congressचुनाव की आहट होते ही झारखंड में लगभग मृतप्राय कांग्रेस एवं राष्ट्रीय जनता दल ने अपने-अपने संगठनों को मजबूती देने के लिए नई टीम बनाने की कवायद शुरू कर दी है. कांग्रेस ने जहां तेज-तर्रार पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ अजय कुमार को चुनावी नैया पार कराने की जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने अपने करीबी पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर पार्टी में जान डालने की कोशिश की है. अन्नपूर्णा देवी मृदुभाषी एवं सभी को साथ लेकर चलने के लिए जानी जाती हैं. इधर कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होते ही डॉ अजय कुमार ने यह साफ संकेत दिया है कि गुटबाजी करने वालों की पार्टी में कोई जगह नहीं है. जनता के बीच रहने वाले नेताओं व कार्यकर्त्ताओं को ही पार्टी में तवज्जो दी जाएगी. तेज तर्रार डॉ अजय की छवि कभी रॉबिनहुड वाली थी. पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कॉर्पोरेट जगत में हाथ आजमाया, लेकिन उन्हें जब वो भी रास नहीं आया, तो राजनीति के मैदान में कूद पड़े. अब कांग्रेस ने उन्हें एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.

झारखंड कांग्रेस में लम्बे समय से नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही थी. पार्टी को भी एक ऐसे नेता की तलाश थी, जो चुनावी नैया को पार लगा सके. 2019 में ही लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी होना है और कांग्रेस भाजपा को इस बार चारो खाने चित्त करने की कोशिश में है. इधर डॉ अजय कुमार को अध्यक्ष बनाने का विरोध भी शुरू हो गया है. कांग्रेस सांसद प्रदीप कुमार बालमुचू तो उनके विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं. बालमुचू का कहना है कि अध्यक्ष पद पर गैर आदिवासी को बैठाने से कांग्रेस की स्थिति और खराब होगी. यहां आदिवासी और महतो मतदाताओं की बहुलता है, इसलिए झारखंड में आदिवासी को अध्यक्ष बनाने से ही यहां पार्टी की स्थिति मजबूत होगी. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि झारखंड गठन के बाद से लगभग 17 वर्षों तक यहां आदिवासी ही कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर बने रहे और इस दौरान प्रदेश में पार्टी की स्थिति धीरे-धीरे खराब ही होती गई.

झारखंड में अभी कांग्रेस पूरी तरह से गुटबाजी में फंसी नजर आ रही है. विधायक मनोज यादव गुट सुखदेव भगत को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए था. आलाकमान तक पैठ के कारण सुखदेव भगत अध्यक्ष तो बने रहे, लेकिन संगठन पर अपनी पकड़ बनाने में वे पूरी तरह से विफल रहे. वहीं इससे पूर्व प्रदीप कुमार बालमुचू के कार्यकाल में भी कांग्रेस की स्थिति अत्यंत दयनीय रही. वे दो-तीन नेताओं को छोड़ किसी को भी तवज्जो नहीं देते थे. बालमुचू के बाद से ही कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी पिछलग्गू पार्टी बनकर रह गई. कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी झारखंड में लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाया. सुबोधकांत सहाय जैसे कद्दावर नेता भी रांची लोकसभा से दो लाख मतों के अंतर से पराजित हुए.

अध्यक्ष बनते ही एक्शन में अजय

प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होते ही डॉ अजय कुमार ने भाजपा सरकार पर ताबड़-तोड़ हमले करने शुरू कर दिए. उन्होंने कहा कि भाजपा उद्योगपतियों की सरकार है और विकास के नाम पर यहां भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है. विकास के नाम पर गरीब आदिवासियों की जमीनें छीनी जा रही हैं और इसके कारण आदिवासी एवं गरीब किसान रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. राज्य में केवल कागजों पर ही विकास हो रहा है. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसान कर्ज में फंसकर आत्महत्या करने को मजबूर हैं. रघुवर दास बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि झारखंड में अब भी लोग भूख से मर रहे हैं. कांग्रेस के शासनकाल में किसानों की स्थिति बेहतर थी. राज्य में विधि-व्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कुशासन वाली स्थिति है.

भाजपा सरकार अपने ही नेताओं को सुरक्षा नहीं दे पा रही है, तो आमलोगों के बारे में सोचना ही बेमानी है. आए दिन व्यापारियों और आमलोगों की हत्याएं हो रही हैं. नक्सली गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं और उधर मुख्यमंत्री यह दावा कर रहे हैं कि नक्सलियों को मिटा दिया गया है. भाजपा सरकार में व्यापारियों, अधिकारियों और उद्योगपतियों का ही विकास हो रहा है. आमलोगों की स्थिति अत्यंत दयनीय है. मुख्यमंत्री या तो विदेशों में दौरे कर रहे हैं या फिर मोमेंटम झारखंड और माइंस शो के नाम पर जनता को बरगला रहे हैं.

