धीर

लोकतंत्र का नृत्य? इस कठिन राजनीतिक जुमले की इससे सरल व्याख्या नहीं हो सकती और शायद इससे अधिक सम्मानित व्याख्या भी संभव नहीं है. हालांकि, कहने वाले तो ये भी कह सकते है कि “जब रोम जल रहा था…तब…”. लेकिन हम तो बस इतना कहेंगे कि जब देश का किसान मर रहा था, अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाह रहा था, तब सरकार डांस ऑफ डेमोक्रेसी में व्यस्त थी….

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