पत्र लिखने की प्रेरणा किसी पुराने संघ स्वयंसेवक की, जो आज संघ विरोधी हो गए हैं ! भारत की जनता को बीजेपी को जिताने के लिए दोषी ठहराने की ! पोस्ट देखकर मुझे लगा, कि क्यों न मै अपने ताजा अनुभव को शेयर करू ?
मैं मार्च के आखिरी सप्ताह और अभी मई के प्रथम सप्ताह में दक्षिण भारत के कर्नाटक आंध्र, तेलंगाना तमिलनाडु और पुद्दुचरी की यात्रा से लौटा हूँ ! और यात्रा का आनंद कम पीडा का अनुपात ज्यादा है !


मुख्य बात कर्नाटक में हिंदुत्ववादीयो की सक्रियता ! मैंने बेलगांव शहर में हर गली मुहल्ले और चौराहे पर कन्नड, मराठी, हिंदी, तथा अंग्रेजी में गीता के पांचसौ से ज्यादा पन्नौकी कापियों को दस – दस रूपये में बेचते हुए देखा ! और सिग्नल पर गाडी खडी है ! तो तुरंत लपककर आपके हाथ में थमाते है !
मै बेलगांव में किसी वकिलसाहेब के दफ्तर में बैठा था, तो पांच मिनट के भीतर कोई हाथों में तिनो – चारो भाषाओं की गीता बहुत ही आग्रह के साथ बेचने की कोशिश कर रहा था ! मुझे नमूने के तौर पर एक कापी लेने की इच्छा भी हुई ! लेकिन आजकल मेरे अपने ही सामान में कुछ भी अतिरिक्त सामान बढ़ाने की इच्छा नहीं रही ! अन्यथा सामान के बोझ से सफर अंग्रेजी का सफर हो जाता है !

मेरी इच्छा तो कर्नाटक के कोस्टल एरिया, जहाँ हिजाब, हलाल और हिंदु मंदिरों के अगल-बगल के मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों से, सामान खरीदने की मनाही के फतवे ! तथा अन्य स्थानिय मुद्दों को लेकर लगातार अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बदनामी की मुहिम शुरू है ! तो मै सिर्फ परिस्थिती का आकल करने के उद्देश्य से ही गया था ! इस परिप्रेक्ष्य में हमारे सेक्युलर और प्रगतिशील मित्रों ने सलाह दी “कि अभी माहौल काफी तनावग्रस्त है तो फिलहाल कोस्टल कर्नाटक की यात्रा रद्द करने की सलाह दी” तो बेलगांव और महाराष्ट्र के सिमावर्ति देहांतो जहां हमारे चालिस साल पुराने मित्र शिवाजी कागणिकर का काम जारी है उन गांवों में जाकर लौटा हूँ ! शिवाजी सरकारी योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं और पानी तथा पर्यावरण संरक्षण के काम को प्राथमिकता से कर रहे हैं और उन्हें इस काम के लिए कर्नाटक सरकारने सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित भी किया है ! खाकी हाफ पँट और खद्दर का आधी बाह का मनिला, खद्दर की गांधी टोपी लेकिन टेढीमेढी ! और स्थानीय कारागिर की चप्पल यह उनके ड्रेस को मैंने चालिस साल पहले से देखा है ! मोबाईल फोन नही रखते हैं और संपूर्णता जनाधारीत जीवन जी रहे हैं और आज सत्तर से अधिक उम्र के हो गए हैं !


बेलगांव में मै 1977-78 से आना-जाना कर रहा हूँ ! और राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष के दौरान कम-से-कम चार – पांच बार गया हूँ ! (1917-19) लेकिन गीता बेचने का अभियान इसी समय देखा ! और बेचने वाले कोई धोती – कुर्ते में तो कोई पजामा – कुर्ते में वे पेशेवर बिक्रेता नहीं लगे ! धुनी कार्यकर्ता ज्यादा लगे !
हम हिंदुत्ववादीयो की जमकर लेख – बातचीत में खुब आलोचना करते हैं ! लेकिन मैंने भागलपुर दंगे के बाद बिहार की ट्रेनों में संघ समाचार नाम के पचास पैसे किमत के एक दो पन्नौ के अखबार बेचने वाले देखे थे ! और पचास पैसे के कारण लगभग हर पढ़ने वाले को उन्हें खरीदते हुए देखा है ! और खबर मे कश्मिर की हिंदु महिलाओं के अत्याचारों की कपोलकल्पित कहानियों के अलावा, फलाने गांव में किसी मुस्लिम युवक ने हिंदु लड़की को छेडा ! जैसी ही वार्ताओं से भरा रहता था ! और बेचने वाले संघ के स्वयंसेवक होते थे ! शायद अब मोबाईल के कारण संघ की सैफ्रोन डिजिटल आर्मी सोशल मीडिया के माध्यम से यह ( Rumer Spreading Society, RSS !!) अपने प्रचार – प्रसार करने का काम बारह महीनों चौबीसों घण्टे कर रहे हैं ! इस तकनीक का इस्तेमाल भारत में शुरू करने वाले वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी है ! जब वह 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे ! तभी उन्होंने थायलंड की एजेंसी को किराये पर लिया था ! तो भारत की जनता के मानस बनाने के लिए संघ ने हर तरह के हथकंडे इस्तेमाल करने के बाद, दिल्ली तक पहुंचे हैं ! उसमें भारत की जनता को दोष देने से क्या होगा ? उनके प्रचार कितने भी फुहड होंगे ! लेकिन भारत के विशिष्ट जनमानस पर उन्होंने अपने प्रचार प्रसार करने के कारण असर डाला है ! और लेफ्ट सरकारो के जगह पर असर नहीं हुआ ! यह भी गलत जानकारी है ! उल्टा लेफ्ट सरकारो के राज्यों में अपने कार्यकर्ताओं की जानो की बाजी लगाकर , संघ अपने प्रचार प्रसार करने के लिए अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक शक्ति लगा रहा हैं !


