नर्मदा बचाओ नेत्री मेघा पाटकर ने सम्हाला मोर्चा
भोपाल। जिम्मेदारों की लापरवाही और निगरानी करने वालों की मिलीभगत का असर यह है कि रेत माफिया बेखौफ होकर पुलिस चौकी के सामने से अवैध खनन कर रेत ले जा रहे हैं। नर्मदा को छलनी करने वाले माफियाओं की दादागिरी का आलम यह है कि उनके खिलाफ आवाज उठाने वालों की जान लेने में भी वे हिचकिचा नहीं रहे हैं। नर्मदा बचाने के लिए अभियान चला रही टीम के लोगों पर आए दिन हमले और इनसे होने वाले विवादों को लेकर पुलिस खामोश है। सारे हालात से वाकिफ होने के बाद भी खनन विभाग के अधिकारी आंखें फेरे हुए बैठे हैं।
मामला धार जिले के मनावर, कुक्षी और धरमपुरी तेहसील में नर्मदा तट के ग्रीन बेल्ट पर लगातार जारी अवैध उत्खनन से जुड़ा हुआ है। यहां शिवा कंस्ट्रक्शंस कंपनी द्वारा अपनी मनमानी पर उतारू है। पूरे जिले के लिए प्राप्त किए गए ठेके के बीच उसने ग्रीन बेल्ट को भी अपना निशाना बना रखा है। किसी शिकायत पर जिला अधिकारी जांच के नाम पर खानापूर्ति कर खामोश हो जाते हैं। क्षेत्रीय पुलिस की मिलीभगत से रेत माफियाओं को किसी कार्यवाही का डर भी खत्म हो चुका है।
मेघा पहुंची, रंगे हाथों पकड़े माफिया
नर्मदा बचाव अभियान की मुखिया मेघा पाटकर ने दो दिन पहले क्षेत्रीय विधायक डॉ. हीरालाल अलावा के साथ नर्मदा पट्टी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ग्राम बड़दा में किए जा रहे अवैध उत्खनन की तरफ प्रशासन का ध्यान दिलाया। इस छापेमारी के दौरान 27 नाव, जो नर्मदा से रेत निकालने के कार्य मे लगी थीं देखी गईं। मौके पर 29 रेत के ढ़ेर भी मिले। मेघा पाटकर के साथ पहुंची टीम ने रेत खदानों का मौका मुआयना किया तो एक ट्रैक्टर सोनालिका 740 पकड़ा गया। इसको अमर सिंह नामक जिला खरगोन का निवासी यहाँ किसी व्यक्ति द्वारा लीज(भाड़ा) पर लाकर रेत का अवैध उत्खनन करता पाया गया। गांव के कार्यकर्ताओं और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रशासन के जवाबदार अधिकारियों को बड़दा में हो रहे अवैध उत्खनन की सूचना दी गई लेकिन किसी भी सक्षम अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
शिकायत पर होता है विवाद, मारपीट भी
पूर्व में भी 11 मई 2021 की ग्रामीणों की शिकायत पर पटवारी द्वारा अपनी टीम के साथ मौका मुआयना किया गया था और स्थानीय पंचनामा बनाया गया था। इस दौरान मौके पर 14 रेत के ढेर, 3 तगारी और 9 रेत के फावड़े जप्त किया गए थे, लेकिन कार्यवाही सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई। इधर पाटकर की टीम द्वारा की गई छापेमारी के दौरान भी रेत माफियाओं द्वारा कार्यकर्ताओं को गाली-गलौच की गई और उनसे मारपीट की गई। कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी भी दी गई। इससे पहले पूर्व भी बड़दा में 9 जुलाई 2012 को रेत उत्खनन के चलते आपसी रंजिश को लेकर एक बड़ी घटना घटी थी, जिसमें 3 व्यक्तियों की हत्या हुई थी।
खनन विभाग से लेकर पुलिस तक सब बचा रहे
सूत्रों का कहना है कि बाकानेर पुलिस चौकी के सामने से हर दिन करीब 50 ट्रेक्टर और 25 डंपर अवैध रेत लेकर निकल रहे हैं। लेकिन चौकी प्रभारी नारायण रावल को इस बारे में शिकायत की जाती है तो वे किसी तरह के अवैध उत्खनन से साफ इंकार कर देते हैं। उनका कहना है कि जहां भी अवैध खनन हो रहा है, शिकायतकर्ता खुद साथ चले और उनको दिखा दे। इधर जिला खनिज अधिकारी द्वारा भी अवैध उत्खनन को लेकर साफ इंकार कर दिया जाता है। प्रभार के इस अधिकारी द्वारा जांच के लिए जिस व्यक्ति को नियुक्त किया गया है, वह निरीक्षक इंदौर जिले के सांवेर क्षेत्र में रहता है और वहां से धार मुख्यालय अप-डाउन करता है। निरीक्षण के किसी भी मौके पर वे धार या अपने घर बैठकर ही रिपोर्ट तैयार कर देते हैं और किसी तरह का अवैध उत्खनन होने से साफ इंकार कर देते हैं। इस निरीक्षक का यह भी कहना है कि शिवा कंस्ट्रक्शंस का ठेका बारिश शुरू होते ही खत्म होने वाला है, इसलिए उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जबकि ठेका अवधि में लगातार किए जा रहे अवैध खनन को लेकर विभाग ने इसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे ठेकेदार और अधिकारियों के बीच लंबा लेनदेन का मामला है।