लकड़ी के गत्ते, पत्थरों और कागजों पर तो आर्ट करते सैकड़ों आर्टिस्ट देखे होंगे पर ये चॉक पर कारीगरी करते हैं, वो भी गजब की। चंडीगढ़ सेक्टर 21 के आईएस देव समाज स्कूल में फिजिकल एजुकेशन टीचर बलराज सिंह पिछले पांच सालों से सिंगल चॉकों पर नक्काशी कर उसे रंगों के जरिए खूबसूरत रूप दे रहे हैं। अमर उजाला से एक खास बातचीत दौरान उन्होंने अपने इस हुनर के पीछे की कहानी बयां की।
उन्होंने बताया कि एक दिन मैं स्कूल के स्टाफ रूप में बैठा था। उस समय मेरे हाथ में एक पेन था और सामने चॉक का एक टुकड़ा पड़ा था। उस दौरान मुझे ऐसा लग रहा था मानो चॉक का वो टुकड़ा मुझसे कोई बात कर रहा हो। मैंने उस टुकडे़ को उठाया और पेन से उस पर नक्काशी करने लगा। पहले मैंने उस पर आंख बनाई, फिर नाक और होंठ।
उन्होंने बताया कि मैंने एक घंटे में ही चॉक पर मानवीय चेहरा बना दिया। जब मेरे साथी टीचरों ने उसे देखा तो उन्होंने मुझे काफी प्रोत्साहित किया। मैं घर आया तो इंटरनेट पर इसके बारे में सर्च की तो पता चला कि यह भी एक कला है और इसे ज्यादातर दक्षिण भारत के लोग इस कला का उपयोग करते हैं। फिर क्या था मैंने इस यूनीक आर्ट पर काम करने लग पड़ा।
शुरुआत में काफी मुश्किल लगा
बलराज सिंह बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने चेहरा बनाना शुरू किया। पर यह काम आसान नहीं था। जब एक चेहरा बनाने में सफल हो जाते तो फिर दूसरा चेहरा बनाने में काफी मुश्किल आती। कई बार तो लास्ट प्वाइंट पर आकर चॉक टूट जाता और चेहरा बन ही नहीं पाता था।
उन्होंने बताया कि एक समय तो तीन महीने तक उन्होंने कोई चेहरा नहीं बनाया। एक दिन एक दोस्त घर आया और उनके आर्ट के बारे में पूछने लगा। बलराज ने कहा कि तब मुझे एहसास हुआ कि एक बार फिर इस पर हाथ अजमाना चाहिए। फिर मैं रोजाना चॉक पर नक्काशी करता, उसमें सफल भी होने लगा, फिर धीरे -धीरे मैंने बॉडी पार्ट बनाने भी शुरू कर दिए।