कर्नाटक के दौरे का मुख्य उद्देश्य हिजाब, हलाल तथा और भी मुद्दों पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सताने का ही जारी है ! नंबर एक पर मुस्लिम समुदाय, और नंबर दो पर ख्रिश्चन, तथा दलितों और आदिवासियों तथा महिला समुदायों को देखा ! और सबसे हैरानी की बात महंगाई आकाश को छू रही है ! लेकिन महंगाई के खिलाफ गुस्सा या आक्रोश कही भी नहीं दिखाई दिया ! अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ की नफरत में जैसे सब आम जीवन के सवाल राख हो गए ! और जो लोग इस नफरत की आंधी से बचे हुए हैं तो वे डरे हुए हैं ! हमने 1975 आपातकाल का भी दौर देखा है ! लेकिन इतना डर तब नहीं दिखाई दिया था ! जितना कि आज है !
आनेवाले 25 जून को बीजेपी और संघ आपातकाल की घोषणा के 47 साल के उपलक्ष्य में, खुब अभिव्यक्ति की आजादी तथा जनतंत्र का मंत्र जपने वाले हैं ! और दुसरी आजादी के स्वतंत्रता सिपाही अपने आप को बोलकर (जैसे पेंशन योजना शुरू की है !) और गत आठ सालो में चंद अपवाद छोडकर हर तरह का मिडिया उनकी तूती बोलता है !
इस यात्रा के अंतिम चरण में हैदराबाद में हमारे चालिस साल पुराने मित्र जिनका आंतरजातीय और आंतरभारतीय विवाह के लिए मै निमित्त हूँ ! और आठ साल पहले तक कि मुलाकातों में वह मुझे बहुत ही सेक्युलर और मानवतावादी उदार दृष्टिकोण के दिखाई देते आए हैं ! लेकिन इस मुलाकात के दौरान उग्र हिंदुत्ववादीयो के प्रतिनिधि नजर आए ! यह परिवर्तन को मै एक मिटर के तौर पर देख रहा हूँ ! शायद गत चालिस साल से हैदराबाद के निवासी होने के कारण ! ओवेसी की मुस्लिमपस्त राजनीति के कारण, बगैर किसी विशेष प्रयास के वह अपने आप ही हैदराबाद की सांप्रदायिक राजनीति के कारण, उनके अंदर का पहचान की तलाश वाला हिंदु अहसास होना शुरू हुआ होगा !

मै मेरे साथ के उनकी सब बातें तो नहीं लिखूंगा ! लेकिन एक फनॅटिक के स्तर पर वह जिस तरह से मुसलमानों के खिलाफ बोले है ! उन बातों से मै हिल गया हूँ ? और हमारा मानवतावादी दृष्टिकोण को और अधिक साधारण, आसान भाषा में लोगों तक पहुंचाने के लिए और अधिक सोच-विचार कर के लोगो के बीच जाने की आवश्यकता है !
आनेवाले 2025 में संघ शताब्दी मनाने की तैयारी कर रहा है ! लेकिन वर्तमान समय में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के आकलनों के बाद मुझे लगता है कि संघ अपने हिंदुत्व के अजेंडे को लोगो के भीतर पहुचाने में काफी हद तक कामयाब हुआ है ! और उसमे कोई लेफ्ट भी नहीं छुटा है !
साथियों मेरे आकलन को देखते हुए काफी लोगों को संघ का महिमामंडित करने की बू आती है ! और कुछ लोगों को अतिशयोक्ति ! मेरी तो मान्यता है कि मेरा आकलन शतप्रतिशत गलत निकले तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी ! यही बात आजसे बत्तीस साल पहले भागलपुर दंगे के बाद मैंने कहीं थी ! और आज पुनः दोहरा रहा हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार, नागपुर, 15, मई 2022

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