भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने अपने कार्यकाल की समाप्ति से तीन महीने पहले जब इस्तीफ़ा दिया था, तो उस समय बहुत आश्चर्यचकित हुए थे. उन्होंने अपने इस्ती़फे की बात किसी को नहीं बताई थी. क्या उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के कारण इस्तीफ़ा देना पड़ा या उनके इस्ती़फे के पीछे कोई अन्य कारण था? उनके इस क़दम को लेकर चर्चाएं भी कम नहीं हो रही हैं. कुछ मशहूर समीक्षकों का मानना है कि चक्रवर्ती खुद की बात कहने में यकीन करते थे और वर्तमान गवर्नर राजन के पूर्ववर्ती डी सुब्बाराव से बहुत सारे नीतिगत मामलों पर उनका मतभेद भी था. अगस्त 2010 में उनके द्वारा मुद्रास्फीति से निबटने की आरबीआई की मौद्रिक नीतियों पर सार्वजनिक टिप्पणियों के बाद उनसे कई विभाग भी छीन लिए गए थे. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि चक्रवर्ती ने एक विशेष विदेशी कार्य हासिल करने के लिए इस्तीफ़ा दिया है. चक्रवर्ती के इस्ती़फे के पीछे चाहे जो भी कारण हो, लेकिन लोकसभा चुनाव सिर पर है और ऐसे समय में उनके इस्तीफ़ा देने से सरकार असहज हो गई है. सरकार ज़रूर चाहेगी कि चक्रवर्ती की जगह कोई अन्य अधिकारी इस पद पर नियुक्त किया जाए, लेकिन यह चुनाव से पहले संभव होता नहीं दिखता. कहने का मतलब यह है कि अब इस पद पर नई सरकार के गठन के बाद ही कोई ़फैसला हो सकता है. चक्रवर्ती के इस्ती़फे और आनंद सिन्हा के इसी साल जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद आरबीआई में डिप्टी गवर्नर के दो पद खाली हैं.
कौन होगा अगला कैबिनेट सचिव
केबिनेट सचिव अजीत कुमार सेठ इसी साल जून महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उसी समय केंद्र में नई सरकार का भी गठन होगा. उन्हें पिछले साल एक साल का सेवाविस्तार दिया गया था, जो यूपीए-2 के कार्यकाल की समाप्ति के साथ ख़त्म होने वाला है. सूत्रों का कहना है कि सेठ के कार्यकाल का समय जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है, इस पद के लिए योग्य अधिकारियों ने लॉबिंग तेज कर दी है. इस पद की दौड़ में भारी उद्योग सचिव सुतानू बेहुरिया, जल संसाधन सचिव आलोक रावत के साथ-साथ कॉरपोरेट मामलों के सचिव नावेद मसूद भी शामिल हैं. बेहुरिया अगर इस अवसर का फ़ायदा नहीं उठा पाते हैं, तो वह इस साल के अगस्त महीने में सेवानिवृत्त हो जाएंगे. हालांकि, इस पद के लिए अधिकारियों की वरीयता का खास महत्व है, लेकिन सब कुछ नई सरकार और उसकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है. इसलिए इस पर कयासों का दौर ख़त्म होने वाला है.
वित्त मंत्रालय में लॉबिंग तेज
वित्त सचिव सुमित बोस की सेवानिवृत्ति इस महीने के अंत में होने वाली है. उनकी सेवानिवृत्ति के साथ ही वित्त मंत्रालय में इस पद के लिए नए चेहरों के बीच सुगबुगाहट तेज होने लगी है. संभावना है कि 1979 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव टकरू को इस पद पर नियुक्त किया जाएगा. टकरू बोस की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी जगह पर नियुक्त होंगे. सूत्रों का कहना है कि वर्तमान के सभी वित्त सचिवों में सबसे वरिष्ठ और आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम को भी वित्त सचिव बनाया जा सकता है. 1980 बैच एवं राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी गुरुदयाल सिंह संधू को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने टकरू के स्थान पर नियुक्त किया है. संधू राजस्थान में शहरी आवास विकास विभाग के प्रमुख सचिव थे. हालांकि अधिकारियों की नज़र वित्त मंत्रालय में नए आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्ति को लेकर भी है. यह पद रघुराम राजन के भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बनने के बाद से ही खाली है.
दिल्ली का बाबू : चक्रवर्ती के इस्ती़फे की वजह
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