अक्सर देखा गया है कि सफलता के उच्चतम स्तर तक पहुंचने से ज़्यादा कठिन होता है उस ऊंच मुक़ाम पर बने रहना. किसी भी क्षेत्र में चाहे वह खेल, कला, राजनीति, नौकरी या बिजनेस हो, उसमें कामयाबी पाने के लिए लोग तब तक प्रयास करते हैं जब तक वे मंज़िल तक पहुंच नहीं जाते हैं. इसके बाद देखने में यही आता है कि काफी लोग इस शिखर तक पहुंचने के बाद सफलता की उस ऊंचाई को बनाए नहीं रख पाते.
ऐसी ही स्थिति स्कूल से कॉलेज गए छात्रों की भी होती है. पूरी मेहनत के बाद अपने मनपसंद कॉलेज या संस्थान में दाख़िला लेने के बाद वे दोस्तों से घिरे रहने और मस्ती करने या बंक मारने में ही विश्वास करने लग जाते हैं. बातचीत में भी वह एक-दूसरे से कहते हैं-फर्स्ट ईयर इज रेस्ट ईयर. इस तरह वे कामयाबी की पहली सीढ़ी तक तो पहुंच जाते हैं, लेकिन थोड़े समय के बाद इनके कैरियर का सूरज ढलना शुरू हो जाता है. अर्श पर पहुंचा व्यक्ति किन कारणों से कुछ समय बाद ही फर्श पर आ जाता है, इस बात को समझने में अधिकतर छात्र देरी कर देते हैं और व़क्त हाथ से निकल जाता है. कुछ मुख्य कारणों का ध्यान रखा जाए तो मेहनत से मिली कामयाबी बरकरार रखा जा सकता है.
1. मन को केंद्रित करें-क्लास में कभी भी दोस्त, मस्ती या किसी अन्य विषय पर न सोचें. मन को शांत करके शिक्षक की बातों को सुनें. स्कूल तक ऐसा काम करना बहुत आसान होता है, क्योंकि यहां छात्र शिक्षकों के सीधे संपर्क में रहते हैं. इससे शिक्षक किसी को भी भटकने नहीं देते. लेकिन कॉलेज में शिक्षक के साथ छात्रों का ऐसा सीधा रिश्ता नहीं होता. वहां किसी बड़े की नज़र से मुक्त होने को बंधन से आज़ादी मान बैठने वाले भारी ग़लतफहमी के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में कमज़ोर इच्छाशक्ति वालों का ध्यान पढ़ाई से भटक जाता है.
2. कारणों का पता लगाएं- यदि समय के साथ क्लास में आपकी परफॉरमेंस में लगातार गिरावट आ रही है तो घबरा कर ऐसी-वैसी हरकत न करें. विफलता के पीछे के कारणों का शांत मन से पता लगाने की कोशिश करें. विफलता के कारणों को लेकर आप अपने परिवार, सहयोगी या अन्य किसी मित्र विशेष से विचार-विमर्श कर सकते हैं.
3. मंज़िल से पहले न रुकें- कई बार शुरुआत में मिली मामूली सफलता को ही कामयाबी समझ कर लोग असली मंज़िल तक पहुंचने से रह जाते हैं. अगर आप लंबी पारी खेलना चाहते हैं तो कैरियर के शुरुआती स्तर यानी बेहतर और मनपसंद कॉलेज के नशे में चूर न हों. कुछ और बेहतर करने का जज़्बा भी मन में बनाएं रखें. इससे आपकी कार्यशैली में भी निखार आएगा और आप ख़ुद ही आगे बढ़ने के लिए मोटीवेट होंगे
4. एथिक्स से समझौता न करें- अपने आत्मसम्मान, सुविचारों और एथिक्स से कभी समझौता न करें. कामयाब होने के बाद भी अपनी सही आदतों को स़िर्फ दिखावे के लिए न बदलें. ऐसा करके निश्चित तौर पर आप कामयाबी के शिखर पर लंबे समय तक टिके रहेंगे और दोस्तों के बीच अपनी अलग पहचान बनाएंगे. आप जो हैं, उससे ही सब आपका सम्मान करे, यही असली सम्मान होता है. ऐसे में आपका आत्म-विश्वास भी बढ़ता है.
5. साथियों को न भूलें- कामयाब होने के बाद बुरे समय में साथ देने वाले साथियों को सदा सम्मान दें. उन्हें कभी यह महसूस न होने दें कि अब आपको उनकी ज़रूरत नहीं है. यदि आप उन्हें भूल जाएंगे तो कामयाबी का लड्डू कभी भी आपके हाथ से फिसल सकता है. अक्सर देखा गया है कि सफल होने के बाद मिली सराहना और प्रतिष्ठा के बाद व्यक्ति में बदलाव आने लगते हैं. वह कामयाब होने के बाद ख़ुद को औरों से बेहतर समझने लगते हैं, यही घमंड इसे सदा के लिए शिखर पर बने नहीं रहने देता है. अपने पुराने दोस्तों, शिक्षकों की कद्र करें और व़क्त पड़ने पर उनसे सलाह-मशविरा करें. याद रखें, वे आपके पुराने दोस्त हैं जो आपके स्वाभाव से परिचित हैं और आपके बारे में नए दोस्तों से बेहतर राय दे सकते हैं.
6. स्वस्थ रहें, ख़ुश रहें- कैरियर की पहली सीढ़ी पर पहुंच कर ख़ुद को इतना न उलझा लें कि ख़ुद के लिए समय न मिल पाए. हमेशा ध्यान रखें कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है. पढ़ाई के अलावा अपने स्वास्थ्य और मनोरंजन पर भी ध्यान दें.
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