story-1-picभारतीय जनता पार्टी दो सवालों से घिरी हुई है. पहला यह कि विभिन्न पार्टियों से भाजपा की ओर जो भगदड़ दिखाई दे रही है, उससे भाजपा को लाभ होगा या नुकसान? दूसरा सवाल, जो काफी दिनों से पूछा जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में भावी मुख्यमंत्री के रूप में किसे पेश करेगी? वैसे तो चुनाव से पहले जिस पार्टी की ओर भगदड़ मचती है, वह उस पार्टी की लोकप्रियता एवं चुनाव में उसकी मजबूती का पैमाना मानी जाती है. लेकिन भाजपा में दूसरी पार्टियों से जो भीड़ आ रही है, वह निःस्वार्थ भाव से आ रही है, यह नहीं माना जा सकता. वास्तविकता यह है कि अधिकांशतः जिन लोगों को दूसरी पार्टियों में टिकट की आशा नहीं रह गई, वे भाजपा को मजबूत पार्टी मानकर उसमें आ रहे हैं. इससे भाजपा का जो मूल कैडर है, उसका हक मारा जाता है. जिन्होंने पार्टी की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया, क्या उनके हिस्से में सिर्फ दरी बिछाना व कुरसियां लगाना भर है? पार्टी की तरक्की का लाभ बाहर से स्वार्थवश आए लोग ही क्यों उठाएं? एक भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी के हित में त्याग करना पड़ता है, क्योंकि पार्टी का हित सर्वोपरि होता है. भाजपा का कितना भी कांग्रेसीकरण हो गया हो, लेकिन उसका आधार-स्तम्भ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है. भाजपा की असली ताकत वही है तथा भाजपा उससे कभी विमुख नहीं हो सकती है. भाजपा में दूसरी पार्टियों से जो लोग आ रहे हैं, उनमें संघ के संस्कार हों, यह जरूरी नहीं.

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में किसे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करेगी, यह यक्ष-प्रश्न बना हुआ है. कभी किसी का नाम उछला तो कभी किसी का. लेकिन कुछ समय तक छाए रहकर वे नाम गायब हो गए. उमा भारती, वरुण गांधी, महंत आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी, महेश शर्मा, मनोज सिन्हा, डॉ. दिनेश शर्मा आदि. पारी-पारी से इन सभी के नाम चर्चित हो चुके हैं. जिस नाम की चर्चा होती है, उसके पक्ष में विभिन्न तर्क सुनने को मिलते हैं. लेकिन कुछ समय बाद उस नाम की चर्चा बंद हो जाती है. यहां तक कि बीच-बीच में भारी-भरकम नाम के रूप में राजनाथ सिंह का नाम भी उछला और सुना गया कि उत्तर प्रदेश के तगड़े मुकाबले में राजनाथ सिंह आसानी से भाजपा की नैया पार करा लेंगे. लेकिन केंद्र में राजनाथ सिंह की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है, इसलिए उनका यहां आना संभव नहीं माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए किसी चेहरे को आगे किए बिना चुनाव-मैदान में उतरेगी. इसके पक्ष में अनेक तर्क दिए जा रहे हैं तथा हरियाणा, महाराष्ट्र व झारखंड का उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है. इस विचार के समर्थकों का कहना है कि असली चेहरा तो मोदी होंगे, क्योंकि उनकी लोकप्रियता ही चुनाव में भाजपा को विजयश्री दिलाएगी. चुनाव के बाद पार्टी को बहुमत मिलने पर जिसे उपयुक्त समझा जाएगा, उसे मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा. इससे उत्तर प्रदेश में भाजपा की वह चर्चित गुटबंदी दबी रहेगी, जिसने प्रदेश में भाजपा का विनाश कर डाला तथा उसे चौथे नम्बर की पार्टी बना डाला था. यदि किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया गया तो सभी गुटबाज उसकी टांग खींचने में लग जाएंगे और यदि कोई चेहरा नहीं पेश किया गया तो भाजपा के उच्च नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए सभी गुटबाज पार्टी को जिताने के लिए जीजान लगा देंगे.

भाजपा में एक नया विचार उभरा है, जिसे वजनदार भी समझा जा रहा है. चर्चा है कि भाजपा के प्रदेश-अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया जाए. इस विचार के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यह है कि आगामी चुनाव में पिछड़ा कार्ड सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगा. माना जाता है कि ब्राह्मणों का जुड़ाव भाजपा से ही रहेगा, क्योंकि मायावती से जोड़कर उन्होंने देख लिया है कि मायावती ने उनका सिर्फ वोट-बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और उनकी जड़ भी काटी. केवल सतीशचंद्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय आदि चंद लोग खूब फूलते-फलते रहे तथा जमकर फायदा उठाते रहे. कांग्रेस पार्टी का कोई भविष्य नहीं है. पूरा दलित वर्ग मायावती से अलग होगा, इसकी संभावना कम है. इसलिए पिछड़े वर्ग का कार्ड खेलने में भाजपा को अधिक हित दिखाई देता है. केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने पर भाजपा का पिछड़ा दांव अधिक कारगर हो सकेगा. पिछले दिनों विधानसभा के घेराव में केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी नेतृत्व-क्षमता का परिचय दिया है. सवाल उठता है कि फिर स्वामी प्रसाद मौर्य का क्या होगा? क्या वह केशव प्रसाद मौर्य के पीछे खड़े होंगे? इस समस्या को भाजपा स्वामी प्रसाद मौर्य को केंद्र में मंत्री बनाकर हल कर सकती है. केशव प्रसाद मौर्य एवं स्वामी प्रसाद मौर्य मिलकर उत्तर प्रदेश में मौर्य समाज को पूरी तरह भाजपा के पक्ष में कर लेंगे. ब्राह्मणों को खुश करने के लिए डॉ. दिनेश शर्मा या अन्य किसी ब्राह्मण नेता को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दिया जाएगा.

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