भोपाल। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद हालात एक दम से बिगड़ गए हैं। लोग वहां से अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। ऐसे में भोपाल में रहने वाले अफगान मूल के लोगों को भी अब उनके रिश्तेदारों की फिक्र सताने लगी है। भोपाल में अफगान होटल का संचालन करने वाले करीम लाला ने बताया कि हमारे कई रिश्तेदार अफगानिस्तान के अलग-अलग शहरों में रहते हैं। तीन महीने पहले तालिबान के सक्रिय होने से हमारा फोन संपर्क रिश्तेदारों से टूट गया है। अब टीवी और मीडिया के जरिए वहां के हालात जानकर बड़ी बैचेनी हो रही है। हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाए।
तीन पीढ़ी पहले आए थे भोपाल
भोपाल में रहने वाले एक और अफगानी मूल के व्यक्ति हमीद लाला ने बताया कि उनके दादा बशीर उल्ला खान करीब सौ साल पहले अफगानिस्तान से भोपाल आए थे। हम तो तीसरी पीढ़ी हैं और कभी अफगानिस्तान जाना भी नहीं हुआ।
तालिबान से गुजारिश, लोगों का खून न बहाएं
भोपाल रहने वाले करीब एक हजार अफगानियों को अपने रिश्तेदारों के साथ-साथ अपने पैतृक वतन के लोगों की भी फिक्र है। उन सभी का एक स्वर में कहना है कि सत्ता की लड़ाई में मासूम लोगों की जान जा रही है। पहले अमेरिकी सेना ने खून बहाया और अब तालिबान के हाथों में वहां की सरकार है। हमारी तालिबान से गुजारिश है कि अब और खून न बहाया जाए।
भारत सरकार से दखल की मांग
सदभावना मंच के अध्यक्ष हाजी हारून ने भारत सरकार से दखल की मांग की है। उन्होंने कहा है कि भारत के जो लोग अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। उन्हें सकुशल वापस लाया जाए। इसी के साथ अफगानिस्तान में रह रहे हिंदु और सिक्खों को भी भी भारत लाया जाए।