नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे ! उस समय आपके नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टी (एन सी सी एल) नाम के एनजीओ के द्वारा नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ गुजरात सरकार की तरफ से केस लडे थे ! वैसे ही गुजरात के 2002 के दंगों के खिलाफ काम करने वाले विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ महाशय आप ने अपने खुद के संस्था का नाम ह्यूमन राईट रखने के बावजूद जो लोग गुजरात के सरकार द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करते थे ! तो आप अपने संस्था के द्वारा विभिन्न केसेस करते हुए उन्हें रोकने का काम करते थे ! मतलब संस्था का नाम ह्यूमन राईट और काम ‘इनह्यूमन’! समस्त विश्व में मानवाधिकार के मुल उद्देश्यों और उसकी मध्यवर्ती कल्पना के साथ इतना अमानवीय मजाक शायद ही कभी और कही पर किया गया होगा और उसी के एवज में नरेंद्र मोदी ने आपको दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया है ! अन्यथा आपका ट्रेक रेकॉर्ड देखने के बाद आपने मानवाधिकार की संकल्पना के साथ जो खिलवाड किया है उसको लेकर आप के उपर ही कारवाई होनी चाहिए !


आज आप वर्तमान समय में दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर कार्यरत हैं ! दिल्ली के कुछ क्षेत्रों के लोग पानी की समस्या से बुरी तरह से परेशान चल रहे हैं ! आये दिन टीवी के उपर दिल्ली के लोगों के पानी को लेकर चल रहे हालात पर आयेदिन कवरेज चल रहा है ! लेकिन आपको मेधा पाटकर या अरुंधती रॉय के खिलाफ दस पंद्रह साल पुराने मामले खोजकर, उनके खिलाफ दोबारा कारवाई के लिए फुर्सत है ? लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में रहते हुए ! उपराज्यपाल का संविधानिक दायित्व है, कि वह मुख्यमंत्री के अनुपस्थित रहने के वजह से दिल्ली के समस्याओं को सुलझाने के लिए अपने पद का इस्तेमाल करना छोड़कर जानबूझकर मेधा पाटकर और अरुंधति रॉय जो चालीस वर्ष से अधिक समय से भारत की विभिन्न समस्याओं को लेकर जनांदोलन या लिखने वाले लोगों के खिलाफ और वह भी दस साल से अधिक पुराने मामलों को खोजने में, अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं ! और शायद आपकी गलतफहमी होगी कि इस तरह मेधा पाटकर या अरुंधती रॉय जैसे लोगो के पुराने मामलों को लेकर उन्हें परेशान कर के भारत में इसी तरह के काम करने वाले अन्य लोगों को डराने की मन्शा साफ नजर आ रही है !


उपराज्यपाल बनने के पहले आप महाशय गुजरात में मानवाधिकारों को लेकर नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टी (एन सी सी एल) के नाम से एक एनजीओ चला रहे थे ! 2002 के गुजरात दंगों में हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर क्या काम किया है ? और नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में सौ से अधिक गैरकानूनी एंकाऊंटरो में, शेकडो लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया है ! जिसमें इशरत जहाँ जैसी 18-19 साल की बच्ची से लेकर कौसरबी जैसी सोहराबुद्दीन-तुलसीप्रजापती के साथ ही मारी गई महिला भी है ! और नरेंद्र मोदी को मारने के लिए आने वाले बोल कर डी. जी. वंजारा से लेकर कई पुलिस एंकाऊंटर एक्सपर्ट्स के द्वारा जो लोग मारे गए हैं ! उन के लिए आपने कौन-सा मानवाधिकार कार्यकर्ता होने का परिचय दिया है ? वैसे ही दंगों में बिल्किस बानो जैसी महिला गर्भवती होने के बावजूद उसके साथ एक दर्जन लोग सामूहिक रूप से बलात्कार किया ! और उसकी छोटी सी बच्ची को पटक- फटक कर उन्ही जल्ला

दो ने मौत के घाट उतार दिया तब आपके अपने मानवाधिकार संगठन ने कौन सी भुमिका निभाने का काम किया है ?
वैसे ही सरदार सरोवर के निर्माण में हजारों की संख्या में लोग विस्थापन के शिकार हुए हैं ! और उसमे सबसे बड़ी संख्या में आदिवासी और दलितों की रहते हुए आपका मानवाधिकार संघठन ने क्या किया है ? उल्टा गुजरात सरकार के तरफसे कोर्ट में नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ कार्रवाई में भाग लिया है ! यही आपके मानवाधिकार के बारे में प्रतिबद्धता को देखते हुए आपने मानवाधिकार शब्द का कितना बड़ा अपमान किया है ? और शायद आपकी इसी करतूतों की वजह से आपको दिल्ली का उपराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया है ?


अब आप दिल्ली के राजभवन में बैठ कर कुछ चूनिंदा लोगों के पुराने केसेस खोज – खोजकर निकाल रहे हैं ! तो मेरा आपसे विनम्र निवेदन है, कि जिस गुजरात में आपके रहते हुए, सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायमूर्ति ब्रजकिशन लोया का नागपुर में संशयास्पद मृत्यू होने, तथा विठ्ठलभाई पंड्या जो अपने बेटे पूर्व गृह मंत्री गुजरात हरेन पंड्या की हत्या के बारे में अहमदाबाद में दर – दर की ठोकरें खाते हुए, मेरे बेटे के असली हत्यारे कौन है ? यह कहते – कहते मर गए ! यह सब कुछ आप अहमदाबाद में मानवाधिकार कार्यकर्ता बने हुए थे ! और मुझे खुद को जब विठ्ठलभाई पंड्या एडवोकेट मुकूल सिन्हा के द्वारा आयोजित गुजरात दंगों के संदर्भ में, एक कार्यक्रम में, निवेदन के साथ आकर मिले हैं ! तो उन्होंने आपको भी यही निवेदन सौपने की बात मुझे बताया है ! तो आपने इनमें से कौन से मामले में आपने अपने संस्था के द्वारा पहल की है ? आपको अहमदाबाद से दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर नियुक्त करने की वजह क्या है ?


और आप दिल्ली में आने के बाद सचमुच अपने पद का उपयोग दिल्ली की जनता की समस्याओं के समाधान के लिए करना छोड़ कर, यह जो बदले की भावना से चुन-चुन कर कार्रवाई करने का प्रयास कर रहे हैं ! यह आपने उपराज्यपाल के पद पर कार्यरत होने के पहले ली हुई शपथ का ईमानदारी से पालन कर रहे हो क्या ? यह अपने आप को ही पुछीए !

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