राजीव टकरू अचानक तबादले के अभ्यस्त हैं. गुजरात कैडर के इस आईएएस अधिकारी को पिछले छह महीने में दो बार तबादले का सामना करना पड़ा. इसके पीछे नार्थ-ईस्टर्न रीजन के मंत्री जनरल वीके सिंह के साथ उनकी अनबन होना बताया जा रहा है. अभी वह नेशनल माइनॉरिटी कमीशन में है. जून में टकरू, जो राजस्व सचिव थे, को वित्त मंत्रालय से पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय में भेजा गया था. सूत्रों के मुताबिक, 1979 बैच के इस अधिकारी के इस मंत्रालय के मंत्री से शीघ्र ही मतभेद सामने आने लगे. टकरू इस बात से नाखुश थे कि मंत्री महोदय बिना उनकी जानकारी के सारी फाइलें सीधे अपने पास मंगवा लेते थे. यह भी कहा जाता है कि टकरू ने राजेश कुमार को निजी सचिव बनाने के निर्णय को लेकर भी सवाल उठाए थे.
केंद्र भरोसे किस्मत
गुजरात सरकार अपने मुख्य सचिव वरेश सिन्हा का कार्यकाल एक बार फिर से बढ़ाना चाहती है. अगर ऐसा होता है, तो यह तीसरी बार होगा, जब सिन्हा का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा. हालांकि, इसके लिए पीएमओ से क्लीयरेंस की ज़रूरत होगी. सूत्रों के मुताबिक, आनंदी बेन पटेल 2015 में होने वाली वाइब्रेंट गुजरात सम्मिट तक सिन्हा को इस पद पर बनाए रखना चाहती हैं. इसके लिए राज्य सरकार उस नियम का उल्लंघन कर रही है, जिसके मुताबिक मुख्य सचिव का कार्यकाल अवकाश ग्रहण करने के बाद छह महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है. अब यह प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है कि वह इस नियम को मानते हैं या फिर कोई अपवाद बनाते हैं. सूत्रों के मुताबिक, उनका यह निर्णय तीन वरिष्ठ बाबुओं के किस्मत का फैसला करेगा, जो इस पद के लिए लाइन में हैं. वे बाबू हैं, एकके नंदा, डीजे पांडियन और हंसमुख अधिया.
बाबुओं का चिंतन शिविर
एनडीए सरकार के अब तक के ज़्यादातर निर्णय सुस्त नौकरशाही को सक्रिय बनाने से ही जुड़े हुए हैं. आख़िरकार, गवर्नेंस (शासन) में सुधार लाना मोदी का मूलमंत्र भी तो है. अब मोदी सरकार चाहती है कि बाबू नए आइडियाज के साथ आगे आएं, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके. पहली बार, अगले महीने एक चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहा है, ताकि बाबुओं का उत्साह बढ़ाया जा सके और उनके नए-नए विचार सामने आ सकें. सूत्रों के मुताबिक, कार्मिक सचिव संजय कोठारी ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे सारे बाबू, जो 12 से 14 साल तक सेवाएं दे चुके हैं, उन सबका इस शिविर में आना सुनिश्चित किया जाए और वे अपने सुझाव दें कि कैसे एक बेहतर प्रशासन का निर्माण किया जा सकता है.