर हमला करने की बात कर रहे हैं, वो मोदी सरकार इतनी खोखली है कि देश के पास सिर्फ 10 दिन का गोला-बारूद बचा है. इस बात को सीएजी द्वारा उजागर करने के बाद भी सरकार चैन से सो रही है. किसी को कोई चिंता नहीं है.
देश प्रेम का ये नया उदाहरण मौजूदा सरकार ने दिया है. ऐसे कई सारे उदाहरण हैं, जिन उदाहरणों के बारे में आपको जानना चाहिए. हमारे देश में इस समय भारतीय जनता पार्टी के लोग तेजी के साथ गांव-गांव तक ये संदेश फैला रहे हैं कि हमें चीन में बनी हुई राखियां नहीं खरीदनी चाहिए. ये कमाल की चीज है कि मोदी सरकार चीन को ठेके देना बंद नहीं कर रही है. जो मोदी सरकार लोगों को राखियां न पहनने का संदेश दे रही है, वही मोदी सरकार पूणे मेट्रो का 851 करोड़ का ठेका चीन की कंपनी को देती है और वो भी सरकारी कंपनी से मिलकर.
ये नाइंसाफी इस देश की जनता के साथ कोई और नहीं कर रहा है, सरकार और सरकार के समर्थक कर रहे हैं. 851 करोड़ का ठेका चीन की कंपनी को अभी एक महीना पहले दिया गया, जब चीन के साथ हमारा सीमा विवाद चल रहा है और उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और देश के सड़क मंत्री नितिन गडकरी हंसकर हाथ मिलाते हुए फोटो खिंचा रहे थे. अब प्रश्न है कि हम किसे सलाह दे रहे हैं, हम किसे मूर्ख बना रहे हैं? हम ही मूर्ख बन रहे हैं.
जीएसटी के लिए हमने इतना हो-हल्ला मचाया. एक देश-एक टैक्स का नारा दिया, लेकिन क्या एक देश-एक टैक्स का मतलब यही होता है. तो फिर इसके अलावा इनकम टैक्स क्या है, रोड टैक्स क्या है, टोल टैक्स क्या है, प्रोफेशनल टैक्स क्या है, टीडीएस क्या है, निर्यात कर क्या है, नगरपालिका का हाउस टैक्स क्या है, वाटर टैक्स क्या है, प्रॉपर्टी टैक्स क्या है? ऐसी कई चीजें और हैं, जो अभी याद नहीं हैं.
लेकिन कोई सरकार से नहीं पूछता है, एक देश-एक टैक्स का अर्थ तो कम से कम बताएं. श्री अरुण जेटली से लेकर सभी मंत्री जीएसटी का प्रचार कर रहे हैं. सारे व्यापारी नाराज हैं. सूरत में तो तीन-तीन लाख लोगों की रैली होती है, पटना, अहमदाबाद, कानपुर जैसे कई जगहों पर रैलियां हो रही हैं. लेकिन इसे लेकर अखबारों में एक लाइन न छपे इसके लिए सरकार सजग है.
टेलीविजन पर एक इंच का फुटेज न दिखाई दे, इसके लिए सरकार पूर्णतया सचेत है. व्यापारी रो रहे हैं, देश परेशान है. किसी को नहीं पता कि जीएसटी में किससे टैक्स लेना है. सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई अवेयरनेस प्रोग्राम नहीं है. लेकिन हम जीएसटी को लेकर ताली बजा जा रहे हैं. हम हर चीज पर ताली बजा रहे हैं. हमें कोई चिंता नहीं हो रही है कि हमारा देश युद्ध लड़ने लायक गोला-बारूद भी नहीं रखता और हमें यह कारण समझ में नहीं आता है कि हम क्यों किसी के आगे नाक रगड़ते हैं और पाकिस्तान के आगे सिर्फ एक ऐसा गुस्सा दिखाते हैं, जिसे नपुंसक गुस्सा कह सकते हैं. कौन सोचेगा इसके बारे में.
नीतीश कुमार आएंगे नीतीश कुमार जाएंगे. नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएं, भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाएं, लालू यादव के साथ रहें, इससे क्या फर्क पड़ता है. देश को जिन चीजों से फर्क पड़ता है, उसकी चिंता देश के लोगों को नहीं है. हम अब भी यह सवाल नहीं पूछ रहे हैं कि आखिर मनमोहन सिंह के समय से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2017 में तीन साल शासन करने के बाद भी देश के पास गोला-बारूद क्यों नहीं है. ये कौन लोग हैं? जो भी हैं, देशद्रोही हैं. टेलीविजन वाले इनकी पहचान क्यों नहीं कर रहे हैं? सीएजी रिपोर्ट क्यों संसद में नहीं उठ रही है? सीएजी की रिपोर्ट के ऊपर टेलीविजन चैनलों में बहस क्यों नहीं हो रही है और यह क्यों अखबारों में नहीं जा रहा है? जो ये सब नहीं कर रहे हैं, वही देशद्रोही हैं.