सुप्रीम कोर्ट ने (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) NEET PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 का सिलेबस अंतिम समय बदलने के मामले पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि सत्ता के खेल में युवा डाक्टरों को फुटबाल नहीं समझना चाहिए।
कोर्ट ने अगले सोमवार तक केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है, साथ ही इस संबंध अधिकारियों की एक बैठक बुलाने के भी निर्देश दिए हैं।
क्या है पैटर्न बदलने का विवाद?
छात्रों का दावा है कि सरकार ने NEET PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 का सिलेबस परीक्षा के 2 महीने पहले बदल दिया था। इसके विरोध में 41 पीजी क्वालिफाइड डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
स्टूडेंट्स ने यह भी दावा किया है कि 2018 में पैटर्न सामान्य चिकित्सा से 40% और सुपर स्पेशियलिटी से 60% प्रश्न का था, जबकि इस बार अंतिम समय में बदलाव कर दिया गया। इसमें सामान्य चिकित्सा से 100% प्रश्न पूछे गए थे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘युवा डॉक्टरों के साथ संवेदनशीलता से पेश आएं। एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) क्या कर रहा है? हम डॉक्टरों के जीवन से निपट रहे हैं। आप नोटिस जारी करते हैं और फिर पैटर्न बदल देते हैं? छात्र सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं। परीक्षा से पहले अंतिम मिनटों को बदलने की आवश्यकता क्यों है? आप अगले वर्ष से परिवर्तनों के साथ आगे क्यों नहीं बढ़ सकते?’
असल में 41 पीजी क्वालिफाइड डॉक्टरों ने परीक्षा के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव को चुनौती दी है। छात्रों की दलील है कि परीक्षा से महज 2 महीने पहले पैटर्न बदल दिया गया है। मामले में 20 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही अगली सुनवाई 27 सितंबर को तय की थी। 2018 में पैटर्न सामान्य चिकित्सा से 40 प्रतिशत और सुपर स्पेशियलिटी से 60 प्रतिशत प्रश्न का था जबकि इस बार अंतिम समय में बदलाव की घोषणा की गई जिसमें सामान्य चिकित्सा से शत-प्रतिशत प्रश्न पूछे गए थे। नीट एसएसS 2021 को 13 और 14 नवंबर को आयोजित किया जाना है। परीक्षा की तारीखों को 23 जुलाई को अधिसूचित किया गया था, लेकिन 31 अगस्त को पाठ्यक्रम में बदलाव की घोषणा कर दी गई।