कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर को अप्रत्याशित रूप से मिले एक साल के एक्सटेंशन ने लगातार दो बैचों के नौकरशाहों को इस पद की दौड़ से ही बाहर कर दिया. हालांकि इस फैसले से यह भी स्पष्ट है कि चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का विश्वास हासिल है. कैबिनेट सचिव के सेवा विस्तार के लिए नियम-क़ायदों को केवल थोड़ा सा घुमाया गया और चंद्रशेखर अब अगले साल जून तक इस पद पर बने रहेंगे. इसके साथ ही लोगों की निगाहें 2011 पर टिक गई हैं. चंद्रशेखर के उत्तराधिकारियों को लेकर अटकलबाज़ियों का दौर अभी से शुरू हो गया है. सूत्रों पर भरोसा करें तो 1974 बैच के आईएएस अधिकारी पुलक चटर्जी के नाम की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है. चटर्जी फिलहाल वर्ल्ड बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. सूत्रों का तो यह भी कहना है कि चंद्रशेखर को दूसरी बार सेवा विस्तार देने का मक़सद ही यही है कि चटर्जी वर्ल्ड बैंक के साथ अपना कार्यकाल पूरा कर वापस लौट सकें. हालांकि ये केवल अटकलें ही हैं और इनकी बिना पर भविष्य में इतना दूर देखना शायद ठीक नहीं हैं. अभी तो यही हक़ीक़त है कि चंद्रशेखर जून 2011 तक देश के शीर्ष नौकरशाह बने रहेंगे, यदि राष्ट्रमंडल खेलों के चलते उनके राजयोग में कोई बाधा नहीं पड़ी तो!

सीएजी की निगाहों में रहेंगे अधिकारी

थोड़े दिनों पहले कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) के एक फैसले से नौकरशाहों की बांछें खिल गई थीं. कैट के इस फैसले में कहा गया था कि यदि अधिकारियों को लगे कि उनकी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) में गलतियां हैं तो वे इसकी टिप्पणी खुद ही एसीआर में कर सकते हैं. ज़ाहिर है, अधिकारी इस फैसले से फूले नहीं समा रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय के एक फैसले ने एक बार फिर उनकी पेशानी पर बल डाल दिए हैं. पीएमओ ने सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक) को निर्देश दिया है कि वह नौकरशाहों द्वारा ज़िले में किए गए काम की समीक्षा करे. इसका मतलब यह है कि अधिकारियों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट अब इस आधार पर तैयार की जाएगी कि ज़िले के विकास में उनका क्या योगदान है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में उनके प्रदर्शन की भी समीक्षा की जाएगी. सीएजी विनोद राय ने पहले ही यह घोषणा कर दी है कि अधिकारियों की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने में ज़िले में उनके प्रदर्शन को खास अहमियत दी जाएगी. बात यहीं खत्म नहीं हो जाती. इस बात का ध्यान भी रखा जाएगा कि सीएजी की समीक्षा पर संबद्ध अधिकारी क्या प्रतिक्रिया देता है. सीएजी अपनी समीक्षा से राज्य के मुख्य सचिव को भी अवगत कराएगा. एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया के साथ जिस तरह रोज़ नए-नए पक्ष जुड़ रहे हैं, अधिकारी अपनी आंखें खुली रखें, इसी में भलाई है.

सेल को मिला नया चेयरमैन

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) को आखिरकार नया चेयरमैन मिल ही गया. भारत हैवी इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (भेल) के डायरेक्टर-फाइनेंस रहे सी एस वर्मा को एस के रूंगटा की जगह नियुक्त किया गया है, जो पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए थे. हालांकि सूत्रों के मुताबिक़, वर्मा की नियुक्ति में भी कई अड़चनें आईं. इस्पात मंत्रालय के अधिकारी किसी नौकरशाह की नियुक्ति के लिए ज़ोर लगा रहे थे, का़फी ज़द्दोजहद के बाद ही वर्मा के नाम को हरी झंडी मिल पाई. इस बीच सेल ने झारखंड में एक इस्पात प्लांट के लिए कोरियाई कंपनी पॉस्को के साथ करार भी किया है. इस्पात सचिव अतुल चतुर्वेदी इस करार के पक्ष में थे और उनकी इच्छा थी कि इसकी प्रक्रिया रूंगटा के पद पर रहते ही पूरी हो जाए. उन्हें शायद यह लगा हो कि रूंगटा के बिना इसमें कहीं अड़ंगा न लग जाए. रोचक बात यह भी है कि रूंगटा के भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलों को भी विराम लग गया है. रूंगटा पेट्रोनेट एलएनजी के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पद की दौड़ में थे, लेकिन वह इस दौड़ में पीछे रह गए. यह बाजी ए के बाल्यान के हाथ लगी, जो ओएनजीसी के डायरेक्टर-एचआर थे. बहरहाल नए चेयरमैन की नियुक्ति के साथ सेल एक नए रास्ते पर चलने के लिए तैयार है.

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