भोपाल। मर्जर एक्ट से बंधी तीन जिलों की मसाजिद कमेटी ने ईमाम मुअज्जिन की तनख्वाह मुहल्ले से जमा करने का फरमान मस्जिदों की स्थानीय कमेटियों को जारी कर दिया है। शहर के बड़े उलेमाओं से कराई गई इस अपील में मोहल्ला कमेटियों को कहा गया है सरकारी प्रक्रिया से हटकर ये तनख्वाह जुटाई जाए, ताकि ईमाम मुअज्जिन को परिवार के पालन पोषण में दिक्कत न आए।

शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी, शहर मुफ्ती मोहम्मद अबुल कलाम कासमी और अन्य उलेमाओं के हस्ताक्षर से जारी ये फरमान मसाजिद कमेटी ने शहर की सभी मस्जिदों को भेजा है। जिसमें कोरोना हालात और बढ़ती महंगाई का जिक्र करते हुए कहा गया है कि सभी स्थानीय कमेटियां अपने क्षेत्र के ईमाम और मुअज्जिन के वेतन के मस्जिद में आने वाले नमाजियों और मुहल्ले के लोगों से चंदा इकट्ठा करके हर माह ईमाम को कम से कम 10 हजार और मुअज्जिन को कम से कम 7 हजार रूपए वेतन अदा करें।

कमेटी का अनुदान 2.75 करोड़
जानकारी के मुताबिक भोपाल रियासत के तीन जिलों भोपाल, रायसेन और सीहोर में स्थित मस्जिदों के ईमाम मुअज्जिन की तनख्वाह सरकारी अनुदान से दी जाती है। मसाजिद कमेटी द्वारा संचालित इस व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा सालाना 2 करोड़ 75 लाख रुपए का मर्जर मुआवजा दिया जाता है। इस अनुदान से तीनों जिले के ईमाम 4500 मुअज्जिन को 2500 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है।

अनुदान पर संकट, ईमाम मुअज्जिन परेशान
सूत्रों का कहना है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा पिछले कई महीनों से मसाजिद कमेटी का अनुदान जारी नहीं किया है। जिसके चलते ईमाम मुअज्जिन को करीब पांच माह से वेतन नहीं मिल पाया है। इस हालत के चलते इन्हें परिवार का पोषण करना मुश्किल होने लगा है।

लंबे समय से खाली है कमेटी
मसाजिद कमेटी में नियुक्त ओहदेदारों की नियुक्ति पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान की गई थी। लेकिन सत्ता बदल के साथ भंग हुई कमेटी के स्थान पर नए ओहदेदार नियुक्त नहीं किए हैं। जिसके चलते यहां की व्यवस्था प्रभारी सचिव द्वारा संचालित की जा रही है। कहा जा रहा है कमेटी खाली होने और स्थाई सचिव की गैरमौजूदगी के कारण यहां के काम प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य ईमाम मुअज्जिन के वेतन को लेकर भी समस्याएं खड़ी हो रही हैं।

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