किसी ने सच कहा है, मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा होता है. योग, आयुर्वेद, स्वदेशी एवं वैदिक ज्ञान का अनमोल उपहार देश समेत पूरी दुनिया को बांटने वाले स्वामी रामदेव को न जाने किन-किन विषम हालात से जूझना पड़ा, न जाने कितने आरोप झेलने पड़े, अपमान-दमन सहना पड़ा. लेकिन, ईश्वरीय न्याय हमेशा अद्भुत होता है. आज सारी दुनिया स्वामी रामदेव के सच से वाकिफ है कि वह वाकई एक संत हैं और अपने संताचरण से जन-सामान्य, देश-दुनिया के कल्याण में लगे हुए हैं.
पत्रकार संदीप देव की हालिया प्रकाशित पुस्तक स्वामी रामदेव: एक योगी-एक योद्धा इस सच को पूर्णत: प्रमाणित करती है.बालक रामकृष्ण आ़िखर कैसे बना स्वामी रामदेव, एक बालसखा: जिसने स्वामी रामदेव के स्वप्न को दिया मूर्त रूप, पतंजलि बना योग-आयुर्वेद-स्वदेशी एवं वैदिक ज्ञान परंपरा का केंद्र, भारत स्वाभिमान आंदोलन, चार जून 2011: भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस, म़ुकदमों का मकड़जाल और राजनीतिक विकल्प की तैयारी जैसे अति महत्वपूर्ण अध्यायों में संदीप देव ने स्वामी रामदेव के अब तक के जीवन का विस्तृत एवं सारगर्भित वर्णन किया है.
चार जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वामी रामदेव के योग-प्राणायाम कार्यक्रम के लिए जुटे जन-सैलाब को जिस तरह पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ा, वह किसी से छिपा नहीं है और न लोग उस घटना को जल्दी भूल सकेंगे. आज़ाद भारत में निद्रा में लीन महिलाओं, पुरुषों एवं बच्चों पर पुलिस द्वारा जिस तरह लाठियां भांजी गईं, उसने बताया कि सत्ता किसी को किस कद अंधा बना देती है कि वह सही-ग़लत का और उचित-अनुचित में भेद नहीं कर पाता.
दस अध्यायों और लगभग 250 पृष्ठों वाली यह पुस्तक संदीप देव के असीम धैर्य, अथक परिश्रम और गहन शोध का परिणाम है. अपनी बात कहने के लिए संदीप ने किसी खास विशेषण, खास तौर-तरीके और किसी खास भाषा-शैली का प्रयोग करने से परहेज रखा, यह उनकी एक बड़ी लेखकीय कामयाबी है. स्वामी रामदेव की इस पहली और एकमात्र जीवनी में उल्लेखित प्रत्येक घटना, प्रत्येक स्थिति, प्रत्येक तथ्य-प्रमाण पर अपनी बात कहने और उसे पाठकों तक पहुंचाने के लिए संदीप ने सरल-सहज और आम भाषा का प्रयोग किया, जो उनके अंदर बैठे पत्रकार का प्रमाण है.
एक पत्रकार का हमेशा यह प्रयास रहता है कि वह किसी घटना, किसी स्थिति, किसी फैसले और किसी सूचना को पाठकों तक इस ढंग से पहुंचाए कि वे उसे अच्छी तरह समझ सकें. यह पुस्तक निश्चित तौर पर पाठकों को स्वामी रामदेव और उनके साथ-साथ आचार्य बालकृष्ण की अब तक की जीवन-यात्रा, कार्यों तथा देश-समाज के प्रति दोनों के सकारात्मक दृष्टिकोण से परिचित कराएगी. और, पाठक देश के राजनीतिक-सामाजिक वातावरण के उन तमाम अनछुए पहलुओं से भी दो-चार होंगे, जो बड़े पैमाने पर संचार क्रांति के बावजूद जन-सामान्य के बीच उजागर नहीं हो सके अथवा उन्हें उजागर नहीं होने दिया गया.
समीक्ष्य पुस्तक
स्वामी रामदेव: एक योगी-एक योद्धा
लेखक
संदीप देव
प्रकाशक
ब्लूम्सबरी पब्लिकेशन, नई दिल्ली