मुंबई: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के तल्ख़ नारों ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है, गलीगली में शोर है देश का चौकीदार चोर है, ये वही नारा है, जिसने पिछले कुछ दिनों में विपक्ष को काफी मजबूती प्रदान की है, वैसे चुनावी संग्राम में हर पार्टी के लिए नारों का एक अलग ही महत्व होता है। किसी भी चुनाव में स्लोगन या नारों की जनमानस तक पार्टी की बात पहुंचाने में अहम भूमिका होती है। ऐसे नारों की वजह से पार्टी को नुक्सान ना हो इस लिहाज से कई पार्टियां इसे बाकायदा पेशेवर लेखकों से लिखवाती आई हैं कांग्रेस भी अब तक यही करती थी
लेकिन इसबार कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में किसी पेशेवर कंपनी या नामी लेखक से नारे लिखवाने की बजाय अपनों को मौका दिया है। लिहाजा इस बार चुनाव में सुनाई या दिखाई देने वाले नारे कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं के होंगे।
पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए शक्ति एप के जरिये कार्यकर्ताओं से नारों को लेकर सुझाव मांगे थे। देशभर से हिंदी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में करीब 15 लाख नारे पार्टी को मिले। प्रचार समिति ने इनमें छंटनी कर करीब 60 हजार नारों को चुना है। इन्हीं में से राज्यों में उनकी क्षेत्रीय भाषाओं के हिसाब से पांच-पांच, जबकि हिंदी के दस नारों को चुना जाना है। समिति का कहना है कि छंटनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा के बाद इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। समिति से जुड़े नेताओं के मुताबिक उनके कार्यकर्ताओं में गजब की सृजन क्षमता है। लोगों ने पार्टी की विचारधारा और बदलाव को आधार बनाकर नारे तैयार किए हैं। हमारी कोशिश सकारात्मक नारों का चयन करने की थी ताकि जनता के सामने एक संदेश के साथ हम अपनी बात रख सकें। राज्यों से जुड़े मुद्दे और विषयों से संबंधित नारे चुनकर उन्हें भेज दिए जाएंगे। हमारी कोशिश नारे लिखने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने की भी है। उम्मीद की जानी चाहिए कांग्रेस के इसबार के नारे लोकतंत्र की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाएंगे क्योंकि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के नारे बेशक बढ़िया काम कर रहे हों, लेकिन गैर पेशेवर लेखक होने के नाते इन कार्यकर्ताओं के नारे कहीं कांग्रेस को फायदा दिलाने के चक्कर में लोकतंत्र की गरिमा पर प्रहार ना करे इसका ख्याल भी जरूर रखा जाना चाहिए।