लोकसभा चुनाव जोरों पर है. हाईटेक प्रचार के साथ-साथ कई अन्य दिलचस्प तरीके अपना कर प्रत्याशी इस चुनाव को और भी ज़्यादा दिलचस्प बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. आइए, एक नज़र चुनाव प्रचार के ऐसे ही कुछ तरीकों पर डालते हैं.
बिहार में चुनाव प्रचार में भोजपुरी गानों का जबरदस्त इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे गाने आजकल खूब सुनने को मिल रहे हैं, जिनमें प्रत्याशी अपने गुणों का बखान करते हुए अपने लिए वोट मांग रहे हैं. इस चुनावी माहौल में स्थानीय गीतकार, गायक एवं रिकॉर्डिंग करने वाले भी व्यस्त हैं. पटना में 40 रिकॉर्डिंग स्टूडियों में हर महीने 20 सीडियां तक रिकॉर्ड हो रही हैं. गीतकार और गायक एक गीत के लिए 500-1000 रुपये ले रहे हैं. वहीं चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी फेसबुक एवं ट्वीटर के इस जमाने में पोस्टकार्ड लिखकर चुनाव प्रचार कर रही है. कार्यकर्ता वोटर लिस्ट से नाम-पता देखकर मतदाताओं के घर-घर हाथ से लिखे पोस्टकार्ड भेज रहे हैं. धमकी भी चुनाव प्रचार का एक जरिया बन गई है. उत्तर प्रदेश के चित्रकूट एवं बांदा ज़िलों में डाकुओं के कई गिरोह रात के समय विभिन्न गांवों में जाकर अपने उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वे आधी रात को लाउड स्पीकरों के जरिये गांव वालों को पंचायत भवन बुलाते हैं और फिर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देने का फरमान सुनाते हैं. यही नहीं, ऐसा न करने पर वे गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी देने से भी नहीं चूक रहे हैं. हालांकि इस पर स्थानीय पुलिस सख्ती बरत रही है.
हजारीबाग से अखिल झारखंड छात्र यूनियन पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक लोकनाथ महतो करोड़ों के मालिक हैं, लेकिन उनकी पत्नी हजारीबाग के समीप स्थित गांव बड़का की मंडी में रोज सब्जी बेचने के लिए अपने सिर पर टोकरा रखकर ले जाती हैं और सब्जी बेच रही हैं. सब्जी बेचने के दौरान वह अपने पति को वोट देने की अपील भी कर रही हैं. नागपुर के बाज़ारों में ऐसी साड़ियां मिल रही हैं, जिन पर मोदी की तस्वीर छपी है. साड़ियों पर मोदी लाओ, देश बचाओ जैसे स्लोगन भी हैं. पतंगें, कैंडी, पटाखे, पिचकारी एवं मेहंदी जैसी चीजें तक मोदी के नाम पर बिक रही हैं. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रेस्टोरेंट मालिकों ने नरेंद्र मोदी के नाम पर नमो थाली निकाली है, जिसकी क़ीमत 110 रुपये है. इस थाली में दाल, दो सब्जियां, जीरा राइस, गुलाब जामुन एवं मिस्सी रोटी के साथ खाखरा-पापड़ भी है. थाली में भगवा रंग भरने के लिए केसरिया रंग का रायता दिया जा रहा है. रेस्त्रां में इसका नाम मिशन मेन्यू-2014 रखा गया है. यहां राहुल गांधी के नाम पर रागा थाली भी मौजूद है.
दिल्ली में इस बार उम्मीदवारों ने ऐसी बसों का इस्तेमाल किया, जिनमें टॉयलेट्स से लेकर बेडरूम, रसोई, फ्रिज, लक्जरी सोफा और टीवी तक उपलब्ध है. खास बात यह है कि ऐसी बसें किराए पर मिल रही हैं. इस बस की क़ीमत 25 लाख रुपये है और किराए पर यह रोज़ाना 5 से 15 हज़ार रुपये में सुविधाओं के लिहाज से मिल रही है. दिल्ली की गलियों में बायोस्कोप से भी चुनाव प्रचार किया गया. जहां भी यह पहुंचा, वहां मोदी की कहानी प्रसारित हुई. कंघी, टोपी, हेयरबैंड, अंगूठी और घड़ी पर भी प्रत्याशियों की तस्वीरें आ रही हैं. फरीदाबाद लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार एवं उनके सहयोगी-कार्यकर्ता लोगों के घरों के बाहर आतिशबाजी करते नज़र आए. जैसे ही लोग उसे देखने के लिए घरों से बाहर निकले, तो उनसे अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कहा गया. भाजपा ने देश की जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कुछ अनोखे तरीके निकाले हैं. नरेंद्र मोदी की फोटो पतंगों, कैंडी, पटाखों, पिचकारियों, मेहंदी एवं चाय पर तो नज़र आती ही है, अब नागपुर के बाज़ारों में साड़ियों के डिब्बों पर भी मोदी की फोटो देखने को मिल रही है. ऐसी साड़ियां बाज़ार में 300 से 400 रुपये के बीच बेची जा रही हैं. विपक्षी पार्टियों से दूर रहकर चुनाव प्रचार करने के लिए भाजपा ने यह अनोखा तरीका अपनाया है. इन मोदी ब्रांड साड़ियों के पल्लू पर मोदी लाओ-देश बचाओ छपा हुआ है. महिलाओं के बीच ये साड़ियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इन साड़ियों की लगातार बढ़ रही मांग से दुकानदार भी काफी खुश हैं.
