भोपाल। पुराने शहर में जल स्तर को मेंटेन रखने और क्षेत्र की खूबसूरती को बरकरार रखने नवाब काल में बनाई गई तालाबों की श्रृंखला लापरवाही की शिकार हो रही है। एनजीटी द्वारा लगाई गई फटकार के बाद नगर निगम ने आनन फानन में काम शुरू तो कर दिया, लेकिन इस दौरान अपनाई जा रही अनदेखी महज खानापूर्ति बनकर रह जाने वाली है।
पुराने शहर के शाहजहानाबाद इलाके में मौजूद तालाब मुंशी हुसैन खां और तालाब सिद्दिक हसन उन तीन तालाबों की श्रृंखला का हिस्सा है, जो ताजुल मसजिद के पास स्थित मोतिया तालाब के साथ जोड़ा गया था। प्रशासनिक अनदेखी के चलते यहां अस्पतालों की एक बड़ी सीरीज खड़ी हो गई है, जिनसे निकलने वाला बायो वेस्ट इन तालाबों की सेहत बिगाड़ रहा है। कालांतर में यहां तालाब सिद्दीक हसन पर आवासीय बसाहट भी हो गई है, जिनको हटाने का मामला अब अदालत की दहलीज पर अटका हुआ है।

एनजीटी की फटकार से जागा निगम
सूत्रों का कहना है कि एनजीटी ने तालाबों की दुर्दशा को लेकर नगर निगम को फटकार लगाई है। कहा गया है की कालोनी और अस्पतालों से निकलने वाले पानी की निकासी के लिए रास्ते निकाले जाएं। इसके लिए एनजीटी ने निश्चित समयावधि में काम पूरा कर जवाब प्रस्तुत करने के लिए भी आदेशित किया है। एनजीटी के आदेश पर हरकत में आए नगर निगम ने आनन फानन में बारिश के बीच ही नाली निर्माण शुरू कर दिया है। जल्दबाजी में किए जा रहे काम के बीच न तो निर्धारित मापदंड का ध्यान रखा जा रहा है और न ही काम में गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है।

तालाब में ही डाल रहे मिट्टी
सूत्रों का कहना है कि नाली निर्माण के लिए की गई खुदाई से निकली मिट्टी को जेसीबी मशीन से तालाब में ही खपाया जा रहा है। इधर सिद्धिक हसन खां तालाब के किनारे पर बन गई दुकानों की लंबी कतारों के बीच एक और दुकान की बढ़ोतरी करने के हालात यहां बना दिए गए हैं। नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदार की सहमति से हो रहे इस काम को लेकर क्षेत्रीय नागरिकों ने आपत्ति भी उठाई है लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अधिकारी कतरा रहे बात से
तालाब में मिट्टी डाले जाने, घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किए जाने और तालाब में एक और दुकान खड़ी किए जाने की बात पर नगर निगम की झील संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी संतोष गुप्ता कोई जवाब नहीं देते। वे कहते हैं कि इस बारे में निगम की इंजीनियरिंग शाखा से बात की जाए। जबकि यांत्रिकी विभाग के जिम्मेदार इसके लिए झील संरक्षण प्रकोष्ठ को जवाबदेह करार दे रहे हैं।

मुश्किल ये भी हो गई
पुराने और नए शहर को जोड़ने वाले इस मुख्य मार्ग का बारिश के दौर में रोक दिया जाना भी आम राहगीरों के लिए कई दिनों तक मुश्किल बना रहा। इस मार्ग का उपयोग करने वालों को हर दिन लंबी दूरी से अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ गया।

इनका कहना है
घटिया निर्माण और तालाब का स्वरूप बिगाड़ने को लेकर नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की जाएगी। बे वक्त किए जा रहे काम से भी क्षेत्रीय नागरिक परेशान हैं।
शाहिद अली,
पूर्व पार्षद

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