जब बात बाबुओं को परेशानी से बचाने वाली हो, तो भाजपा सरकार अपने पूर्ववर्ती के साथ खड़ी नज़र आती है. मई में सुप्रीम कोर्ट ने वह क़ानून निरस्त कर दिया था, जिसमें यह प्रावधान था कि जांच एजेंसियों, जैसे सीबीआई को संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारी की जांच के लिए सरकार से पहले अनुमति लेनी होगी. बेशक, यूपीए सरकार के कई बाबू 2-जी और कोलगेट जैसे बड़े घोटाले में शामिल थे, लेकिन अब दो महीने बाद भाजपा सरकार में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी मानते हैं कि स़िर्फ संयुक्त सचिव स्तर पर नहीं, बल्कि सारे बाबुओं को ऐसी सुरक्षा मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा है कि जांच के लिए अनुमति सरकार की जगह सीवीसी दे. कांग्रेस ने इसका विरोध किया है.
आईएएस दंपत्ति हुए सेवामुक्त
आईएएस दंपत्ति अरविंद एवं टीनू जोशी को सेवामुक्त कर दिया गया है. मध्य प्रदेश कैडर के इस आईएएस दंपत्ति के घर पर चार साल पहले सीबीआई के छापे पड़े थे, जिनमें 350 करोड़ रुपये बरामद हुए थे. बाबू सर्कल में इस मामले को नौकरशाही में भ्रष्टाचार के उदाहरण के रूप में देखा जाने लगा था. राज्य सरकार ने इस दंपत्ति को सेवामुक्त करने के अपने क़दम को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जीरो टालरेंस नीति बताया है. दिलचस्प रूप से अरविंद जोशी अगले महीने और उनकी पत्नी इसी साल अक्टूबर में रिटायर होने वाले थे. जोशी दंपत्ति सरकार के इस आदेश को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चुनौती देने और राष्ट्रपति के पास भी अपील करने का मन बना रहे हैं. इस मामले के इतने प्रचार के बाद भी सरकारी गलियारों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई एक आसान काम नहीं है. एक दागी अफसर को सेवामुक्त करने में चार साल लग गए. जोशी दूसरे ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें सेवामुक्त किया गया है. 22 साल पहले मध्य प्रदेश कैडर के और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात आईएएस अधिकारी राम सिंह को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था.
खाली पड़े हैं पद
यूपीए शासन की शिथिलता की वजह से विभिन्न सरकारी महकमों में उच्च स्तर के रिक्त पद भरने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को काफी तेजी दिखानी होगी. पांच सरकारी विमानन कंपनियां एवं एजेंसियां या तो बिना किसी मुखिया के काम कर रही हैं या फिर उनके मुखिया जल्द ही रिटायर होने वाले हैं, जबकि उनकी जगह आने वाले अधिकारी का अब तक चयन नहीं हो सका है. उदाहरण के लिए, एयर इंडिया के चेयरमैन रोहित नंदन का कार्यकाल अगले महीने ख़त्म होने वाला है, जबकि एयरपोर्ट्स इकोनॉमी रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन यशवंत भावे अगले सप्ताह रिटायर होने वाले हैं. बाबूशाही पर नज़र रखने वाले बताते हैं कि नागर विमानन मंत्रालय ने अभी तक रोहित नंदन की जगह किसी अन्य को नियुक्त करने का न तो संकेत दिया है और न उनका कार्यकाल बढ़ाने का. पवन हंस और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी का मामला भी इससे अलग नहीं है, जो एक साल से बिना किसी पूर्णकालिक मुखिया के काम कर रहे हैं.
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