बनारस में जबसे मोदी और केजरीवाल पहुंचे हैं, तबसे यहां का चुनावी माहौल ही बदल गया है. यहां पर भाजपा की महिला इकाई ने चुनाव प्रचार का अनोखा तरीका अख्तियार किया है. पार्टी की महिला कार्यकर्ता गली-मुहल्लों में घूम-घूमकर लोगों को मेहंदी लगा रही हैं. उनकी कोशिश हर हाथ में कमल खिलाने की है. वे हर हथेली पर कमल बना रही हैं. उनका मानना है कि हर हाथ में कमल होगा, तो ईवीएम में कमल का बटन भी ज़रूर दबेगा. वहीं कुछ भाजपा कार्यकर्ता लोगों को चाय पिलाने में भी व्यस्त हैं. इस चाय का कनेक्शन भाजपा के प्रधानमंत्री पद और बनारस से प्रत्याशी नरेंद्र मोदी से कनेक्ट रखता है. अपने जीवन के शुरुआती दौर में चाय बेचकर गुजारा करने वाले मोदी की इस ग्राउंड रिएलिटी को भाजपाई यूएसपी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बनारस की पहचान पान को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर रहे हैं. बनारस की परंपरा में पान सम्मान एवं मेहमाननवाजी का प्रतीक है. पान खिलाने और पान खाने वाले के बीच एक तरह का आत्मीय रिश्ता बन जाता है. पार्टी कार्यकर्ताओं की कोशिश इसी रिश्ते को मजबूत करने की है. पान इसलिए भी खास हो गया है, क्योंकि पार्टी के उम्मीदवार चौरसिया समाज से हैं, जो बनारस में पान के कारोबार की बैक बोन बिरादरी मानी जाती है.
आम आदमी पार्टी खुद को आम लोगों से जुड़ी हुई पार्टी मानती है. पार्टी का मानना है कि सफेद टोपी एक सीधे-सच्चे आम आदमी की प्रतीक है, इसलिए पार्टी अपने चुनाव प्रचार में लोगों को टोपी पहना रही है. शहर के सब्जी बेचने वालों से लेकर हर ठेला लगाने वालों तक पार्टी की नज़र है. कार्यकर्ता जहां भी जा रहे हैं, वहां वे लोगों को टोपी पहना रहे हैं. इन टोपियों पर मुझे चाहिए पूर्ण स्वराज और मैं हूं आम आदमी लिखा हुआ है. पार्टी के कार्यकर्ता वोट अपील के साथ टोपी के जरिये हर किसी का सिरमौर बनने के लिए जोर लगाए हुए हैं. आप की एक टीम वोट के लिए थिएटर आर्ट को टूल के रूप में इस्तेमाल कर रही है. यह टीम जगह-जगह नुक्कड़ नाटक कर रही है. इसका मकसद सामाजिक समस्याओं को हाईलाइट करते हुए लोगों को समाधान के तौर पर आम आदमी पार्टी से जोड़ना है, ताकि अरविंद केजरीवाल को मजबूती मिले. झारखंड में प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा मेहंदी के माध्यम से महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रयासरत है. मोर्चा की सदस्य घर-घर जाकर महिलाओं के हाथ में कमल का फूल बनाकर भाजपा के लिए समर्थन जुटा रही हैं. महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इससे एक क़दम आगे बढ़कर घर-घर जाकर महिलाओं को लुभाने की योजना बनाई है. आजसू की महिला कार्यकर्ता टैटू बनाकर पार्टी के समर्थन में मैदान में उतरेंगी. वे हाथ पर चुनाव चिन्ह केला का टैटू बनाकर अपने प्रत्याशियों को जिताने का प्रयास करेंगी.
हाईटेक प्रचार भी आजकल खूब प्रचलित है. आपके पास 200 या इससे ज़्यादा फॉलोअर्स हैं और आपके ट्वीट्स को काफी रि-ट्वीट किया जा रहा है, तो आप राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी काम के हो सकते हैं. हो सकता है कि बिग डेटा की मदद से आपको ट्रैक भी किया जा रहा हो. यह भी कहा जा रहा है कि एक ट्वीट की क़ीमत 50 रुपये से 50,000 रुपये तक जा सकती है. कई बार उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी के ख़िलाफ़ नेगेटिव प्रचार के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं. क़रीब 3 करोड़ ट्वीटर यूजर्स में से 200 लोग ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल राजनीतिक प्रचार में खूब हो रहा है. चुनावी दंगल में ट्वीटर कैंपेन काफी चर्चित हो रहा है. इसके अलावा एप्लीकेशन बेस्ड ऑन लाइन म्यूजिक रेडियो स्टेशन जैसे सावन और गाना डॉट कॉम आदि वेबसाइट्स को भी पार्टियां अपने कैंपेन के लिए इस्तेमाल कर रही हैं. पार्टियां इन वेबसाइट्स पर अपनी प्ले-लिस्ट बना रही हैं. भाजपा खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म का जमकर इस्तेमाल कर रही है. वॉट्स-ऐप और ई-मेल का इस्तेमाल टारगेट वोटरों को मैसेज भेजने के लिए बहुत हो रहा है. नेता अपने इलाके के वोटरों से अपनी रिकॉर्डेड आवाज में वोट देने की अपील कर रहे हैं. कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी अपने यू ट्यूब चैनल पर रैली और दूसरे चुनाव प्रचार के वीडियो भी दिखा रही हैं. वहीं नेता गूगल हैंगआउट और फेसबुक पेज के जरिये वोटरों से बातचीत कर रहे हैं. वोटरों तक पहुंचने के लिए बिग डेटा का भी काफी इस्तेमाल हो रहा है.
चुनाव प्रचार के अनोखे हथियार
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