संगठन के संबंध में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में कांग्रेस के लिए अपार संभावनाएं हैं. चुनौतियां तो बहुत हैं, पर उसे स्वीकार कर प्राथमिकता के तहत कार्ययोजना बनाकर काम करने की जरूरत है. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और पंचायत स्तर तक संगठन की मौजूदगी है. संगठन को सक्रिय करना मेरी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि वे यह साफ कह चुके हैं कि बंदूक चमकाने और ठेकेदारी करने वालों के लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं है. सिर्फ पोस्टर और बैनर में नाम चाहिए, तो कांग्रेस में काम मत करिए. यह मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मेरे आगे-पीछे करने से भी कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमें काम करने वाले हाथ चाहिए, राजनीति तो बाद में होती रहेगी. अगर आम जनता का मुझसे भला नहीं हुआ, तो राजनीति करने का कोई औचित्य नहीं है.

हम ऐसे लोगों को ऊपर से नीचे तक चुनेंगे जो जनता का काम कर सकें. जिनको चुनाव लड़ना है वे जनता के बीच रहकर जनता का काम करें, हम सारे मापदंडों का सख्ती से पालन करेंगे. हमारी प्राथमिकता बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की है. हमें संगठन को मजबूत कर बेहतर परिणाम देना है. मैं बस इतना जानता हूं कि जनता इंतजार कर रही है. उनकी आवाज में आवाज मिलाने के लिए हमें उन तक जाना है. कांग्रेस इस जिम्मेदारी को निभाएगी. हम सबके प्रयास से संगठन को सशक्त करेंगे और झारखंड को बेहतर विकल्प देंगे.

कांग्रेस ने गैर आदिवासी को अध्यक्ष बनाकर यह संदेश भी दिया है कि कांग्रेस गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ेगी. अब यह तय हो चुका है कि कांग्रेस झामुमो के साथ मिलकर झारखंड चुनाव में उतरेगी. कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन से विपक्षी एकता की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है. इससे विपक्षी गठबंधन के मजबूत होने के आसार बढ़ गए हैं. गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस का झामुमो के साथ तालमेल नहीं हो सका था, लिहाजा दानों ने एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी खड़े किए थे. नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा. इसबार कांग्रसे वो गलती दोहराने के मूड में नजर नहीं आ रही. लेकिन इसके लिए नवनियुक्त अध्यक्ष को सबसे पहले पार्टी की आंतरिक गुटबाजी को समाप्त करना होगा.

झारखंड में राजद का जनाधार बढ़ाना लक्ष्य : अन्नपूर्णा देवी

राष्ट्रीय जनता दल की नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी का कहना है कि झारखंड में पार्टी का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में पार्टी संगठन का विस्तार हो रहा है और उम्मीद है कि लालू जी के नेतृत्व में सम्पूर्ण विपक्ष एकसाथ मिलकर भाजपा के खिलाफ खड़ा होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा से जनता परेशान है. नोटबंदी एवं जीएसटी के कारण व्यवसाय बूरी तरह से प्रभावित हुआ है. इसके कारण इद्योग-धंधे बंद हो रहे हैं और देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या ब़नती जा रही है. रघुवर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल घोषणाओं की सरकार है. विकास के नाम पर सूबे में लूट मची हुई है. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. रोजी-रोटी की तलाश में लोग यहां से दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं और सरकार मोमेंटम झारखंड और माइंस शो के आयोजन पर पैसे बहा रही है.

सरकार यह बताए कि झारखंड में कौन सा इद्योग लगा है. जनता भाजपा सरकार के वादों से अब उब चुकी है और बदलाव चाह रही है. राजद अन्य दलों के साथ विकल्प बनकर उभर रही है. इन्होंने दावा किया कि इस बार महागठबंधन की ही सरकार बनेगी. संगठन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने यह स्वीकार किया कि झारखंड में राजद का संगठन कमजोर है, लेकिन उसे मजबूत बनाने का काम शुरू हो चुका है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जो जिम्मेदारी मुझे दी है, उस पर खरा उतरने की मैं पूरी कोशिश करूंगी. हर जिला और पंचायतों में जाकर वहां के लोगों से मिलकर उन्हें राजद के साथ जोड़ने का काम किया जाएगा. हमें पिछड़ों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों का पूरा समर्थन मिल रहा है और उम्मीद है कि पार्टी आगामी चुनाव तक झारखंड में एक ताकत के रूप में उभर कर सामने आएगी. संगठन से जुड़े सभी लोग एकसाथ मिलकर पार्टी हित में काम कर रहे हैं.

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