प्रत्येक रचनाकार के मन में यह इच्छा जरूर होती है कि वह कुछ ऐसा अवश्य ही लिख सके जो यादगार हो ,जो उसकी पहचान बने तथा जिससे लिए उस रचनाकार के नहीं होने पर भी याद किया जाए।इस तरह का अविस्मरणीय सृजन किसी भी रचनाकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है ।इस चुनौती से जूझना आसान नहीं है ।
किसी भी अविस्मरणीय सृजन के लिए व्यापक मानवीय मूल्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता से प्रेरित विश्व दृष्टि बेहद जरूरी है ।इसके लिए साहित्य को मशाल की तरह थामना होता है ।अभिव्यक्ति के खतरे उठाने होते हैं ।सत्ता के प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वहन करना होता है ।मानवीय मूल्यों ,मानव अधिकार ,सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए जा रहे जन आंदोलनों के प्रति अपनी पक्षधरता को अभिव्यक्त करना होता है ।अंध विश्वासों ,प्रतिगामी प्रवृत्तियों और रूढ़ियों से जूझते हुए तर्क संगत विचारों को अर्जित करना होता है ।धर्म ,जाति ,नस्ल ,भाषा और क्षेत्र से जुड़ी संकीर्णताओं का कड़ा प्रतिरोध करना होता है ।युद्ध के उन्माद के खिलाफ विश्व शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को अभिव्यक्त करना होता है ।
कोई भी रचनाकार विश्व नागरिक बनकर ही अविस्मरणीय सृजन कर सकता है ।
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