एक ही मंच पर एक साथ विवाह और निकाह संपन्न हों, तो इससे बेहतर गंगा-जमुनी तहजीब कहीं और ढूंढनी मुश्किल है. लोगों को आश्चर्य हुआ, जब एक तरफ सात फेरे की तैयारियों में जुटे पंडित और दूसरी तरफ निकाह पढ़ाने आए मौलवी एक-दूसरे से गले मिल रहे थे. बिहार के चंपारण जिले में इस सच को साकार किया है नगदाहां सेवा समिति ने.
26 फरवरी को मोतिहारी के राजेन्द्र नगरभवन से रथों पर सवार एक ही लिबास में सजे 56 दूल्हों के साथ बारात निकली. दर्जनों हाथी, घोड़े, ऊंट और गाजे-बाजे के साथ निकली इस बारात की अगुआई जिले के गणमान्य लोगों ने की. बारात के साथ हजारों लोग पैदल चल रहे थे.
छत से महिलाएं फूलों की बारिश कर रही थीं. मोतिहारी के बरियारपुर स्थित गृह रक्षा वाहिनी के मैदान में विशाल पंडाल का निर्माण किया गया था. एक-एक कर 56 दूल्हे शेरवानी और मुकुट पहने मंच पर उपस्थित हुए. इसके बाद लाल साड़ियों में सजी-संवरी दुल्हनों को मंच पर लाया गया. मंच पर एक तरफ बुरके में 6 मुस्लिम दुल्हनें भी थीं. महिलाओं ने मंगल गीत गाकर इन जोड़ियों का स्वागत किया.
कौमी एकता और भाईचारे के इस अद्भुत दृश्य को देख उपस्थित जन-सैलाब की आंखें भर आईं. वर-वधु के परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू बहते रहे. अपनी बेटी के लिए एक जोड़ी साड़ी तक की व्यवस्था करने में अक्षम मां-बाप अपनी लाडली की शाही शादी के गवाह बन रहे थे. कह सकते हैं कि यह कार्यक्रम बिहार के सबसे बड़े सामाजिक आयोजन होने का गौरव प्राप्त कर रहा है.