भोपाल। नफरतों, आपसी झगड़ों और यहां से वहां तक बिखरी हुई व्यवस्था के नाम पर ये सरकार लोगों को गुमराह करना चाहती है, उन मुद्दों से भटकाना चाहती है, जिन वादों के दम पर वह सत्ता में आए थे। शिक्षा पाठ्यक्रम में किसी एक धर्म के ग्रंथ को शामिल किया जाना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। सरकार की नीयत अगर साफ है तो उसे किसी एक धर्म विशेष की बजाए सभी धर्मों की किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
राजधानी भोपाल के मध्य विधायक आरिफ मसूद ने उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के उस बयान पर ऐतराज जताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अब शैक्षणिक पाठ्यक्रम में हिंदू धर्म के ग्रंथों को भी शामिल किया जाएगा। आरिफ मसूद ने कहा कि यह लोकतांत्रिक देश है और यहां की व्यवस्था संविधान पर चलती है। किसी धर्म की आइडियालॉजी आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर शिक्षा का माध्यम हो सकता है लेकिन भाजपा सरकार की मंशा तालीम से ज्यादा बंटवारे की है।
हमारे देश में सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं और हर धर्म की किताब जीवन को बेहतर बनाने के संदेश देती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा अगर साफ है तो फिर पाठ्यक्रम में सिर्फ रामायण, गीता ही नहीं कुरआन, गुरु ग्रंथ साहिब और बाइबिल को भी शामिल किया जाए, ताकि नई जनरेशन सभी धर्मों की आइडियालोजी पढ़े, सीखें और अपने जीवन में उसको आत्मसात करें। विधायक मसूद ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार बीमारी, रोजगार, सुरक्षा से लेकर हर मुद्दे पर असफल हो चुकी है, इसीलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बिखराव वाले मुद्दों को परोसती रहती है।